बटुकों के सामूहिक उपनयन संस्कार में स्वामी लवलीन महाराज होंगे मुख्य अतिथि

*अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को आशीर्वाद गार्डन में होगा संस्कार आयोजन*


अनूपपुर

आगामी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया भगवान परशुराम जयंती के पावन अवसर पर अनूपपुर में बटुकों के सामूहिक उप नयन संस्कार का आयोजन वार्ड क्रमांक 13 ,अमरकंटक चौक के पास आशीर्वाद मैरिज गार्डन में किया जाएगा। परमहंस आश्रम अमरकंटक के संत स्वामी श्री लवलीन महाराज इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। ब्राम्हण समाज सेवा समिति अनूपपुर के अध्यक्ष श्री राम प्रकाश द्विवेदी और महामंत्री एडवोकेट श्री अनिल तिवारी ने संयुक्त रुप से जानकारी देते हुए बतलाया कि ब्राह्मण समाज सेवा समिति अनूपपुर के गणमान्य पदाधिकारियो एवं सदस्यों द्वारा समाज कल्याण के लिये आगामी 30 अप्रैल को भगवान परशुराम जन्मोत्सव एवं उपनयन संस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जिसके मुख्य अतिथि स्वामी श्री लवलीन महाराज , परम हंस आश्रम शाखा अमरकंटक ,  अध्यक्षता जगत् गुरु महाराज श्री दंडी महाराज जी हनुमान जी धाम खाम्हीडोल द्वारा किया जाएगा । कार्यक्रम आशीर्वाद मैरिज गार्डन अमरकंटक चौक बस्ती रोड अनूपपुर में प्रातः 7:00 बजे से प्रारम्भ कर दिया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपनयन संस्कार की 

संपूर्ण तैयारी कर ली गई है । जिसमें जिले भर से शामिल  51 बटुकों का उपनयन संस्कार किया जाएगा।  तत्पश्चात  दोपहर 1:00 बजे सहभोज कार्यक्रम उपरांत सायं 5:00 बजे से भगवान भगवान परशुराम की शोभा यात्रा अमरकंटक चौक से इंदिरा चौक,  शंकर मंदिर होते हुए किया जाएगा। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रेम कुमार त्रिपाठी ,संरक्षक ब्राह्मण समाज सेवा समिति, रामनरेश त्रिपाठी वरिष्ठ अधिवक्ता , शंभू प्रसाद शर्मा, पूर्व महामंत्री ब्राह्मण समाज सेवा समिति, प्रमोद शर्मा संरक्षक ब्राह्मण समाज सेवा समिति, प्रवीण द्विवेदी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष, सुधा शर्मा संरक्षक ब्राह्मण समाज सेवा समिति के आतिथ्य मे मंचीय कार्यक्रम किया जाना तय हुआ है  ।

अध्यक्ष एवं महामंत्री द्वय ने जिले के सभी ब्राह्मण बन्धुओं माताओं बहनों एवं भाइयों से विनम्र अपील की है। कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित होकर उपनयन  संस्कार एवं भगवान परशुराम जन्मोत्सव कार्यक्रम को सफल बनाएँ |

वन परिक्षेत्र में आग से जलकर खाक हो रही मैकल की सुंदर वादियाँ, जिम्मेदार मौन

*प्रणाम नर्मदा युवा संघ द्वारा वनों को बचाने के लिए किया जा रहा दिनरात प्रयास*


अनूपपुर

मध्य प्रदेश का हिल स्टेशन कहा जाने वाला, मां नर्मदा की उद्गम स्थली अमरकंटक अपने शीतलता और सुरम्य वातावरण के लिए जाना जाता रहा है किंतु वर्तमान में अमरकंटक का तापमान औसत से कई गुना अधिक हो चुका है। अंधाधुंध कंक्रीट निर्माण और जंगलों का आज इसका प्रमुख कारण है। इन दिनों अमरकंटक के जंगल आग से झुलस रहे हैं। इस वर्ष फरवरी माह से ही आग जानी की घटनाएं आने लगी थी, तब से लेकर अब तक लगातार इस तरह की घटनाएं लगातार देखने को मिल रही हैं।

