घटिया रेत, सरिया से बनी बांऊण्डी बाल की दीवार हुई तिरछी, अधिकारियों की संरक्षण में चल रहा गुणवत्ताविहीन कार्य
उमरिया
गुणवत्ता का पैमाना माना जाने वाली रेलवे के निर्माण कार्य भी आज घटिया कार्यों की मंजिलें गढने की इबारतें लिख रहा है, तभी तो रेलवे के निर्माण कार्य भी घटिया पन की बलि चढते नजर आ रहें हैं। कभी रेलवे की गुणवत्ता मानक की मिसाल पेश की जाती रही है, बदलते परिवेश ने रेलवे के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को लील लिया, और रेलवे के निर्माण कार्य भी अत्यंत घटिया पूर्व और कमायी के जरिया बनकर उभरें है। निर्माण कार्यो में गुणवत्ता मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है, नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में चल रहें बाऊण्डी बाल और नाली निर्माण कार्य को देखने में प्रयुक्त होते वाली घटिया सामग्री हर एक के आंखों में चुफ रही है। लोहे की प्रयुक्त सरिया और मीट्टी युक्त रेत ठेकेदार के घटिया काम की पोल खोल कर रख दी है।ठेकेदार के इन कामों को देखकर लगता है कि यह सिर्फ शासकीय धन राशि को डकारने से ज्यादा कुछ कार्य एजेंसी करना नहीं चाहती। बताया जाता है कि बाऊण्डी बाल में सरिया का प्रयोग धरातल से न कर दो ढाई फीट ऊपर से लगायी गई है, जबकि किसी भी निर्माण कार्य में ऐसा होता नहीं है। जंग युक्त लोहे की सरिया और मिट्टी युक्त रेत से निर्मित यह बाऊण्डी बाल और नाली की उम्र क्या होगी, इसको लेकर निर्माण काल से ही सवाल उठाये जाने लगे हैं, लेकिन जिन रेलवे के अधिकारियों की जिम्मेदारी घटिया पन कार्य को रोकने की होती है वह तो उन ठेकेदारो की कृपा बरसाते नजर आ रहें हैं।अगर उनकी कृपा भरी दृष्टि न होती तो घटिया निर्माण कार्य में रोक नहीं लगायी जाती है । रेलवे की बन रही बांऊण्डी बाल की दीवार देखने में वह पूरी तरह से टेढ़ी -मेढ़ी और लहराई हुई नजर आ रही है। यह निर्माण कार्य शासकीय धन राशि की होली खेलने से ज्यादा कुछ साबित नहीं होगा । विदित होवे पिछले दिनों नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में नव निर्मित ओभर बिज इसी गुणवत्ता हीन होने का दंश आम नागरिक उठा रहे हैं। रेलवे के अधिकारी भी आज के परिवेश ठेकेदारो की गुलामी के आदी हो गयें है, तभी तो रेलवे जैसे संवेदनशील विभाग में बोर्ड लगाने जैसी आवश्यक पैमाना को लगभग गायब ही कर दिया गया है, जिसको देखकर कार्य की मूल भूत जानकारी का आंकलन लगाया जा सकें। यहाँ से शुरू हुआ अनियमितता का खेल आखिर तक छल कपट गुणवत्ता हीन पूरा कर शासकीय धन राशि को हडप कर ठेकेदार चलते बनते हैं और उसकी त्रासदी लोग वर्षों भुगतते रहते हैं। अपेक्षा है कि उच्च रेल प्रबंधन मामले की गंभीरता से लेते हुए गुणवत्ता युक्त कार्य कराने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी।
