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नप अध्यक्ष के खास पीएम आवास योजना में अपात्र लोग हुए पात्र, 10 लाख का मकान, वाहन फिर भी है गरीब
*मामला नगर परिषद बरगवां अमलाई का*
अनूपपुर
फर्जी तरीके से पात्रता पर्ची बनवाकर औद्योगिक इकाइयों में ओरिएंट पेपर मिल कागज कारखाना, सोडा कास्टिक यूनिट में कार्य कर रहे संपन्न लोग प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र हितग्राही के रूप में सूची में नाम दर्ज है।
नगर परिषद बरगवां के वार्ड क्रमांक 3 में ओरिएंट पेपर मिल और मध्य प्रदेश शासन एवं स्थानीय निवासियों की भूमि पर अवैध कब्जा करते हुए भवन निर्माण कार्य किए हुए लोग साथ ही भूमिहीन बनकर मुख्यमंत्री भू अधिकार( पट्टा) लेकर एक बार नहीं दो बार नहीं तीसरी बार प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन करते हुए इस योजना का लाभ लेने की तैयारी में नगर परिषद द्वारा बनाई गई सूची में उनके नाम दर्ज हैं, जो की जांच का विषय है।
कौन है जो इस प्रकार शासन की योजनाओं पर पात्र हितग्राहियों को लाभ से वंचित कर रहा है और ऐसे लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ दिल रहा है। वार्ड क्रमांक 3 में अवैध रूप से रह रहे उद्योगों में कर्मचारी सर्व संपन्न सुविधायुक्त होने के बावजूद भी भूमि एवं स्थानीय पुश्तैनी निवासियों को मिलने वाले लाभ से वंचित करते आ रहे हैं। बरगवां वार्ड क्रमांक के आदिवासी बाहुल्य होने के साथ आज भी शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है, लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण नगर परिषद के जनप्रतिनिधि और उनके दलालों के कारण आज की स्थिति में पीएम आवास की तैयार की गई सूची पर नामी गिरामी सेठ साहूकार और रहीसों के नाम शामिल किए गए हैं।
पूर्व में आवास योजना का लाभ उठाएं लोग पुन: आवास योजना का लाभ लेने की तैयारी में सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार नगर परिषद के अध्यक्ष के रहनुमो का प्रधानमंत्री आवास की सूची में सर्वाधिक नाम दर्ज हैं।
जबकि नगर परिषद के मुख्य नगर पंचायत अधिकारी को विधिवत पूर्व में ग्राम पंचायत बरगवां जनपद पंचायत जैतहरी से गरीबों के रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले बीपीएल कार्ड धारी के नाम की सूची का अवलोकन करते हुए पूर्व में जिन हितग्राहियों को आवास योजना का लाभ मिल चुका है, उसके आधार पर जिन्हें आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया, ऐसे लोगों का चयन करना चाहिए, लेकिन नगर परिषद के नुमाइंदों की भर्रेशाही की वजह से फर्जी तरीके से पात्रता पर्ची दिलवा कर अपात्र लोगों को अब प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी जनकल्याणकारी योजना का लाभ भी दिलाने की फिराक में है। जिसके कारण आज ऐसे लोग जो भूमिहीन एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं वह इस योजना के लाभ से वंचित रह गए हैं।
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हार्ट अटैक के पीडित मरीज को किया गया एयरलिफ्ट, इलाज के लिए भेजा गया एम्स भोपाल
अनूपपुर
प्रत्येक जीवन अमूल्य है और इसी भावना के साथ आपातकालीन स्थिति के दौरान उन्नत चिकित्सा सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सुविधा प्रारंभ की गई है। इसके तहत अनूपपुर जिले के डोला नगर परिषद के निवासी 50 वर्षीय श्री विश्वनाथ गोस्वामी को माइनर अटैक आने के कारण प्रातः 11ः30 बजे, जिला मुख्यालय स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय हैलीपैड से एयर एम्बुलेंस द्वारा सुरक्षित रूप से एम्स भोपाल रवाना किया गया। मरीज के साथ उनके पुत्र भी गए हैं।
श्री गोस्वामी पिछले एक वर्ष से किडनी की बीमारी से ग्रसित थे। जिला चिकित्सालय अनूपपुर में डायलिसिस के दौरान उन्हें अचानक माइनर अटैक आने पर उनकी स्थिति गंभीर हो गई। स्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन के कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दिलीप जायसवाल के विशेष प्रयास तथा कलेक्टर श्री हर्षल पंचोली के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग की टीम के सहयोग एवं समन्वय द्वारा मरीज श्री विश्वनाथ गोस्वामी को उच्च स्तरीय इलाज उपलब्ध कराने हेतु आज एयरलिफ्ट कर एम्स भोपाल भेजा गया।
