रेलवे कॉलोनी में सफाई व्यवस्था ठप्प, ठेकेदार की लापरवाही,लोग परेशान, रेलवे प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल

रेलवे कॉलोनी में सफाई व्यवस्था ठप्प, ठेकेदार की लापरवाही,लोग  परेशान, रेलवे प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल


अनूपपुर

कोतमा रेलवे कॉलोनी में स्वच्छता व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है और स्थिति यह है कि यहां निवास करने वाले रेलवे कर्मचारी और उनके परिवार गंदगी, बदबू और बीमारी के खतरे के बीच रहने को मजबूर हैं। रेलवे प्रबंधन द्वारा हर वर्ष सफाई व्यवस्था के लिए लाखों रुपये का ठेका दिया जाता है, लेकिन उसके बावजूद कॉलोनी की स्थिति बदतर होती जा रही है। स्थानीय लोग इस स्थिति को रेलवे प्रबंधन और सफाई ठेकेदार की घोर लापरवाही का नतीजा बताते हैं।

कॉलोनी में जगह-जगह कचरे के ढेर जमा हैं और लंबे समय से इन्हें हटाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। नालियाँ पूरी तरह जाम पड़ी हैं और उनमें से गंदा पानी निकलकर सड़कों पर फैल जाता है। इससे लोगों को रोजमर्रा के आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगह तो सड़कें कीचड़ और दुर्गंध का केंद्र बन चुकी हैं। बरसात के दिनों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि पानी जमा होकर कई दिनों तक उसी तरह पड़ा रहता है

कॉलोनी में उगी झाड़ियाँ भी बड़ी समस्या बन चुकी हैं। इन झाड़ियों में जहरीले जीव-जंतु आसानी से छिप जाते हैं। रेल कर्मचारियों के अनुसार पिछले कुछ महीनों में सांप और बिच्छू कई घरों में घुस चुके हैं, जिससे कॉलोनी में रहने वाले परिवारों में डर का माहौल बना हुआ है। लोग बच्चों को अकेला बाहर खेलने देने से डरने लगे हैं और सुबह-शाम घर से बाहर निकलते समय भी अत्यधिक सतर्कता बरतनी पड़ रही है।

रेलवे कॉलोनी में रहने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि ठेकेदार का स्टाफ केवल दिखावे के लिए थोड़ी बहुत सफाई करता है और फिर रिपोर्ट में पूरा क्षेत्र साफ दर्शाकर फाइल बन्द कर दी जाती है। कचरा निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने के कारण अक्सर कचरे को जलाकर खत्म किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान उठने वाला धुआं कॉलोनी के घरों में भर जाता है। इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी, आँखों में जलन और दमा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है।




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