करोड़ों की शासकीय भूमि का मामला सिर्फ नोटिस तक सिमटा, दबंगो को आलीशान बंगला बनाने की खुली छूट
*शासकीय भूमि पर कब्जा कर रहे दबंगो पर, तहसीलदार साहब मेहरबान*
अनूपपुर
जिले के जनपद जैतहरी अंतर्गत विशिष्ट ग्राम कैलौरी की बेस कीमती शासकीय भूमि पर दबंगो का कब्जा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। मध्य प्रदेश शासन की 17 एकड़ भूमि पर अब ऊर्जा नगरी के बाहुबलियो द्वारा अतिक्रमण कर खुलेआम निर्माण कार्य भी किया जा रहा है, और निर्माण भी ऐसा कि आपकी आंखें चौधिया जाए, खसरा नंबर 1595 भू अभिलेखो में भले ही शासकीय भूमि के रूप में दर्ज हो, लेकिन यहां लगातार हो रहे भवन निर्माण आलीशान कोठियां खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं, कि निश्चित ही दाल में कुछ काला है या फिर यू कहे की तहसीलदार साहब के संरक्षण में सारा खेल चल रहा है, तो यह कहना भी गलत ना होगा, पूर्व में जिले के पूर्व कलेक्टर नंद कुमारम को सूचना मात्र मिलने से ही इसी शासकीय भूमि पर निर्माण कार्य बंद हो गया था, वहीं दूसरी ओर तहसीलदार साहब को शिकायत करने के बावजूद भी दो दर्जन से अधिक दबंगो का निर्माण कार्य फल फूल रहा है।
*इन्हें थमाई गई नोटिस*
नोटिस नोटिस के इस खेल में 3 माह पहले तहसील कार्यालय से जारी हुई 248 की नोटिस मे, संजय सिंह बघेल, लाला सारंगिया, जाहिद खान, चेतन नहर, जाहिदा खातून, प्रदीप ताम्रकार, शोएब खान, राजन गुप्ता ,विजय सिंह, गुल मोहम्मद, प्रमोद कोल, विद्यावती कोल सहित अन्य कई दबंगो के नाम भी शुमार हैं।
*सुविधा शुल्क देकर भूमि पर कब्जा*
ग्राम पंचायत कैलौरी की विशिष्ट ग्राम होने की वजह से यहां की भूमि का मूल्यांकन 80 से 90 हजार रुपए डिसमिल लगभग 90 लाख रुपए एकड़ की कीमत होना बताया गया है, लेकिन अतिक्रमण करने वाले दबंगो को यह कीमत नहीं देनी होती है और ना ही मूल्यांकन के आधार पर भूमि पर लगने वाला रजिस्ट्री शुल्क देना होता है, सिर्फ स्थानीय नेता एवं राजस्व अमले को सुविधा शुल्क देकर बड़े ही आसानी से करोड़ों रुपए की भूमिका का वारा न्यारा हो जाता है
*आखिर किसके इशारे पर हो रहा कब्जा*
बिना किसी दबाव के यदि ईमानदारी से काम करने का मौका राजस्व विभाग के किसी छोटे कर्मचारियों को भी मिल जाए तो मध्य प्रदेश शासन की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने की पहल करने के लिए एक पटवारी ही सक्षम होता है, लेकिन खसरा नं 1595 में हो रहे अतिक्रमण की लगातार शिकायत करने की बावजूद भी राजस्व अमले की कार्रवाई पूरी तरह जीरो दिख रही है, क्षेत्र में जन चर्चा की एक स्थानीय नेता के इशारे पर बेस कीमती शासकीय भूमि हड़पने की योजना को अमली जामा पहनाने में पटवारी से लेकर उच्च आधिकारी तक शामिल है, नेताजी की पेशकश पर संबंधित अधिकारियों को इस करोडो की भूमि का लाखों पहुंचा जा रहा है, तभी तो मामला सिर्फ नोटिस तक सीमित है।
*सीएम हेल्पलाइन की शिकायत भी बेअसर*
इस पूरे मामले को लेकर ऊर्जा नगरी के स्थानीय वरिष्ठ जनों ने अतिक्रमण कर रहे हैं दबंगो के खिलाफ सीएम हेल्पलाइन 181 में शिकायत दर्ज करवाई थी लेकिन षड्यंत्रकारी नेताजी के रसूख एवं अधिकारियों की मनमानी के आगे यह शिकायत भी बौनी साबित हुई तहसीलदार साहब द्वारा इन सभी शिकायतों को को संतुष्टि के आधार पर नहीं बल्कि मनमानी तरीके से बंद करवा दिया।