आपातकालीन सेवा के इस त्वरित और संवेदनशील उपयोग से मरीज को तुरंत उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सकी। मरीज के परिजनों ने इस समय पर मिली एम्बुलेंस सेवा और प्रशासनिक सहयोग के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया है।
इस पूरी प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी के अलावा जिला प्रशासन, जिला चिकित्सालय, नगरपालिका की टीम ने सराहनीय योगदान दिया। पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि संकट की घड़ी में सरकार की यह पहल आमजन के लिए उम्मीद की नई किरण बन रही है।
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यातायात नियमों का उल्लंघन कर रहे ट्रक पर 70 हजार का जुर्माना
अनूपपुर
सड़क सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के निर्देश पर यातायात पुलिस द्वारा सख्त चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रहे एक ट्रक वाहन पर बड़ी कार्यवाही की गई है।
चेकिंग के दौरान ट्रक क्रमांक CG 10 BP 5531 को यातायात नियमों का उल्लंघन ( नेशनल परमिट की शर्तों का उल्लंघन, प्रदूषण प्रमाण पत्र न होना आदि) करते पाए जाने पर रोककर दस्तावेजों एवं सुरक्षा मानकों की जांच की गई। आवश्यक नियमों का पालन न करने पर ट्रक को मौके पर ही जब्त कर प्रकरण तैयार कर अग्रिम कार्यवाही हेतु भेजा गया, जहां से वाहन संचालक पर 70 हजार का जुर्माना अधिरोपित किया गया।
सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने तथा वाहन चालकों को नियमों के पालन के लिए प्रेरित करने हेतु जिलेभर में विशेष जांच अभियान निरंतर जारी रहेगा। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर आगे भी इसी प्रकार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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भारतीय मानव अधिकार सहकार ट्रस्ट के जिला अध्यक्ष ने 995 किलो दूर पहुँचकर पीड़िता की मदद
शहडोल
भारतीय मानव अधिकार सहकार ट्रस्ट के जिला अध्यक्ष रामनारायण मिश्र ने पीड़ित आदिवासी महिला की मदद कर मानवता की मिसाल पेश की है। मानव अधिकार के जिला अध्यक्ष ने जानकारी देते हुए बताया एक बार फिर से दिल्ली आना हुआ उन्होंने बताया हमारे ग्रह क्षेत्र गोहपारू शहडोल के बगल के गांव धोंनहा की आदिवासी समाज की सीधी-साधी महिला संतोषी सिंह जिनका बड़ा बेटा पुणे में काम करने गया था, जहां वह काम कर रहा था, उसी कंपनी से उसका मोबाइल फ़ोन चोरी हो गया, जिसे कोई अज्ञात व्यक्ति उपयोग करने लगा था, उसने इनके मोबाइल सिम से किसी के खाते फ्रॉड कर43 लाख रु की राशि आहरण कर ली थीं, पीड़ित व्यक्तियो ने थाना सेक्टर 20 नोएडा दिल्ली में पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जांच के दौरान थाना नोएडा ने पाया कि जिस धोखाधड़ी में उक्त सिम का उपयोग हो रहा है वह हमारे गांव की आदिवासी महिला संतोषी सिंह का नंबर था, जिन्हें किसी प्रकार की इस घटना के संबंध में कोई जानकारी भी नहीं थी, थाना गोहपारू के नोटिस के माध्यम से पीड़ित आदिवासी महिला को दिल्ली नोएडा आने की हिदायत दी गई, जिन्हे लेकर मेरा दिल्ली नोएडा थाना सेक्टर 20 आकर पीड़िता की मदद की, ताकि पीड़ित निर्दोष महिला ऐसे संगीन अपराध से बच सके, मानव अधिकार के जिला अध्यक्ष ने समस्त नागरिक से अपील की है की सभी नागरिक जन सावधानी पूर्वक अपने मोबाइल का उपयोग करे और इस तरह के हादसों के शिकार होने से बचे, इसके पहले भी रामनारायण मिश्रा ने 2000 किलोमीटर दूर पहुंचकर बेंगलुरु में भी एक पीड़ित आदिवासी की मदद कर समाज को सहयोग करने का संदेश दिया था, एक बार फिर से अपने निवास से 995 किलोमीटर दूर पहुंचकर जिला अध्यक्ष ने मानवता की अनुपम मिसाल पेस की है समाज सदा ऐसे समाजसेवियों का ऋणी रहेगा।
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शासकीय निर्माण में लग रहा चोरी का सामान, छात्रावास की नींव में उपयोग की जा रही अवैध रेत
अनूपपुर
जिस प्रशासन पर अवैध उत्खनन रोकने की जिम्मेदारी है, उसी प्रशासन के नाक के नीचे सरकारी भवन के निर्माण में चोरी की रेत का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। मामला फुनगा क्षेत्र का है, जहाँ गोडारू नदी को माफियाओं ने चारागाह बना लिया है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस अवैध रेत का उपयोग किसी निजी मकान में नहीं, बल्कि प्यारी क्रमांक-1 में बन रहे कस्तूरबा गांधी छात्रावास में किया जा रहा है।
