नपा लकड़ी यार्ड में कहाँ से आई लकड़ी, बिना टीपी लकड़ी ढुलाई पर गंभीर सवाल, वन अमले की भूमिका संदिग्ध
शहडोल
जिले के नगर पालिका धनपुरी के लकड़ी यार्ड में जमा लकड़ी को लेकर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्थानीय सूत्रों और सामने आई जानकारी के अनुसार यह लकड़ी किस वैध स्रोत से आई, इसका कोई स्पष्ट रिकॉर्ड सामने नहीं है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आरोप है कि नगर पालिका धनपुरी की गाड़ियों से लगातार लकड़ी की ढुलाई की गई, वह भी बिना टीपी (ट्रांजिट परमिट) के।
सूत्रों का दावा है कि यह पूरी गतिविधि वन परिक्षेत्र बुढार के अंतर्गत हुई और इसमें वन परिक्षेत्र अधिकारी सलीम खान की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि बिना टीपी लकड़ी ढुलाई मौखिक सहमति से होती रही, जिससे वन नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई।
बिना टीपी लकड़ी किस जंगल/क्षेत्र से लाई गई?नगर पालिका की गाड़ियों का उपयोग किस आदेश पर किया गया?क्या यह सब वरिष्ठ अधिकारियों के इशारे पर हुआ अगर सब वैध था, तो टीपी और दस्तावेज़ सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए?
वन अधिनियम के अनुसार बिना टीपी लकड़ी का परिवहन गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद अगर सरकारी गाड़ियों से लकड़ी ढोई गई, तो यह सिर्फ अवैध कारोबार नहीं बल्कि प्रशासनिक संरक्षण की आशंका को भी जन्म देता है। अब सवाल यह नहीं है कि लकड़ी ढुलाई हुई या नहीं,सवाल यह है कि किसके इशारे पर हुई, और जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
जनता मांग कर रही है कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो लकड़ी के स्रोत, परिवहन और उपयोग से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं दोषी पाए जाने पर वन और नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब तक धनपुरी लकड़ी यार्ड और वन परिक्षेत्र बुढार की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में बनी रहेगी।
