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नगरपरिषद अध्यक्ष पति छोटे को नही मिला कमीशन तो गाली गलौज करके थमा दिया फर्जी नोटिस 

*नगरपरिषद की कार्यशैली कटघरे में*

अनूपपुर। 

जिले में लगातार भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके बरगवां अमलाई नगर परिषद में इन दिनों गरीबों को सताया जा रहा है, यहां पर अध्यक्ष पति परिवार वाले अपना पुराना बदला निकालने का पूरा प्रयास किया जाता है, एक मामला हाल ही में अभी सामने आया है जहां नगर परिषद के एक कर्मचारी के द्वारा फर्जी नोटिस देकर अच्छे लाल एवं रवि टेंट वाले को परेशान किया गया और उसे अपना घर बनाने से भी रोका गया। बताया जा रहा है कि अच्छे लाल रवि टेंट हाउस लगातार अपने काम में व्यस्त रहते हैं,  इनके द्वारा नगर परिषद अध्यक्ष पति का बात ना सुनने एवं उसके चुनाव प्रचार में काम न करने की वजह से उनसे खुन्नस निकाल कर उनको यातना दी जा रही है, अच्छे लाल के परिवार जनों ने बताया कि मैं अपने घर का छत ढलवा रहा था और तभी अध्यक्ष पति छोटे आया और गाली देकर कहा कि तुम यहां पर छत नहीं बनाओगे अपनी दादागिरी दिखाते हुए बाकायदा नगर परिषद के आउटसोर्स कर्मचारी से नोटिस देकर काम रोकने को कहा गया, वहीं नोटिस में किसी प्रकार का ना कोई क्रमांक का उल्लेख है और ना ही किसी प्रकार का कोई दिनांक अंकित है, इससे साफ जाहिर है कि लगातार नगर परिषद में फर्जी नोटिस बांट कर लोगों को डराया धमकाया जा रहा है। जिला प्रशासन लगातार इनके कारनामों को देख रही है और चुप्पी साधे हुए हैं, साथ में सीएमओ किसी भी प्रकार से अध्यक्ष पति को रोकते नहीं हैं, लगातार इनके द्वारा हरी झंडी दी जाती है, जबकि विधि संगत कार्यवाही हो तो अच्छा लगता है, लेकिन यहां पर विधि संगत कोई कार्रवाई नहीं होता है, फर्जी नोटिस देकर लोगों को परेशान किया जाता है। रवि ने बताया कि मुझे लगातार परेशान किया जाता है और मेरे परिवार जनों को बोला जाता है कि अगर काम नहीं रोकोगे तो अच्छा नहीं होगा, गाली देते हुए जबरन दबाव बनाया जाता है, अब जिला प्रशासन इस पर क्या कार्यवाही करती है, क्या अध्यक्ष पति का रवैया इसी तरह से रहेगा क्या पूरी तरह से उनकी हुकुमत चलेगी, जबकि इन पर कोई कार्रवाई नही हुई है, जबकि अतिक्रमण की अगर कार्यवाही देखी जाए तो सबसे ज्यादा अतिक्रमण अध्यक्ष परिवार के लोगों ने की है, जिसकी कार्यवाही आज भी लंबित है। मामला बरगवां अमलाई नगर परिषद के पेट्रोल पंप और राइस मिल से जुड़ा हुआ है जो की रेलवे भारत सरकार की जमीन पर इनके द्वारा अतिक्रमण करते हुए निर्माण किया गया है, साथ ही इनके द्वारा भारत के प्रतिष्ठित कंपनी बिरला की जमीन पर अपना खुद का आशियाना बनाया हुआ है क्या इन सब मामलों पर कार्यवाही होगी या इसी तरह से गरीबों को सताया जाएगा और अध्यक्ष पति के हौसले बढ़ते रहेंगे।

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रिहायशी इलाके में पहुँचा भालू, भूख के कारण कचरे से खाना ढूंढकर खाया खाना, दहशत का माहौल

