तानसेन आ जाओ तुमसे बहुत प्यार करता है, ये इमली का पेड़ तुम्हारी बहुत याद करता है
*तानसेन की इमली का पेड़*
तानसेन आ जाओ तुमसे बहुत प्यार करता है।
ये इमली का पेड़ तुम्हारी बहुत याद करता है।
ये मजार पर खड़ा तुम्हारा इंतजार करता है।
ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।
जब समाधि से तानों की
आवाज तुम्हारी आती,
शिल्प कला से मिलने को
संगीत कला आ जाती।
संत मौहम्मद गौस मकबरा फिर गूंजा करता है।
ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।
जब तुम राग बसंत सुनाते
ये फागुन ले आता,
दीपक राग सुनाते तो गर्मी
का मौसम लाता,
मेघ राग सुनते ही सावन की मल्हार गाता है,
ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।
सदियों से तुमसे मिलने को
कलाकार आते हैं,
तुम्हें नमन कर इस इमली के
पत्ते भी खाते हैं।
इसका रस गाने वालों का स्वर मीठा करता है,
ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।
आओगे इक दिन मजार से बाहर ये कहता है,
ये इमली का पेड़ तुम्हारी याद बहुत करता है।
*गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर*
