न्यायालय को गुमराह कर फर्जी फौती नामांतरण के मामले पर थाने में कब दर्ज होगा मामला


अनूपपुर/कोतमा 

जिले के कोतमा तहसील क्षेत्र अंतर्गत पटवारी हल्का रेउसा ग्राम रेउसा में भू माफिया अंजनी राव निवासी कोठी ने तत्कालीन हल्का पटवारी रेउसा मिथिलेश तिवारी  से सांठ-गांठ कर ग्राम पंचायत कोठी के सरपंच से कूटरचित दस्तावेज तैयार कराकर पुश्तैनी भूमि स्वामी स्व. गोविंद राव पिता भगवानदीन राव निवासी ग्राम  रेउसा वर्तमान निवासी बुढार जिला शहडोल की आराजी खसरे की भूमि का हड़पने के लिए ग्राम पंचायत कोठी के सरपंच से फर्जी सेजरा खानदानी प्रमाण पत्र एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराकर न्यायालय तहसील कोतमा में वारिसनामा  फौती नामांतरण का आवेदन प्रस्तुत दिया किया गया। जिसके बाद  न्यायालय तहसील कोतमा ने उक्त आराजी खसरे नम्बर की भूमियों का फौती नामांतरण भू माफिया अंजनी राव पिता जगदीश राव निवासी कोठी के नाम पर  भूमि का फौती नामांतरण कर दिया गया । भू माफिया अंजनी राव के नाम आराजी खसरे की भूमि फौजी नामांतरण होते ही भू माफिया ने ग्राम पंचायत रेउसा पंच राजू जायसवाल पिता बली जायसवाल, कमलेश जायसवाल पिता बली जायसवाल एवं गोमती जायसवाल को कई लाखों  रुपए में सौदेबाजी कर आनन-फानन में विक्रय कर रजिस्ट्री कर दी, इस फर्जीवाड़े की  जानकारी पुश्तैनी भूमि स्वामी गोविंद राव पिता भगवानदीन के सही वारिस अजय राव को लगी, तब कोतमा थाने में  लिखित शिकायत दर्ज कराई गई और  फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग की गई।।फर्जीवाड़े की पोल खुलता देख आनन-फानन में भू  माफिया अंजनी राव एवं पटवारी मिथिलेश तिवारी थाने पर समझौता करने के लिए जुट गए, इस फर्जीवाड़े में कहीं न कहीं  पटवारी मिथिलेश तिवारी की भूमिका संदेहास्पद  रही ,किन्तु  पटवारी को इस हाल मामले पर अभयदान दे दिया गया है और पटवारी अपने वर्तमान हल्के से कहीं और स्वयं स्थानांतरण करने के फिराक में लगे हुए हैं।

 बोलेरो कांड से मचा हड़कंप, अमन की मौत के अफवाह पर बंद का आह्वान, प्रशासन पर उठे सवाल


अनूपपुर/कोतमा

जिले के कोतमा नगर में बोलेरो वाहन से युवक अमन नामदेव को कुचलने की घटना के बाद पूरे नगर में आक्रोश फैल गया है। अमन गंभीर रूप से घायल होने के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था, जहां बाद में उसकी मृत्यु की अफवाह खबर ने नगरवासियों को झकझोर दिया। इस घटना के विरोध में नगर बंद का आह्वान किया गया, और पूरे जिले की पुलिस बल को आनन-फानन में कोतमा में तैनात कर दिया गया। प्रशासन की इस तत्परता पर नागरिकों ने सवाल उठाए हैं कि जब नगर में निरंतर अपराध हो रहे थे, तब प्रशासन ने कभी क्यों नहीं चेतना दिखाई? अपराधियों के विरुद्ध ढुलमुल कार्रवाई और बाहरी तत्वों के बढ़ते प्रभाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

