नर्मदा तट पर बसा गांव बना संत-महात्माओं की तपोभूमि, प्रकृति की गोद में आध्यात्मिक केंद्र के रूप में उभरता गांव
अनूपपुर
पवित्र नगरी अमरकंटक से लगभग 15 किलोमीटर दूर हरे भरे पहाड़ियों से आच्छादित अत्यंत शांत प्रिय कल कल निनाद करती मां नर्मदा की जलधारा तट से निकलते हर हर नर्मदे करते नर्मदा परिक्रमा वासी ऐसे मनोरम वादियों के तराई में बसा हुआ। मां नर्मदा के पावन तट पर स्थित छोटा सा गांव दमगढ आज अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ अपनी गहरी आध्यात्मिक पहचान के कारण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी विशेष रूप से जाना जाने लगा है। चारों ओर फैली हरियाली, शांत वातावरण और कल-कल बहती नर्मदा की निर्मल धारा इस गांव को एक अलौकिक अनुभूति प्रदान करती है। यही कारण है कि यहां देश के विभिन्न हिस्सों से संत-महात्मा साधना और तपस्या के लिए पहुंचते हैं।
नर्मदा नदी के किनारे बसा दमगढ़ गांव प्रकृति की गोद में स्थित एक ऐसा शांत और पवित्र स्थल है, जहां कदम रखते ही मन को अद्भुत शांति का अनुभव होता है। गांव के आसपास घने जंगल, छोटी-बड़ी पहाड़ियां और स्वच्छ वातावरण इस क्षेत्र को एक तपोस्थली के रूप में विशेष पहचान दिलाते हैं। वर्षों से संत-महात्मा यहां नियमित रूप से आकर ध्यान, साधना और तपस्या करते आ रहे हैं। उनकी उपस्थिति से गांव का वातावरण और भी अधिक धार्मिक एवं आध्यात्मिक बन गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि यहां का प्राकृतिक परिवेश ध्यान और अध्यात्म के लिए अत्यंत अनुकूल है। साधु-संतों के निरंतर आगमन से गांव में भजन-कीर्तन, ध्यान-साधना और धार्मिक आयोजनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इससे न केवल गांव का आध्यात्मिक महत्व बढ़ा है, बल्कि पूरे क्षेत्र में धार्मिक चेतना का भी व्यापक प्रसार हुआ है।।
हर वर्ष गांव में धार्मिक अनुष्ठान, ध्यान शिविर, हवन-पूजन और श्रद्धालुओं का आगमन लगातार बढ़ रहा है। इसका सकारात्मक प्रभाव स्थानीय आर्थिक गतिविधियों पर भी देखने को मिल रहा है। श्रद्धालुओं और साधकों के आगमन से छोटे व्यापार, आवास, भोजन व्यवस्था और स्थानीय सेवाओं को बढ़ावा मिला है, जिससे ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। यह गांव एक आध्यात्मिक साधना स्थल और शांत धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है।
