नाबालिक से दुष्कर्म करने वाले व दुष्कर्म में सहयोग करने वाले आरोपियो को आजीवन कारावास

नाबालिक से दुष्कर्म करने वाले व दुष्कर्म में सहयोग करने वाले आरोपियो को आजीवन कारावास 


अनूपपुर 

न्यायालय विशेष न्यायाधीश पास्को के न्यायालय के द्वारा आज दिनांक को प्रकरण क्रमांक 8/19 और थाना चचाई के अपराध क्रमांक 324/18 के आरोपी मोनू उर्फ सूरज साहू पिता ओमप्रकाश साहू और जयराम रवानी पिता रामनारायण रवानी दोनों निवासी बरगवां थाना चचाई जिला अनुपपुर को दुष्कर्म और दुष्कर्म के लिए सहयोग का दोषी पाते हुए आरोपी मोनू उर्फ सूरज साहू को अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम की धारा 3/2/5 के तहत आजीवन कारावास और पास्को अधिनियम के तहत 20 वर्ष के कारावास  तथा भारतीय दंड संहिता के धारा 363 के तहत 5 वर्ष का कारावास, 366 के तहत 7 वर्ष,  368 के तहत 5 वर्ष, 342 के तहत 1 वर्ष, 323 के तहत 1 वर्ष, 376 (1) के तहत 10 वर्ष और आरोपी जयराम रवानी को अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत आजीवन कारावास पास्को एक्ट के तहत 20 वर्ष सजा, भारतीय दंड विधान की धारा 376 के तहत 10 वर्ष, 368 के तहत 5 वर्ष, 342 के तहत 1 वर्ष सजा सुनाई गई है। प्रकरण में राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री रामनरेश गिरी द्वारा किया गया। 

         निर्णय की जानकारी अभियोजन मीडिया प्रभारी राकेश पाण्डेय ने देते हुए बताया कि प्रकरण राज्य शासन द्वारा गंभीर और सनसनी खेज के रूप मे घोषित किया गया था, जिसका विचारण न्यायालय में कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना और पुलिस अधीक्षक श्री अखिल पटेल के आवश्यक निर्देशों के साथ जिला अभियोजन अधिकारी के अभियोजन संचालन में हो रहा था, जिसमें अभियोजन ने मामले को साबित करने के लिए 28 गवाह और 39 दस्तावेज प्रस्तुत किये। प्रकरण की विवेचना एसडीओपी उमेश कुमार गर्ग द्वारा किया गया था।

         प्रकरण की संक्षिप्त कहानी यह है कि 24 नवम्बर 2018 को शाम 6 बजे पीड़िता किराना सामान लेने के लिए अपने घर से निकली थी। रास्ते में आरोपी मोनू मिला और उसे जबरदस्ती सह आरोपी जयराम के घर में रोककर कई बार दुष्कर्म किया और दूसरे दिन अपने घर ले जाकर कमरे में बंद करके पुनः दुष्कर्म किया। उसे खोजते हुए उसके परिजन आये, तब घटना की रिपोर्ट की गई। पीड़िता का मेडिकल हुआ। आरोपी के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर सम्पूर्ण विवेचना के बाद मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय में आरोपीगणों को दोषी पाते हुए उपरोक्त दंड से दंडित किया गया तथा दण्डादेश में पीड़िता को 5 लाख रुपये प्रतिकर देने का आदेश भी दिया है।

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