खुले में शौच मुक्त जिले में बदनुमा दाग, छात्रावास के छात्र शौच के लिए जंगल मे जाने को मजबूर

खुले में शौच मुक्त जिले में बदनुमा दाग, छात्रावास के छात्र शौच के लिए जंगल मे जाने को मजबूर


अनूपपुर/पुष्पराजगढ़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन मध्यप्रदेश सरकार निरंतर स्वच्छता अभियान को लेकर करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रही है साथ ही आदिवासी बाहुल्य यह जिला चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान के तहत ओडीएफ घोषित किया जा चुका है और भोपाल स्तर में इसे तगमें से नवाजा भी गया है, वही दूसरी ओर अनूपपुर आदिवासी बाहुल्य जिला के पुष्पराजगढ़ से 1 किमी दूर वर्ष 2015 से संचालित अनुसूचित जाति जूनियर बालक छात्रावास पुष्पराजगढ़ में शौचालय का अब भी आभाव बना हुआ है यहां रह रहे आरक्षित नौनिहाल बच्चे नित्य क्रिया के लिये ठंडी, गर्मी, बरसात में जंगल की शरण लेने को मजबूर बने हुये हैं, ऐसे में ओडीएफ का तमगा बेमानी ही साबित होता दिखाई पड़ता है।

*खुले में शौच से मुक्त जिला*

सरकारी आंकड़ो में यह जिला खुले में शौच मुक्त बताया गया है  कागजों में ऐसा हुआ भी किन्तु इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है जिसकी बानगी प्री मैट्रिक जूनियर बालक छात्रावास पुष्पराजगढ़ समेंत प्राय: कई सरकारी विभाग अभी भी खुले में शौच से मुक्ति नही मिल पाई है।

*शौच के लिए छात्र जंगल मे जाने को मजबूर*

शौचालय के आभाव में जंगल का सहारा ले रहे हैं, ऐसा नही है कि छात्रावास में शौचालय नही है शौचालय है किन्तु उपयोग हेतु नही है, शौचालय की पाइप लाईन चोक है जिससे मजबूरन छात्रावास के बच्चों को नित्य क्रिया के लिये जान जोखिम में डाल जंगली जीव जंतुओं के बीच शौच के लिये जाना पड़ता है, प्रति वर्ष उक्त छात्रावास में अनुरक्षण/मरम्मत संधारण हेतु 50 हजार रूपये की वार्षिक राशि आती है, पर यह राशि बीते 7 वर्षो से कहां खर्च हो रही है यह समझ से परे है। 7 वर्ष से संचालित छात्रावास पर शौचालय का अभाव क्यो है।

*छात्रावास का हाल बेहाल*

छात्रावास में निवासरत बच्चे जिनकी संख्या वर्तमान में 48 है और सोने के लिये महज 25 बिस्तर वाला पलंग मौजूद है, ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रति बिस्तर दो छात्र सोते हैं, रही बात इन पलंगों की साईज की तो वह ढाई बाई पांच के हैं, जरा सोचिये एक फिट में बच्चे कैसे सोते होगें, जबकि बिस्तर सामग्री नवीन के लिये राशि विभाग द्वारा आबंटित की जाती है बावजूद इसके उक्त छात्रावास में निवासरत बच्चों का हाल बेहाल है।

*इनका कहना है*

हमें सभी मौसम में शौच के लिये जंगल में ही जाना पड़ता  है, रात में दिक्कत होती है जंगली जानवर भी नजर आते हैं, सांप, बिच्छू का भी भय बना रहता है।

*छात्र छात्रावास*

यह बात सत्य है कि उक्त छात्रावास में शौचालय का आभाव है, अधीक्षक द्वारा आला अधिकारियों को सूचना दी गई है, पर बजट के आभाव में आज तक नही बन पाई है।

*भोग सिंह मरावी बीईओ, पुष्पराजगढ़*

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