एम्बुलेंस व्यवस्था चरमराई सीएचसी से जुड़े दर्जनों गाँवों के मरीजों को हो रही है परेशानी
अनूपपुर
जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) परासी से जुड़े दर्जनों गाँवों के लिए एम्बुलेंस की अनुपलब्धता ने स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोर नब्ज को एक बार फिर उजागर कर दिया है। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, जमीनी स्तर पर मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
परासी सीएचसी आसपास के कई गाँवों के हजारों निवासियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों, गर्भवती महिलाओं और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अक्सर त्वरित इलाज के लिए एम्बुलेंस सेवा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन यही सेवा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जब भी उन्हें एम्बुलेंस के लिए 108 पर कॉल करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि आस-पास कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है। इसकी वजह से मरीजों को निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। कई बार तो समय रहते इलाज न मिल पाने की स्थिति भी बन जाती है।
एक ग्रामीण छोटे लाल यादव ने बताया कि मेरे पिता की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। हमने 108 पर कई बार फोन किया, लेकिन हर बार जवाब आया कि एम्बुलेंस खाली नहीं है। आखिरकार पड़ोसियों की मदद से हम उन्हें कार में लेकर अस्पताल पहुंचे अगर देर हो जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था, एक अन्य महिला ने कहा गाँव में प्रसूति के मामले में तो हालात और भी डरावने हो जाते हैं। रात के समय तो एम्बुलेंस मिलने की उम्मीद ही नहीं रहती। सरकार अस्पताल तो बना देती है, लेकिन उस तक पहुंचने का जरिया नहीं है।