पयारी क्रमांक-1 में निर्माणाधीन कस्तूरबा गांधी छात्रावास के ठेकेदार द्वारा सरकारी राजस्व (रॉयल्टी) की चोरी की जा रही है। नियमानुसार, सरकारी निर्माण कार्यों में वैध खदान की रॉयल्टी वाली रेत लगनी चाहिए, लेकिन मुनाफे के लालच में ठेकेदार गोडारू नदी के प्यारी, देखल और अमलाई घाटों से रात के अंधेरे में अवैध उत्खनन करवा रहा है। सवाल उठता है कि क्या संबंधित इंजीनियर और अधिकारियों को इस "काले खेल" की जानकारी नहीं है, या सब कुछ मिलीभगत से चल रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, गोहरारू नदी में मशीनें और ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात गरज रहे हैं। नदी का प्राकृतिक स्वरूप पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है। फुनगा पुलिस की गश्त इन रास्तों पर नदारद रहती है और खनिज विभाग शिकायत के बाद भी मौके पर नहीं पहुँचता। ग्रामीणों का आरोप है कि यह चुप्पी इशारा करती है कि माफियाओं के तार बहुत ऊपर तक जुड़े हैं।
कस्तूरबा गांधी छात्रावास के निर्माण में लग रही रेत की रॉयल्टी रसीद (TP) की जांच अब तक क्यों नहीं की गई। जब पयारी, देखल और अमलाई में खुलेआम जेसीबी चल रही है, तो खनिज विभाग ने अब तक क्यों नहीं की। सरकारी निर्माण में अवैध सामग्री का उपयोग होने पर निर्माण एजेंसी/ठेकेदार पर कार्यवाही कब होगी।
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बिगड़ती कानून-व्यवस्था, प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमराई- मनीष श्रीवास्तव
शहडोल
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि, मध्यप्रदेश एक बार फिर उस दर्दनाक घटना से दहल उठा है, जिसने न केवल समाज को झकझोर दिया, बल्कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था की कमजोरियों को भी बेनकाब कर दिया। छह वर्ष की एक मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी ने हर संवेदनशील नागरिक को भीतर तक चोट दिया है। यह घटना सिर्फ अपराध की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की विफलता की भी कहानी कहती है, जो नागरिकों विशेषकर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदार होती है। घटना के पांच दिन बाद, जब जनआक्रोश सड़क पर उतर आया, तब कहीं जाकर पुलिस ने आरोपी की खोजबीन तेज की। यह देरी अपने क्या मध्यप्रदेश की कानून-व्यवस्था इतनी सुस्त हो चुकी है कि लोगों के दबाव के बिना वह हरकत में नहीं आती।
मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि,प्रदेश की शासन व्यवस्था में गृह विभाग वह कड़ी है जो कानून-व्यवस्था का सीधा और सबसे बड़ा दायित्व निभाता है। लेकिन इस बार एक और सवाल चर्चा में है वह यह कि पिछले सात दशकों में पहली बार ऐसा हुआ है जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने इतने लंबे समय तक गृह मंत्रालय अपने पास रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विकास योजनाओं, उद्योगों, निवेश, शिक्षा और कई अन्य क्षेत्रों पर खुद निगरानी रखते हुए लगातार सक्रिय दिखाई देते हैं। लेकिन यदि विकास योजनाओं में व्यस्तता बढ़ रही है, तो सवाल उठता है क्या उन्हें गृह विभाग का महत्वपूर्ण दायित्व किसी सक्षम मंत्री को नहीं सौंप देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि,राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट मध्यप्रदेश के लिए चिंता का गंभीर विषय है। प्रदेश लगातार उन राज्यों की सूची में शामिल है जहां नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराधों की संख्या सबसे अधिक है। रिपोर्ट बताती है कि दुष्कर्म, छेड़छाड़, अपहरण और यौन शोषण के मामलों में मध्यप्रदेश की स्थिति चिंताजनक है।
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शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा जारी परीक्षा परिणाम को लेकर कुलगुरु को सौंपा ज्ञापन
शहडोल