*आखिर आग लगने के कारण क्या है?*

वनों में आग लगने के विभिन्न कारण होते हैं, यह क्षेत्र और स्थान के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। अमरकंटक क्षेत्र में आग लगने के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं, आग लगने का सबसे बड़ा कारण वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत मिलने वाले भूमि पट्टा की लालच में ग्रामीणों द्वारा आग लगा कर खेत बनाया जा सके, यह अधिनियम वनों में पीढ़ियों से निवासरत जनजाति समूहों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर वन अधिकार पट्टा देने का प्रावधान है किंतु सरकार और राजनीतिक पार्टियों द्वारा इसे चुनावी एजेंडा बनाकर ग्रामीणों में लालच को बढ़ा दिया है। इसी लालच के परिणाम स्वरूप वन भूमि को कब्जा करने हेतु सफाई करने के उद्देश्य वनों की तराई में आग लगाया जाता है जो पूरे जंगल को जलाकर राख कर दे रहा है, दूसरा कारण मशरूम (पिहरी/ पुटु) से संबंधित है, ग्रामीणों का मानना है कि आग लगने से अत्यधिक पिहरी/ मशरूम का उत्पादन होगा जबकि यह एक मिथक है। आग लगने का एक बड़ा कारण ग्रामीणों द्वारा पशुओं को चराने हेतु रास्ते के लिए लैंटाना को साफ करने के उद्देश्य से आग लगा दिया जाता है। आग लगने के अन्य कारण भी हैं जैसे महुआ बनने के उद्देश्य से, बड़ी सिगरेट पीकर फेक देने से, वन विभाग की कार्रवाई से नाराज ग्रामीणों द्वारा वन रक्षकों से बदला लेने के उद्देश्य से तथा शिकार करने के लिए पत्तों को साफ करने के उद्देश्य तथा जंगली जानवरों को मारने के उद्देश्य आग लगाई जाती है।

*प्रशासन की भूमिका विचारणीय*

जिला प्रशासन तथा वन विभाग को आगजनी की घटनाओं से निपटने हेतु हाई अलर्ट पर रहना चाहिए था, ऐसी परिस्थितियों में भी वन विभाग अपने पुराने रवैया से कार्य कर रहा है, जिसमें सामान्य दिनों के जैसे ही मानव संसाधन की कमी होने के साथ, ही संसाधनों की कमी आग में काबू पाने के लिए नाकाम साबित हो रही है। प्रशासन द्वारा प्रदत्त ब्लोअर मशीन आए दिन खराब हो रहे हैं, सीमित संख्या के मशीन हजारों हेक्टर के वन भूमि को संरक्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, दमकल की गाड़ियां वनों तक पहुंचने में सक्षम नहीं है तथा समय पर उपलब्ध न होने के कारण सड़क के किनारे वाले जंगल भी नहीं बचा पा रहे हैं।

*वनों को बचाने में प्रनयुस का सराहनी प्रयास*

प्रणाम नर्मदा युवा संघ संस्था शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के विषय पर कर रहा है, संस्था द्वारा वनों को आग से बचाने के लिए गांव-गांव में सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं, साथ ही आग लगने की स्थिति पर युवाओं की टोली जंगलों में पहुंचकर आग बुझाने का भी कार्य करती है। वन परिक्षेत्र अमरकंटक के बिजोरी बीट में विगत दिन में लगे भयानक आग को काबू पाने के लिए युवा संघ के 35 सदस्यों की दल द्वारा रात 9 बजे से 1 तक आग बुझाने की कड़ी मशक्कत करके आग में काबू पाया गया।

 करोड़ों की शासकीय भूमि का मामला सिर्फ नोटिस तक सिमटा, दबंगो को आलीशान बंगला बनाने की खुली छूट