अनूपपुर

जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास सिकुड़ते जा रहे हैं। जिस वजह से आए दिन वन्यजीव जानवर भोजन की तलाश में रिहायशी इलाके का रुख कर रहे हैं। यही कारण है कि मानव और उनके बीच द्वन्द बढ़ता जा रहा है। अनूपपुर से इसी से जुड़ा एक मार्मिक वीडियो सामने आया है, जहां भूख से बेहाल एक भालू रहवासी जगह पहुंच गया और कचरे में खाना ढूंढकर अपनी भूख शांत करता दिखा। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

दरअसल, ताजा मामला नगर परिषद डोला के वार्ड क्रमांक 04 का है, जहां देर रात एक बड़ा भालू रिहायशी इलाके में पहुंच गया। खाने की तलाश में भटकता यह भालू घरों के बाहर पड़े कचरे के ढेर तक आ पहुंचा और पैकेट में रखी खाने की सामग्री को खाता रहा। इस दौरान आसपास के लोग दहशत में घरों के भीतर कैद रहे। 

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भालू कुछ देर तक मोहल्ले में घूमता रहा और फिर कचरे के ढेर से खाने का सामान चुन-चुनकर खाता रहा। इस दौरान एक युवक ने साहस दिखाते हुए दूर से ही भालू की गतिविधियों का वीडियो अपने मोबाइल में कैद कर लिया, जो अब सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। 

लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जंगली जानवर भोजन की तलाश में आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं, जिससे स्थानीय निवासियों में लगातार डर का माहौल बना हुआ है। घटना की जानकारी वन विभाग को दे दी गई है। विभागीय टीम ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है और लोगों को रात में बाहर न निकलने और कचरा खुले में न फेंकने की अपील की है। भालू की यह चौंकाने वाली मौजूदगी और उसका वायरल वीडियो अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है।

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एम्बुलेंस व्यवस्था चरमराई सीएचसी से जुड़े दर्जनों गाँवों के मरीजों को हो रही है परेशानी

अनूपपुर 

जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) परासी से जुड़े दर्जनों गाँवों के लिए एम्बुलेंस की अनुपलब्धता ने स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोर नब्ज को एक बार फिर उजागर कर दिया है। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, जमीनी स्तर पर मरीजों को बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

परासी सीएचसी आसपास के कई गाँवों के हजारों निवासियों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों, गर्भवती महिलाओं और दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अक्सर त्वरित इलाज के लिए एम्बुलेंस सेवा की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। लेकिन यही सेवा सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरी है स्थानीय निवासियों का आरोप है कि जब भी उन्हें एम्बुलेंस के लिए 108 पर कॉल करते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि आस-पास कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं है। इसकी वजह से मरीजों को निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ता है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। कई बार तो समय रहते इलाज न मिल पाने की स्थिति भी बन जाती है।

एक ग्रामीण छोटे लाल यादव ने बताया कि मेरे पिता की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। हमने 108 पर कई बार फोन किया, लेकिन हर बार जवाब आया कि एम्बुलेंस खाली नहीं है। आखिरकार पड़ोसियों की मदद से हम उन्हें कार में लेकर अस्पताल पहुंचे अगर देर हो जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था, एक अन्य महिला ने कहा गाँव में प्रसूति के मामले में तो हालात और भी डरावने हो जाते हैं। रात के समय तो एम्बुलेंस मिलने की उम्मीद ही नहीं रहती। सरकार अस्पताल तो बना देती है, लेकिन उस तक पहुंचने का जरिया नहीं है।

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ट्रकों से अवैध धान परिवहन पर प्रशासन की चुप्पी, संगठित माफिया का नेटवर्क सक्रिय

*प्रतिदिन हजारो क्विंटल धान जा रहा है छत्तीसगढ़*

अनूपपुर/कोतमा

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में अवैध धान की ढुलाई खुलेआम होने के बावजूद जिला प्रशासन और कलेक्टर द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई न किया जाना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। सीमावर्ती क्षेत्रों में नाकाबंदी नहीं, रात में वाहनों की चेकिंग नहीं, गोदामों की नियमित जांच नहीं और परिवहन व्यवस्था की निगरानी न होना प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। स्थानीय जानकारों का कहना है कि कलेक्टर की यह चुप्पी धान माफिया के लिए “ग्रीन सिग्नल” बन चुकी है।

