गांजा सहित आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार


उमरिया

जिले मे एक बार फिर पुलिस ने गांजे की बिक्री की कोशिश मे बैठे एक व्यक्ति को धर-दबोचा है। इस संबंध मे मिली जानकारी के अनुसार बीती रात मुखबिर से इस आशय की सूचना मिली थी कि अशोक साहू पिता भाई लाल साहू 38 निवासी ग्राम पथरहटा जिला उमरिया गांजा बेंचने की फिराक मे बैठा हुआ है। जिस पर थाना चंदिया पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते मौके पर पहुंच कर आरोपी को पकड़ लिया। तलाशी के दौरान उसके कब्जे से 1.660 किलो गांजा कीमती 16 हजार रूपये पाया गया। इस मामले मे आरोपी के विरूद्ध धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे न्यायालय मे पेश किया गया है।

महिलाओं ने सड़क पर धान रोपकर जर्जर सडक़ का किया विरोध


उमरिया

जिले के मानपुर जनपद मुख्यालय से करीब 9 किमी दूर बसे बडख़ेरा गांव मे महिलाओं ने मंगलवार को जर्जर सडक़ पर धान रोप कर विरोध प्रदर्शन किया। बताया जाता है कि गांव मे पक्की सडक़ नहीं होने से चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ पसरा हुआ है। जिससे लोगों का चलना मुश्किल है। बडख़ेरा के समहा टोला की हालत तो इतनी खराब है कि ग्रामीण अब घर से निकलने मे ही गुरेज करने लगे हैं। इस समस्या से शासन-प्रशासन को अवगत कराने ग्राम के चौधराईंन टोला की महिलाओं ने खिलाफत का यह तरीका अपनाया है। स्थानीय महिलाओं ने बताया कि गांव की कई समस्यायें वर्षों पुरानी हैं, लेकिन न सरपंच सुन रहा है और ना ही सचिव। यहां तक कि शासकीय विद्यालय मे बच्चों के लिये शौचालय तक नहीं है और वे खुले मे निस्तार के लिये विवश हैं। ग्रामीणो का मानना है कि उनके इस विरोध प्रदर्शन से हो सकता है कि जिम्मेदारों की नींद खुल जाय।

खटारा एम्बुलेंस बीच रास्ते धुंआ छोड़कर हुई बन्द, लोगो को मारना पड़ा धक्का, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल


शहडोल

सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से निःशुल्क 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करा रही है, ताकि आपात स्थिति में समय पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन शहडोल जिले की हकीकत इस दावे को पूरी तरह झुठलाती नजर आ रही है।एक मामला सिंहपुर रोड स्थित पोंडा नाला के पास सामने आया है, जहां 108 एंबुलेंस अचानक खराब हो गई। न केवल एंबुलेंस से धुआं निकलता दिखा, बल्कि वह सड़क पर ही बंद हो गई, जिससे उसे लोगों को धक्का देकर आगे बढ़ाना पड़ा। मौके पर मौजूद लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

यह दृश्य न केवल शर्मनाक है, बल्कि गंभीर सवाल भी खड़े करता है। कल्पना कीजिए अगर उस समय एंबुलेंस में कोई गंभीर मरीज होता तो क्या होता? क्या इस खस्ताहाल वाहन में बैठे मरीज की जान बच पाती? इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और सरकारी तंत्र की हकीकत उजागर कर दी है। जिले में चल रही कई 108 एंबुलेंसें लंबे समय से मेंटेनेंस के अभाव में चल रही हैं। न तो समय पर इनकी सर्विसिंग हो रही है और न ही वाहन की तकनीकी जांच की जाती है। जिससे एंबुलेंस दुर्घटना या खराबी की स्थिति में मरीजों के लिए खतरा बन जाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों की लागत से संचालित 108 सेवा की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या स्वास्थ्य विभाग इस पर ध्यान देगा या फिर ऐसे ही जर्जर वाहन लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे।

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