वैचारिक एवं सांगठनिक सत्र के साथ प्रलेस का राज्य सम्मेलन सम्पन्न, सेवाराम अध्यक्ष, तरुण गुहा महासचिव बने

वैचारिक एवं सांगठनिक सत्र के साथ प्रलेस का राज्य सम्मेलन सम्पन्न, सेवाराम अध्यक्ष, तरुण गुहा महासचिव बने


अनूपपुर 

मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ का दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन वैचारिक एवं सांगठनिक सत्र एवं नई कार्यकारिणी गठन के साथ संपन्न हो गया।अनुपम नगरी अनूपपुर में आयोजित सम्मेलन में देश-प्रदेश की नामी-गिरामी साहित्यिक दुनिया की हस्तियां अनूपपुर पधारी एवं साहित्य की दुनिया में एक नए युग की शुरुआत करने के प्रस्तावों के साथ संपन्न हो गई।20 नवंबर को सर्वप्रथम चंद्रकांत देवताले स्मृति वैचारिक सत्र आयोजित किया गया जिसमें प्रगतिशील लेखन आंदोलन चुनौतियां और दायित्व विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।इस सत्र में सर्वश्री रमाकांत श्रीवास्तव,सेवाराम त्रिपाठी,कुमार अंबुज,बाबूलाल दाहिया,गिरीश पटेल,सुरेश शर्मा धड़कन, डा.परमानंद तिवारी,अनिल करमेले,संदीप कुमार,शैलेन्द्र शैली,सुश्री आरती तथा अन्य उपस्थित साथियों ने अपने अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किए। इस सत्र की अध्यक्षता राजेन्द्र शर्मा ने की।सत्र का सफलतापूर्वक संचालन विनीत तिवारी ने किया।इसके पश्चात केदारनाथ सिंह स्मृति वैचारिक सत्र का आयोजन किया गया।जिसका विषय बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में लेखकों की भूमिका रहा।जिस पर डॉक्टर सुखदेव सिंह सिरसा,अरविन्द  श्रीवास्तव,तरुण गुहा नियोगी,विजेन्द्र सोनी,हरनाम सिंह,बाबूलाल दाहिया,शशिभूषण तथा अन्य उपस्थित साथियों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।मध्यप्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के आयोजित सत्र में सर्वसम्मति से महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्मशताब्दी वर्ष मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। 

प्रगतिशील लेखन आंदोलन चुनौतियां और दायित्व विषय पर तमाम विद्वानों ने वक्तव्य दिए।जिसमें डॉ.परमानंद तिवारी ने संगठन की चुनौतियों और लेखकों के दायित्व पर चर्चा की।आरती मिश्रा ने कहा कि सन 2 हजार के बाद सोशल मीडिया के विस्फोटक से लेखन के लिए चुनौतियां सामने आईं हैं।पवित्र सलाल पुरिया ने संगठन के लिए अनुशासन की आवश्यकता का उल्लेख किया।शैलेंद्र शैली ने स्वतंत्रता,समानता और सृजन तीन प्रमुख मूल्यों पर केंद्रित अपनी बात रखी।कवि कुमार अंबुज ने भी समय के साथ बदलाव की बात की।उन्होंने कहा कि सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां लेखकों की चुनौतियों से अलग नहीं है।साथ ही उन्होंने दलित,आदिवासी के साथ वैज्ञानिक चेतना पर अपनी बात रखी।विभूति नारायण राय ने लेखकों और कवियों के संकटों पर टिप्पणी करते हुए उनसे निपटने के लिए रचनात्मक औजारों का उपयोग करने को कहा।

वही बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में लेखकों की भूमिका पर आधारित था जिसमें प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.सुखदेव सिंह सिरसा ने कहा कि आज प्रतिबद्धता को भी कट्टरता के साथ देखा जा रहा। लेखकों को चयन करना होगा कि वे क्यों,कैसे और किसके लिए लिखें।उन्होंने कहा कि सत्ता और लेखकों का हमेशा से 36 का आंकड़ा रहा है। लेकिन बदलते राजनीतिक परिदृश्य में उनको सत्ता के प्रलोभनों से बचकर उस आंकड़े को बनाए रखना चाहिए। 

          दोनों सत्र के सफलतापूर्वक संचालन के बाद भोजन अवकाश हुआ।उसके पश्चात रजिया सज्जाद ज़हीर स्मृति सांगठनिक सत्र प्रारंभ किया गया।इस सत्र की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ मध्यप्रदेश के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने किया।जबकि कार्यक्रम का संचालन महासचिव शैलेन्द्र शैली ने किया।मंच पर प्रगतिशील लेखक संघ मध्यप्रदेश के अध्यक्ष मंडल और सचिव मंडल के सदस्य उपस्थित रहे।

इस सत्र में संगठन से संबद्ध विभिन्न मुद्दों पर उपस्थित साथियों ने विचार विमर्श किया।इस सत्र के मध्य एक अल्प अंतराल में निवृतमान प्रगतिशील लेखक संघ मध्यप्रदेश की कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई एवं धन्यवाद ज्ञापित किया गया।इस बैठक के बाद राज्य सम्मेलन में सम्मिलित प्रतिनिधियों द्वारा प्रगतिशील लेखक संघ मध्यप्रदेश की नई कार्यकारिणी का गठन नियमानुसार किया गया।जिसमें सर्वसम्मति से सेवाराम त्रिपाठी रीवा को अध्यक्ष बनाया गया महासचिव तरुण गुहा नियोगी जबलपुर, कोषाध्यक्ष सुधीर साहू ,सचिव मंडल सारिका श्रीवास्तव इंदौर, आरती भोपाल, सत्यम पांडे जबलपुर, दिनेश भट्ट छिंदवाड़ा, बिजेंद्र सोनी अनूपपुर, असद अंसारी मंदसौर, सतेंद्र रघुवंशी गुना, पी.आर. मलैया सागर, अनिल दरमेले भोपाल ,शिव शंकर सरस सीधी। इसके साथ ही 39  कार्यकारिणी सदस्यों की नियुक्ति की गई है।इसके अलावा संरक्षक मंडल में मलय,निहार स्नातक,के.बी.एल. पांडे, लज्जा शंकर हरदेनिया ,पूर्णचंद्र रथ, कुंदन सिंह परिहार, सुरेश शर्मा धड़कन, इसके साथ ही अध्यक्ष मंडल में रमाशंकर श्रीवास्तव, सुबोध श्रीवास्तव, राजेंद्र शर्मा, कुमार अंबुज, शैलेंद्र शैली, विनीत तिवारी, हरिओम राजोरिया, संतोष खरे, बाबूलाल दहिया, गिरीश पटेल, हरनाम सिंह, मोहन डेहरिया को स्थान मिला है।

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