अनूपपुर, कोतमा, बिजुरी, आमाडांड, निगवानी, कोठी, छाता, भालूमाड़ा, चोलना, जैतहरी, वैकुंठनगर और अमरकंटक क्षेत्र में प्रतिदिन समर्थन मूल्य से कम दाम पर धान खरीदा जा रहा है, जिसे रात होते ही ट्रकों में भरकर खुले रास्तों से सीधे छत्तीसगढ़ भेज दिया जाता है। बताया जा रहा है कि अनूपपुर से छत्तीसगढ़ तक अवैध धान परिवहन का रूट पूरी तरह सक्रिय है और यह कोई छिपा हुआ कार्य नहीं, बल्कि संगठित नेटवर्क के तौर पर संचालित हो रहा है।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि खरीदा गया धान पहले गोदामों में भर दिया जाता है और रात होते ही केलहारी, मरवाही सहित छत्तीसगढ़ के अन्य इलाकों की ओर धड़ल्ले से भेज दिया जाता है। स्थिति यह है कि धान परिवहन के लिए ट्रकों की लंबी कतारें रात के अंधेरे में सीमा पार करती देखी जा सकती हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई रोक-टोक या कार्रवाई नहीं की जा रही है।

यदि जिला प्रशासन द्वारा समय रहते इस पर रोक न लगाई गई, तो अनूपपुर जिले में सरकारी धान खरीदी आरंभ होने से पहले ही आधे से अधिक किसान अपना धान छत्तीसगढ़ भेज देंगे, जिससे जिले में धान खरीदी का लक्ष्य अधूरा रह जाने की आशंका है।

स्थानीय नागरिकों व कृषकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तुरंत नाकेबंदी की जाए, रात में सघन चेकिंग अभियान चलाया जाए, गोदामों की जांच की जाए और अवैध परिवहन में शामिल वाहनों व धान माफिया पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि प्रदेश का अनाज दूसरे राज्यों में न जा सके और किसानों को उचित मूल्य मिल सके।

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डिप्लो़रिया क्षेत्र में निजी भवनों को अनुमति, पर सरकारी पानी टंकी निर्माण बंद

*नपा की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल*

अनूपपुर/कोतमा

नगर पालिका कोतमा पर एक बार फिर मनमानी के गंभीर आरोप लग रहे हैं। जनहित के कार्यों को नजरअंदाज कर निजी हित साधने का आरोप नगर पालिका के अधिकारियों पर लगाया जा रहा है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि नगर पालिका रोज नए तरीकों से नियमों को ताक पर रखकर अनुमति दे रही है, जिससे आम जनता प्रभावित हो रही है।  

नगर के वॉर्ड नंबर 10–11 के गोविंदा गांव एवं शासकीय महाराजा मार्तंड महाविद्यालय कोतमा भालूमाड़ा तिराहा के पास में स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए पानी की टंकी का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। लेकिन कथित राजनीतिक दबाव और स्वार्थी तत्वों की वजह से अनूपपुर कलेक्टर एवं नगर पालिका परिषद कोतमा ने निर्माण कार्य को अचानक बंद करने के निर्देश दे दिए। जब इस संबंध में नगर पालिका सीएमओ  से पूछा गया तो उनका कहना था कि यह क्षेत्र एसईसीएल प्रभावित डिप्लोरिया क्षेत्र में आता है, इसलिए भविष्य में सरकारी धन की बर्बादी रोकने के लिए निर्माण रुकवाया गया।

स्थानीय लोगों ने सबसे बड़ा सवाल यही उठाया है कि अगर यह क्षेत्र डिप्लोरिया प्रभावित क्षेत्र है, तो फिर नगर पालिका ने उसी जगह पर दो मंजिला निजी मकान–दुकान निर्माण की अनुमति कैसे दे दी?

क्षेत्रवासियों ने बताया कि जब पानी की टंकी जैसी सार्वजनिक उपयोग की योजना रोक दी गई, तो निजी भू-स्वामियों को भवन निर्माण की अनुमति देना पूरी तरह संदिग्ध प्रतीत होता है। लोगों का आरोप है कि या तो यह अनुमति आवेदक द्वारा गलत जानकारी  दिए जाने को लेकर दी गई है, या फिर यह क्षेत्र एसईसीएल प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत है ही नहीं—क्योंकि यदि सरकारी कार्य प्रतिबंधित है, तो निजी निर्माण पर अनुमति कैसे मिल सकती है?

