धमोखर रेंज के विवादित डिप्टी रेंजर पर राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों की बरस रही कृपा
*दशकों से एक ही जगह काट रहे चांदी*
उमरिया
मध्य प्रदेश के बहु प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में शासन व्दारा जारी स्थानांतरण नीति के पालन के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है, सामान्यतः शासन के तबादला नीति में एक शासकीय कर्मचारी के लिए एक स्थान पर एक पद पर अधिकतम 3 वर्ष की अवधि तय की गयी है, लेकिन इसके पालन में राष्ट्रीय उद्यान के आला अधिकारियों की भेदभाव पूर्ण कार्यशैली दुधारू गाय का काम कर रही है। तभी तो किसी कर्मचारी को बीच सत्र में ही प्रभार सौंपने के आदेश जारी कर उसका शोषण करते है तो कुछ कर्मचारियों को दशकों तक एक ही स्थान पर रखकर अवैध कमायी का जरिया बना रखा है। विदित हो की उमरिया जिला स्थित बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र के धमोखर रेंज के सकरिया बीट सर्किल रायपुर में पिछले एक दशक से एक ही स्थान पर पदस्थ डिप्टी रेंजर उमेश बर्मन अंगद के पैर बनकर जमे हुए हैं, एक डिप्टी रेंजर का एक ही स्थान पर दशकों की पद स्थापना का मामला तबादला नीति के पालन कारी अधिकारियों के कार्यशैली संबंधित कर्मचारी के साथ ही कदाचरण की श्रेणी में आता है। नियम विरुद्ध इस पद स्थापना के लिए एक गंभीर मामला मानते हुए प्रशासनिक स्तर समीक्षा होनी चाहिए की इस दौरान किन कर्मचारियों की कितनी बार तबादला हुआ और इन्हें आखिर कार इस तबादला से क्यों बचाया गया, तथा दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही किया जाना चाहिए, लेकिन बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व क्षेत्र के अधिकारियों को सब कुछ पता होने के बाद भी आखिर डिप्टी रेंजर पर क्यो मेहरबानी दिखा रहे हैं।
राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के धमोखर वन परिक्षेत्र की सकरिया बीट सर्किल रायपुर में प्रभारी डिप्टी रेंजर की संलिप्तता की शिकायतें पूर्व में भी प्रकाश में आयी थी की इनकी संलिप्तता से सागौन के घने जंगल वीरान बन गये हैं। सागौन,साल जैसे इमारती वृक्षों की अवैध और अधाधुंध कटाई का गिरोह राष्ट्रीय उद्यान के अस्तित्व को मिटाने में लगा हुआ है। इतना ही नहीं रेत चोरी का मामला भी इन्ही के कारगुजारियों में से एक है। राष्ट्रीय उद्यान के क्षेत्र में होने के कारण आये दिन पालतू पशुओं के मौत की घटनाये हर दिन की घटनाओं में से एक हो गयी है। मध्यप्रदेश सरकार के व्दारा पालतू पशुओं के नुकसानी पर गरीब जनता को मिलने वाली मुआवजा राशि के बदले श्रीमान की कलम तभी आगे बढेगी जब पशुओं से हाथ धो चुका गरीब साहब की मुराद पूरी कर दे, अन्यथा गरीब के हाथ शासन व्दारा दी जाने वाली राहत राशि से भी हाथ धोना पड़ेगा।पशुओं के हानि होने पर पैसे मांगने के सीधे आरोप विभाग के ऊपर गम्भीर सवाल खड़े कर रहे हैं, उधर राष्ट्रीय उद्यान के जिम्मेदार अधिकारियो ने जांच के नाम पर व्यापक पैमाने पर लीपापोती कर अपने चहेते डिप्टी रेंजर को बचाने का बीड़ा उठा लिया है। आखिर कार उच्च अधिकारियों के नयनों के पलक बने इस डिप्टी रेंजर को बचाने के लिए प्रबंधन कब तक लुका छिपी का खेल खेल कर बचाता रहेगा। अपेक्षा है की वरिष्ठ अधिकारी इनकी कारगुजारियों से पर्दा उठा कर कानूनी कार्रवाई करें,वरना राष्ट्रीय उद्यान खेल का मैदान बनकर रह जायेगा।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के डायरेक्टर डॉ0 अनुपम सहाय से बात की गई तो उनका कहना था कि अब आप बोल रहे हैं तो मैं पता कर लूंगा, मूझे याद नही है कि वो व्यक्ति कब से है। हटाने की नीति है, लेकिन हर कोई नही हटता डायरेक्टर साहब को अपने ही कर्मचारी का नाम नही पता कहा जो भी शिकायतें है, जांच कराई जाएगी। इस जांच में कोई आँच आएगी या फिर इसी तरह से डिप्टी रेंजर के ऊपर अधिकारियों की कृपा बरसती ही रहेगी।
