नगर पालिका का दसकों पूर्व निर्मित मेला ग्राउंड स्टेज को कब्जा करने खोद दिया सीमा रेखा
नगर पालिका का दसकों पूर्व निर्मित मेला ग्राउंड स्टेज को कब्जा करने खोद दिया सीमा रेखा
शहडोल
बाणगंगा मेला मैदान में चबूतरा करीब पांच दशक पहले प्रधानमंत्री की भाषण के लिए बनाया गया था बाद में इसमें संशोधन भी हुआ और इसे और व्यवस्थित किया गया, तब तक इसका कोई मालिक नहीं आया। वैसे तो यह पूरा क्षेत्र करीब 200 साल से बाण गंगा मंदिर मेला परिषद का माना जाता रहा, करीब हजार साल पहले बनी विराट मंदिर के पास लग रहे मेले में यहां स्थापित रूप से तब यह जंगल रहा होगा। हालांकि बाण गंगा का मेला डिंडोरी अमरकंटक आसपास के क्षेत्र तक प्रसिद्ध था और उसकी भीड़ आती थी।
करीब 1000 वर्ष से चले आ रहे हैं विराट मंदिर परिसर क्षेत्र की करीब हजार वर्ष पूर्व स्थापित मेल परिषद की जमीन निजी क्षेत्र के लोगों को दे दी जाती है, अब तो लोकतंत्र आने के बाद 50 साल पहले जहां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसके बाद चौधरी चरण सिंह इत्यादि के लिए स्टेज बनाया गया था, ताकि मेला मैदान में आम सभा हो सके। अब उसे स्टेज को यानी उसे मंच को ही नगर पालिका परिषद की नेतागिरी ने तथाकथित जमीन मालिक के हवाले कर दिया है। इससे मेला मैदान का रकबा जो लगातार छोटा हो रहा था और भीड़ बढ़ती जा रही थी, वह और छोटा हो गया। आने वाले समय में इतना छोटा हो जाएगा कि इस मेला मैदान में दुर्घटनाएं बढ़ती ही चली जाएगी। कई दशक पुराना नगर पालिका का यह स्टेज को किसी व्यक्ति ने ट्रेंच खोलकर स्टेज को अपने अंदर करने का प्रयास किया या कर लिया है कहा जा सकता है उसका संबंध है सोहागपुर से है और नगरी प्रशासन के संयुक्त संचालक कार्यालय में फर्जी तरीके से एंट्री पा गया है। इसलिए अब अफसर और नेता मिलकर माफिया बने और नगर पालिका की कब्जे की जमीन को दूसरे के आधिपत्य में कब्जा करा रहे हैं।
मान भी ले की मेला ग्राउंड का स्टेज किसी का रहा तो क्यों इसका अधिग्रहण अभी तक नहीं किया गया..? जबकि नगर पालिका क्षेत्र में भीड़ बढ़ती जा रही है मेला तब कहां लगेगा यह क्यों नहीं सोचा या परिषद में बैठे नेता और अधिकारी मान बन चुके हैं भविष्य में भीड़ के कारण जो दुर्घटनाएं होगी उसमें जो लोग मरेंगे अपनी मौत मरेंगे…. फिलहाल को लाखों ले-देकर के कब्जा उपर ही ऊपर सौंप दिया है। बेहतर हो कि प्रशासन सतर्क होकर के कब्जा कर रहे लोगों से मेला ग्राउंड को सुरक्षित करने का प्रयास करें और संयुक्त संचालक कार्यालय में बैठे हुए किसी भी व्यक्ति को माफिया बनने से रोके।