प्यार व शादी का झांसा देकर नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 20 वर्ष की सजा

प्यार व शादी का झांसा देकर नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 20 वर्ष की सजा


अनूपपुर

विशेष न्यायाधीश अनूपपुर की न्यायालय ने विशेष प्रकरण थाना कोतवाली अनूपपुर के अपराध पर धारा 363, 366ए, 376, 376(2)(सी) भादवि एवं 3, 4, 5(जे)(II) पॉक्सोंं एक्टअ के आरोपी 19 वर्षीय नीरज पटेल पुत्र प्रकाश पटेल निवासी ग्राम छिल्पा थाना भालूमाडा को 20 वर्ष का सश्रम कारावास के साथ 5500/- रूपये का अर्थदण्ड की सजा सुनाई हैं। जिसमे धारा 363 भादवि में 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्डक, धारा 366 भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड , धारा 342 भादवि में 01 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये अर्थदण्ड , धारा 376(2)(झ) भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्ड , धारा 376(2)(एन) भादवि में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्डक, एवं धारा 5एल/6 पॉक्सों अधिनियम में 20 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये अर्थदण्डव से दण्डित किया है। जेल की सभी सजाएं एक साथ चलने के कारण आरोपी को 20 वर्ष का सश्रम की सजा सुनाई गई हैं, पैरवी विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सोथ) रामनरेश गिरि द्वारा की गई। विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) रामनरेश गिरि मंगलवार को बताया कि वर्ष 2018 की फरवरी माह में ग्राम फुनगा में हो रही भागवत में पहुंची पीडिता से नीरज पटेल की मुलाकात होने पर दोनों के मध्यम बात-चीत शुरू हुई, उसी दौरान नीरज ने पीडिता से कहा कि वह उससे प्यार मोहब्बत करता है और शादी करना चाहता है, परन्तुन पीडिता के द्वारा मना कर दिया, उसके बाद भी आरोपित शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा था, तब पीडिता ने मना कर दिया। जब पीडिता हायर सेकेण्ड्री परीक्षा का पेपर देकर स्कूल से बाहर निकली तो आरोपी उसे अपनी बाईक में बैठा कर एकांत जंगल की ओर ले जाकर खेत के सुनसान स्था‍न पर उसके साथ गलत काम करते हुए उसे वापस ग्राम फुनगा चौक पर छोड दिया। जब पीडिता पुन: 01 अप्रैल को स्कूल खुलने पर स्कूल जाने लगी तो पुन: अपनी बाईक में बैठाकर जंगल की ओर ले जाकर गलत काम करता था, उसके बाद भी उसके साथ जब भी मिलता था शारीरिक संबंध बनाता था, पीडिता को अपने गर्भवती होने पर उसे दर्द का एहसास हुआ तो उसने अपनी मां को बताई और अस्पताल में एक नवजात शिशु को जन्म दिया, जिसके संबंध में अस्पताल की सूचना प्राप्त होने पर पुलिस ने मामला पंजीबद्ध करते हुए पीडिता का परीक्षण एवं उसके नवजात शिशु का पंचनामा बनाते हुए पीडिता तथा उसके परिजन के कथन लेखबद्ध कर आरोपित को गिरफ्तार किया, सम्पूर्ण विवेचना पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां न्यायालय ने आरोपी को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। अभियोजन की ओर से मामले को साबित करने के लिए 20 गवाहों का परीक्षण एवं 32 दस्तावेजों को न्यायालय में प्रदर्शित कराया।

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