*शासकीय भूमि पर कब्जा कर रहे दबंगो पर, तहसीलदार साहब मेहरबान*


अनूपपुर

जिले के जनपद जैतहरी अंतर्गत विशिष्ट ग्राम कैलौरी की बेस कीमती शासकीय भूमि पर  दबंगो का कब्जा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। मध्य प्रदेश शासन की 17 एकड़ भूमि पर अब ऊर्जा नगरी के बाहुबलियो द्वारा अतिक्रमण कर खुलेआम निर्माण कार्य भी किया जा रहा है, और निर्माण भी ऐसा कि आपकी आंखें  चौधिया जाए, खसरा नंबर 1595 भू अभिलेखो में भले ही शासकीय भूमि के रूप में दर्ज हो, लेकिन यहां लगातार हो रहे भवन निर्माण आलीशान कोठियां खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं, कि निश्चित ही दाल में कुछ काला है या फिर यू कहे की तहसीलदार  साहब के संरक्षण में सारा खेल चल रहा है, तो यह कहना भी गलत ना होगा, पूर्व में जिले के पूर्व कलेक्टर नंद कुमारम को सूचना मात्र मिलने से ही इसी शासकीय भूमि पर  निर्माण कार्य बंद हो गया था, वहीं दूसरी ओर तहसीलदार साहब को शिकायत करने के बावजूद भी दो दर्जन से अधिक दबंगो का निर्माण कार्य फल फूल रहा है।                            

*इन्हें थमाई गई नोटिस*             

नोटिस नोटिस के इस खेल में 3 माह पहले तहसील कार्यालय से जारी हुई 248 की नोटिस मे, संजय सिंह बघेल, लाला सारंगिया, जाहिद खान, चेतन नहर, जाहिदा खातून, प्रदीप ताम्रकार, शोएब खान, राजन गुप्ता ,विजय सिंह, गुल मोहम्मद, प्रमोद कोल, विद्यावती कोल सहित अन्य कई दबंगो के नाम भी शुमार हैं।

*सुविधा शुल्क देकर भूमि पर कब्जा*

ग्राम पंचायत कैलौरी की विशिष्ट ग्राम होने की वजह से यहां की भूमि का मूल्यांकन 80 से 90 हजार रुपए डिसमिल लगभग 90 लाख रुपए एकड़ की कीमत होना बताया गया है, लेकिन अतिक्रमण करने वाले दबंगो को  यह कीमत नहीं देनी होती है और ना ही मूल्यांकन के आधार पर भूमि पर लगने वाला रजिस्ट्री शुल्क देना होता है, सिर्फ स्थानीय नेता एवं राजस्व अमले को सुविधा शुल्क देकर बड़े ही आसानी से करोड़ों रुपए की भूमिका का वारा न्यारा हो जाता है

*आखिर किसके इशारे पर हो रहा कब्जा*

बिना किसी दबाव के यदि ईमानदारी से काम करने का मौका राजस्व विभाग के किसी छोटे कर्मचारियों को भी मिल जाए तो मध्य प्रदेश शासन की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने की पहल करने के लिए एक पटवारी ही सक्षम होता है, लेकिन खसरा नं 1595 में हो रहे अतिक्रमण की लगातार शिकायत करने की बावजूद भी राजस्व अमले की कार्रवाई पूरी तरह जीरो दिख रही है, क्षेत्र में जन चर्चा की एक स्थानीय नेता के इशारे पर बेस कीमती शासकीय भूमि हड़पने की योजना को अमली जामा पहनाने में पटवारी से लेकर उच्च आधिकारी तक शामिल है, नेताजी की पेशकश पर संबंधित अधिकारियों को इस करोडो की भूमि का लाखों पहुंचा जा रहा है, तभी तो मामला सिर्फ नोटिस तक सीमित है।

*सीएम हेल्पलाइन की शिकायत भी बेअसर*

इस पूरे मामले को लेकर ऊर्जा नगरी के स्थानीय वरिष्ठ जनों ने अतिक्रमण कर रहे हैं दबंगो के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन 181 में शिकायत दर्ज करवाई थी लेकिन षड्यंत्रकारी नेताजी के रसूख एवं अधिकारियों की मनमानी के आगे यह शिकायत भी बौनी साबित हुई तहसीलदार साहब द्वारा इन सभी शिकायतों को को संतुष्टि के आधार पर नहीं बल्कि मनमानी तरीके से बंद करवा दिया।

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