क्षेत्र वासियों ने दो मंजिला इमारत हो रहे निर्माण कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है एवं निर्माण कार्य की अनुमति रद्द करने की मांग की गई है, चल रहे दो मंजिला निर्माण कार्य पर रोक लगाकर कार्रवाई की मांग की गई है।

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गुड सेड़ का काम अधूरा लेकिन रेलवे प्रशासन ने प्रारंभ कराया गुड सेड  में कोयले की लोडिंग अनलोडिंग

*रेलवे प्रबंधन कटघरे में*

शहडोल/अनूपपुर

शहडोल अनूपपुर जिले के सीमा पर अमलाई रेलवे स्टेशन से महज 50 मीटर की दूरी पर रेलवे प्रशासन द्वारा ठेकेदार के माध्यम से गुड सेड़ का निर्माण कराया जा रहा है, बताया जाता है कि यह निर्माण कार्य अभी पूर्ण नहीं हो पाया है और वहां भवन निर्माणाधीन है और पानी टंकी का निर्माण भी नहीं कराया गया है, इसके बावजूद वहां कोयले की लोडिंग अनलोडिंग प्रारंभ कर दी गई है। जिससे स्टेशन में आने जाने वाले यात्री एवं इंदिरा नगर के लोग परेशान हो रहे हैं। बताया जाता है कि अभी तक गुड़ सेड़ में भवन निर्माण अधूरा है और स्प्रिंगलर चालू करने के लिए पानी टंकी का निर्माण भी नहीं हो पाया है, जब पानी टंकी का निर्माण ही नहीं हुआ है तो स्प्रिंगलर प्रारंभ कैसे होगा। ऐसे में कोयले की लोडिंग अनलोडिंग से पूरा क्षेत्र कोयले के डस्ट से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से लोग परेशान हो रहे हैं। जिस स्थान से कोयले से लगे भारी वाहनों का आवागमन हो रहा है, वहां रहवासी बस्ती है और मुख्य गेट के सामने ही सरस्वती शिशु मंदिर स्थित है, जहां सैकड़ो नौनिहाल अध्यनरत हैं। पूर्व में कोयला प्रदूषण से परेशान हो रहे लोगों द्वारा आंदोलन भी किया गया था और हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। हाई कोर्ट के निर्देशों एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मापदंडों को पूर्ण भी नहीं किया जा रहा है, गुड सेड के किनारे एक दर्जन से भी कम पेड़ लगाए गए हैं। जब पेड़ नहीं लगाए गए, पानी टंकी के काम चालू नहीं हुआ ऐसे में स्प्रिंगलर मात्र दिखावा साबित हो रहा है। जन चर्चा यह भी है कि पूर्व में यह बताया गया था कि निर्माण कार्य इसलिए कराया जा रहा है कि इसमें ओरिएंट पेपर मिल में आने वाला  नमक इत्यादि रेट के माध्यम से अनलोड किया जाएगा, लेकिन यहां तो पूर्व की तरह कोयले की अनलोडिंग कराई जा रही है। रेलवे प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मनमानी तरीके से गुड सेड में अनलोडिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

बताया जाता है कि गुड सेड में आवागमन करने के लिए रेलवे प्रशासन का कोई निजी मार्ग नहीं है वहीं प्राइवेट व्यक्तियों के मुख्य द्वार से ही गाड़ियों का आवागमन रेलवे प्रशासन की मिली भगत से किया जा रहा है।

सवाल यह उठता है कि क्या रेलवे प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को जनता के  हितों का ध्यान नहीं है और कोयला प्रदूषण से जो भी प्रतिकूल असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड रहा है उसकी जिम्मेदारी किसकी है। अब जनता के पास आंदोलन के सिवाय कोई हल नहीं निकल रहा है क्योंकि जब हाई कोर्ट के निर्देशों का ही पालन रेलवे प्रशासन के अधिकारी नहीं कर रहे हैं तो जनता के हितों का ध्यान कैसे रखेंगे।

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गैस की भारी किल्लत, गोदामो में लगी लंबी-लंबी कतारें, उपभोक्ता परेशान, जिम्मेदार मौन

