भूमि अधिग्रहण के बाद किसानों को रोजगार न मिलने से नाराज लोगो ने कोयला खदान किया बंद
शहडोल
रामपुर बटुरा खुली खदान परियोजना प्रभावित किसानों ने प्रबंधन के साथ हुए बैठक में नाराज हों गए जिस कारण से रामपुर कोयला खदान को बंद कर दिया गया। उस समय रामपुर बटुरा खुली खदान परियोजना प्रभावित किसानों के साथ महाप्रबंधक एसईसीएल सोहागपुर एरिया सहित रामपुर बटुरा की पूरी टीम रही मौजूद। ग्रामीणों के तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश शर्मा द्वारा ग्रामीणों जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव अनुसार बिंदुवार किसानों के मूलभूत समस्याओं पुनर्वास पुनर्स्थापना, संपूर्ण परिसंपत्ति के मुआवजा, आश्रितों को रोजगार, नोटिफिकेशन से छूट गए जमीनों को अधिग्रहण की कार्रवाई जो खुली खदान परियोजना प्रभावित हैं। संबंधित रोजगार से लेकर साक्षात्कार शस्त्र प्रशिक्षण किसने की जमीन का स्थानांतरण सीसीएल द्वारा कराया जाए ऐसे कई विषय पर चर्चा की गई लंबी रोजगार के फाइलों के संदर्भ में जैसे बात प्रारंभ हुई तीन चार वर्ष पूर्व से चल रहे हैं फाइलों को फिर से 3 महीने का समय मांगा गया जिससे किसानों ने बैठक को बहिष्कार करते हुए मुर्दाबाद के नारे एवं प्रबंधन होश में आओ किसान एकता जिंदाबाद करते हुए संपूर्ण खदान को बंद कर दिया, 2 घंटे तक प्रबंधन की पूरी टीम की उपस्थिति में ही खदान बंद रहा। महाप्रबंधक सोहागपुर बी के जोना साहब ने किसानों को अस्वस्थ कराया कि अब ज्यादा समय नहीं लगेगा, आज ही रुके रोजगारों की फाइलों को 15 से 20 दिन के अंदर रोजगार कंप्लीट कर कर आप लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा एवं पुनर्वास एवं पुण्य स्थापना की कार्यवाही जल्द ही पूर्ण की जाएगी। किसानों का कहना है टुकड़े-टुकड़े में हम पुनर्स्थापना पुनर्वास नहीं लेंगे, संपूर्ण रामपुर बेलिया को एक साथ उपलब्ध कराया जाए, किसानों ने कहा की अगर समय सीमा में किसानों की समस्याओं का हल नहीं हुआ तो किसान संपूर्ण खदान को बंद कर यही बैठेंगे, जिसको बात करना होगा वह यहाँ पर आकर बात करे। सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश शर्मा ने जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों की तरफ से खुली चेतावनी प्रबंधन को दिया की अधिग्रहण की कार्यवाही आपने किया है हम कहीं किसी के पास नहीं जाएंगे संपूर्ण कार्यवाही एसईसीएल प्रबंधन करें, हमको रोजगार पुनर्वास पुनर्स्थापना दे और खदान को चालू रखें या बंद करें, आने वाले समय में किसानो की मांग समय सीमा के अंदर पूर्ण नहीं किया जाता है तो संपूर्ण खदान को किसान ने फिर बंद करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।