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद शहडोल नगर द्वारा शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा में मनमानी ढंग से परीक्षा परिणाम एवं अन्य 10 विषयों को लेकर कुलगुरु को नगर मंत्री अमन त्रिपाठी द्वारा विश्वविद्यालय में व्याप्त विभिन्न समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया गया।
स्नातक एवं स्नातकोत्तर की परीक्षाएं आज दिनांक से 4 से 6 माह पूर्व अयोजित की गई थी किन्तु परिणाम घोषित होने में इतना विलम्ब क्यों।इतने विलंब के बाद भी अधिकतम विद्यार्थियों के परिणाम withheld या 0 नंबर दिखाई दे रहा हैं जिसमें कही न कही विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी नजर आ रही हैं, जिसका प्रमुख कारण आनन फानन में जारी किया गया परिणाम प्रतीत होता हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा कॉलेशन के नाम पर बिना किसी आदेश के मनमाने पूर्वक बिना किसी अनुभव के शिक्षकों को लगाया गया जो कि परीक्षा परिणाम जैसे विषय की गोपनीयता को भंग करना प्रतीत होता हैं।
जल्दबाजी में जारी किए गए परीक्षा परिणाम में विद्यार्थियों के पूर्व में जारी परिणाम के दिनांक और अंक एक हैं जो पूर्व में दिए गए एटीकेटी और अभी के परिणाम दोनों ही एक हैं 6जिसके कारण यह प्रतीत होता हैं कि परिणाम में कोई बदलाव न कर उसे पुराना परिणाम ही दे दिया गया हैं। बी आर कंप्यूटर कंपनी के द्वारा जो सॉफ्टवेयर दिया गया हैं जो कि विद्यार्थियों के लिए लिंक दी जाती हैं वो कभी कभी काम नहीं करती है जिसके कारण विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।विश्वविद्यालय द्वारा रिटोटलिंग एवं रिवॉल्यूशन जिसकी फीस बहुत ज्यादा है जिसको तत्काल रूप से कार्रवाही करते हुए कम किया जाए। 7 दिवस के अंदर संज्ञान में नहीं लिया गया तो अभाविप उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी
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सड़क पर गड्ढे या गड्डे पर सड़क डोला तिराहा बना 'हादसों व मौत का अड्डा', हमेशा होटी है घटना
*कॉलरी प्रबंधन व नगर परिषद की बड़ी लापरवाही*
अनूपपुर
बिजुरी से मनेन्द्रगढ़ मार्ग पर स्थित डोला तिराहा की सड़क नहीं, बल्कि यह नगर परिषद डोला और कॉलरी प्रबंधन की घोर आपराधिक अनदेखी का खुला प्रमाण है। गहरे और चौड़े गड्ढों में तब्दील यह व्यस्त तिराहा हर दिन दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। दोनों ही जिम्मेदार संस्थाओं की इस लापरवाही के कारण कभी भी कोई बड़ी जनहानि या सामूहिक दुर्घटना होने की आशंका प्रबल हो गई है और जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पलडा झाड़ते दिखाई दे रहे हैं।
बिजुरी-मनेन्द्रगढ़ मार्ग पर स्थित डोला तिराहा की सड़क नहीं, बल्कि यह नगर परिषद डोला और कॉलरी प्रबंधन की घोर आपराधिक लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण बन चुका है। गड्ढों की वजह से जर्जर हो चुकी यह सड़क अब 'यमदूत' का काम कर रही है। इन दोनों जिम्मेदार संस्थाओं की मिलीभगत और अनदेखी ने क्षेत्र की जनता को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है, जिसके चलते किसी भी वक्त बड़ी घटना होने की आशंका पैदा हो गई है।
डोला तिराहा क्षेत्र से कॉलरी का भारी परिवहन गुजरता है, जिससे यह स्पष्ट है कि सड़क की बदहाली के लिए कॉलरी प्रबंधन सीधे तौर पर जिम्मेदार है, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह सड़क को दुरुस्त रखे। वहीं क्षेत्र के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और मार्ग को यातायात योग्य बनाए रखना नगर परिषद डोला का कानूनी दायित्व है। नगर परिषद कहती है कि यह कॉलरी क्षेत्र है और कॉलरी प्रबंधन कहता है कि यह नगर परिषद की सीमा में आता है।
भारी कोयला ट्रकों के गुजरने और गड्ढों के कारण अक्सर छोटे वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं। स्थानीय निवासियों का डर है कि किसी भी दिन इन ट्रकों की टक्कर से कोई यात्री बस या कई दोपहिया वाहन चालक एक साथ शिकार हो सकते हैं, जिससे बड़ी जनहानि हो सकती है।
इनका कहना है।
हमारे द्वारा सड़क बनाने हेतु फंड की डिमांड मंत्री व कलेक्टर से की गई है, फंड सैंक्शन होते ही हमारे द्वारा सड़क बनवाई जाएगी, साथ ही बड़े-बड़े गड्डो को हमारे द्वारा लेबलिंग करवाई जाती है, लेकिन कॉलरी के कोयले लोड भारी ट्रक चलने से 24 घंटे में ही सड़क टूट जाती है।
*राजेश मार्को, सीएमओ डोला*