शहडोल

जिले में एचपी गैस सिलेंडर की किल्लत ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। संभागीय मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक गैस गोदामों में सिलेंडर के लिए मारामारी मची हुई है। स्थिति यह है कि उपभोक्ताओं को लंबी कतारों में खड़े रहने के बाद भी समय पर सिलेंडर नहीं मिल पा रहा, जबकि कई स्थानों पर अधिक दाम वसूले जाने की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।

केशवाही में एचपी गैस गोदाम पर उपभोक्ताओं को निर्धारित 880 की जगह 900 रुपये में सिलेंडर दिए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह स्थिति कई दिनों से जारी है लेकिन अधिकारी जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। उपभोक्ता इस्लाम ने बताया कि मजबूरी में अधिक दाम देकर सिलेंडर लेना पड़ रहा है। वहीं उपभोक्ता राजेश सिंह ने बताया कि एक सप्ताह से चक्कर लगा रहे थे और अंत में 900 में ही सिलेंडर मिला।

दिवाली के बाद से एचपी गैस की भारी कमी देखी जा रही है। मुख्यालय के गैस गोदाम में रोज लंबी लाइनें लग रही हैं पर लोगों को अक्सर खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिल रहा है और कई डीलर मौके का फायदा उठाकर मनमाने दाम वसूल रहे हैं। जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी विपिन पटेल से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि गैस की शॉर्टेज है लेकिन इसकी कालाबाजारी से उन्होंने इंकार किया। उनका कहना है कि आपूर्ति पर नजर रखी जा रही है और स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगीसमाचार 

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क्या यह हैं स्वच्छ भारत मिशन, कलेक्ट्रेट, गन्दगी का लगा अंबार

उमरिया

तस्वीर देखकर चौकिये नहीं यह उमरिया जिले का कलेक्ट्रेट कार्यालय है, जहाँ ओर जिले के मुखिया कलेक्टर जिला दंडाधिकारी बैठते है। जहां कलेक्ट्रेट के पीछे वाले द्वार में गंदगी का अंबार लगा है। यहां से आने जाने वाले अधिकारी मुंह सिकोड़कर या नाक दबाकर जरूर निकलते हैं, लेकिन किसी ने इसे साफ करवाने की जहमत नहीं उठाई।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिले का सबसे बड़ा कार्यालय कलेक्ट्रेट जहां पूरे प्रशासनिक अधिकारी मौजूद हैं, उसके पीछे वाले दरवाजे के किनारे इतनी भारी गंदगी किसने इकट्ठा किया, इतना कचरा कहां से आया या इसे साफ कराने की किसी ने जरूरत नहीं समझी,जबकि सोमवार और मंगलवार को यह पूरी गंदगी देखी गई। बहरहाल इस कचरे के ढेर को जिन-जिन आम आदमियों ने देखा उसके मन में कई तरह के सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं। जब जजिला के सबसे बड़े कार्यालय का यह हाल है तो बाकी कार्यालयों का क्या हॉल होगा।

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शासन द्वारा निर्धारित खनिज राजस्व लक्ष्य के अनुरूप राजस्व प्राप्ति कार्यों में प्राथमिकता लाई जाए-कलेक्टर

*सीएसआर मद व जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक हुई आयोजित*

अनूपपुर

कलेक्टर हर्षल पंचोली की अध्यक्षता में आज जिला स्तरीय सीएसआर मद एवं जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में कलेक्टर को अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए शासन द्वारा 332 करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो वर्ष 2024-25 के 307 करोड़ रुपये की तुलना में 25 करोड़ अधिक है। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सीएसआर मद का उपयोग सामाजिक हितों से जुड़े कार्यों में प्राथमिकता के साथ किया जाए।

बैठक में कलेक्टर ने एसईसीएल सोहागपुर, जमुना-कोतमा और हसदेव क्षेत्र के जनरल मैनेजरों को निर्देशित किया कि शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप राजस्व वसूली कार्यों में प्राथमिकता लाई जाए। साथ ही, आरआरसी के लंबित प्रकरणों पर जल्द से जल्द आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने यह भी कहा कि मिशन ग्रीन कोल रीजन के तहत भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा जारी सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित किया जाए।