नगरवासियों का आरोप है कि रेत, शराब, और अन्य व्यवसायों में लिप्त बाहरी कारोबारियों के विरुद्ध पुलिस ने कभी उनकी वैरिफिकेशन तक नहीं की। उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि पर भी ध्यान नहीं दिया गया।शुक्रवार को ढाबा के पास बोलेरो वाहन से कुचलने की घटना सामने आई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना किसी सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करती है। घटना के समय बोलेरो में कुल कितने लोग सवार थे, विवाद किन कारणों से हुआ था, क्या किसी शराब ठेकेदार ने जानबूझकर अमन को कुचलवाने का आदेश दिया, बोलेरो चालक ने किसके कहने पर वाहन चढ़ाया, क्या पुलिस को घटना का पूरा सच ज्ञात है, फिर भी वह मौन क्यों है, अब तक सभी नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए, पीड़ितों को न्याय के लिए कब तक प्रतीक्षा करनी होगी, क्या नेताओं की चुप्पी किसी दबाव की ओर इशारा करती है।

नगरवासियों का कहना है कि अब सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सच्चाई चाहिए। सिर्फ बयान नहीं, जवाबदारी चाहिए। अमन के साथ न्याय कब, न्याय के लिए जनता की आवाज़ बुलंद होनी चाहिए, वरना हर अमन ऐसे ही कुचले जाते रहेंगे, यह मामला न केवल एक युवक की कुचलने का है, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता, अपराधियों के संरक्षण और न्याय की मांग का प्रतीक बन गया है। नगरवासियों की आवाज़ अब प्रशासन को जवाबदेह बनाने के लिए गूंज रही है।

चीरघर बना कबाड़खाना, लगा कचरो का अंबार, नही हो रही साफ सफाई, प्रशासन नहीं ले रहा सुधि


अनूपपुर/अमरकंटक

जिले के प्रमुख पर्यटन एवं धार्मिक तीर्थ स्थल पवित्र नगरी अमरकंटक में मृतक जनों के किए जाने वाले शव विच्छेदन का घर चीरघर पूरी तरह से कबाड़ खाने में तब्दील हो गया है, पोस्टमार्टम किए जाने वाले भवन के अंदर की दशा देखने लायक है, वहां पूरी तरह से कचरा जमा हुआ है, साफ सफाई नहीं है, चीर घर में आवारा पशुओं ने अपना डेरा जमा लिया है। पवित्र नगरी अमरकंटक के चीर घर में दुर्दशा का आलम है, उक्त चीरघर में मृतक के शव को किन परिस्थितियों में विच्छेदन किया जाता होगा, इसका अंदाजा आप सहज ही लगा सकते हैं, बने कमरों के अंदर गंदगी का साम्राज्य है, अब उक्त भवन कबाड़ खाने की स्थिति में आ गया है, ना तो उक्त भवन का साफ सफाई की जाती और ना ही आवश्यक मरम्मत सुधार तथा उक्त भवन का रंग रोगन ही किया जाता है, इसके साथ ही उक्त चीज घर भवन के दरवाजे की हालत बहुत ज्यादा खराब है, भवन के साथ न्याय नहीं हो रहा आखिरकार चीरघर भवन की व्यवस्था की जिम्मेदारी किस विभाग के पास है, आखिर प्रशासन इस दिशा में क्यों ध्यान नहीं दे रहा । आवश्यकता पड़ने पर मृतक का शव को शायंकाल या रात्रि में उक्त चीर घर में रखा जाता है, चीरघर तक पहुंचने वाला रास्ता भी बेहद खराब हालत में है, क्या जिला प्रशासन या स्थानीय नगर परिषद अमरकंटक इस ओर ध्यान देकर आवश्यक कार्यवाही कर चीरघर का सुधार मरम्मत तथा साफ सफाई आदि करने की जहमत उठयेगा। या फिर उसे इस हाल में रहने देगा, क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि चीर घर का कायाकल्प करने हेतु प्रयास करेंगे।

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