कलेक्टर ने खनिजों के अवैध उत्खनन एवं परिवहन की स्थिति की जानकारी ली और राजस्व, खनिज तथा पुलिस विभाग का संयुक्त दल गठित कर सतत अभियान चलाते हुए कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने विशेष अभियान चलाकर प्रभावी कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने वन विभाग के अधिकारियों को भी निर्देशित किया कि वन भूमि से गुजरने वाले अवैध वाहनों पर प्राथमिकता के साथ कार्यवाही करें तथा की गई प्रत्येक कार्यवाही की जानकारी राजस्व, पुलिस और खनिज विभाग को अनिवार्य रूप से प्रेषित करें।

बैठक में कलेक्टर ने जिले में कार्यरत निर्माण विभागों के अधीनस्थ ठेकेदारों द्वारा जमा की जाने वाली रॉयल्टी की स्थिति की समीक्षा की। खनिज विभाग द्वारा बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 26.70 लाख रुपये तथा वित्तीय वर्ष 2025-26 में 23 लाख रुपये की रॉयल्टी प्राप्त हुई है। इस पर कलेक्टर ने निर्माण विभाग के अधिकारियों को ठेकेदारों से समन्वय स्थापित करते हुए रॉयल्टी की समयानुसार वसूली सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में खदानों में सुरक्षा उपायों सहित अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी विस्तृत चर्चा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए गए।

बैठक में वित्तीय वर्ष 2025-26 के सीएसआर प्रस्तावों पर चर्चा करते हुए कलेक्टर ने जिला मुख्यालय अनूपपुर में एक ऑडिटोरियम निर्माण तथा मिशन ग्रीन कोयला रीजन के अंतर्गत दैखल में माइनिंग पर्यटन विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया। इसी प्रकार पुलिस अधीक्षक ने अनूपपुर जिले के लगभग 550 पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए बॉडी-वॉर्न कैमरा उपलब्ध कराने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिससे पुलिस कार्यों में और अधिक पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

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पति-पत्नी शहर में कर रहे है गांजा का कारोबार, पुलिस की अनदेखी पर उठ रहे सवाल

अनूपपुर/कोतमा

जिले के कोतमा नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 1 में अवैध नशा कारोबार को लेकर स्थानीय नागरिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि प्रभास सोनी और उनके पति राजा सोनी द्वारा कथित तौर पर गांजे की बिक्री की जा रही है, और पिछले कुछ समय से यह गतिविधि तेजी से बढ़ी है। लोगों का कहना है कि लगातार शिकायतों के बावजूद पुलिस प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, संदिग्ध आवागमन और लेन-देन की गतिविधियाँ अक्सर दिन और देर रात दोनों समय देखने को मिलती हैं, जिससे क्षेत्र में असुरक्षा का माहौल बन गया है। लोगों का कहना है कि मोहल्ले का माहौल लगातार खराब हो रहा है और युवाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ती जा रही है।

निवासियों का आरोप है कि कई बार मौखिक और लिखित शिकायतें करने के बावजूद पुलिस केवल जांच का भरोसा देती है, परंतु जमीनी स्तर पर कार्रवाई के संकेत कम दिखाई देते हैं। इससे लोगों में यह धारणा बन रही है कि अवैध नशा कारोबार पर सख्ती नहीं बरती जा रही है। पुलिस ने बताया कि क्षेत्र से शिकायतें प्राप्त हुई हैं और मामले की जांच चल रही है। पुलिस का कहना है कि यदि आरोप तथ्यात्मक पाए जाते हैं तो संबंधित व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर कोतमा नगर में बढ़ते नशे के जाल और स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है। वार्ड निवासियों की मांग है कि पुलिस तत्काल कड़ी निगरानी, नियमित गश्त और विशेष अभियान चलाकर अवैध नशे की गतिविधियों को जड़ से समाप्त करे।

इनका कहना हैं।

हमें आपके द्वारा जानकारी प्राप्त हुई और इस विषय पर जांच की जाएगी और कार्रवाही भी की जाएगी।

*रत्नाबर शुक्ला, थाना प्रभारी, कोतमा* 



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