छछंद के समय में छंदयुक्त शायरी करते हैं सोमनाथ, पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोले यश मालवीय

छछंद के समय में छंदयुक्त शायरी करते हैं सोमनाथ, पुस्तक विमोचन के अवसर पर बोले यश मालवीय


प्रयागराज

आज ग़ज़ल विधा को लेकर एक तरह से अराजकता फैली हुई है। जिसे ग़ज़ल का क, ख, ग तक नहीं आता वह भी अपने को ग़ज़ल का बड़ा शायर कहने लगा है। ऐसे में डॉ. सोमनाथ शुक्ल का ग़ज़ल संग्रह ‘शाम तक लौटा नहीं’ बहुत सुखद अनुभव देता है। छछंद के माहौल में छंदयुक्त ग़ज़लों का सामने आना हमारे पूरे साहित्यिक समाज के लिए बहुत उल्लेखनीय और ख़ास है। डॉ. शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से बेहद शानदार नज़ीर पेश किया है। यह बात गुफ़्तगू की ओर से रविवार को सिविल लाइंस स्थित प्रधान डाक में डॉ. सोमनाथ शुक्ल की पुस्तक ‘शाम तक लौटा नहीं’ के विमोचन अवसर वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय ने कही। उन्होंने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल की ग़ज़लों को देखकर जहां खुशी का अनुभव होता है, वहीं यह भी कहना पड़ेगा कि हिन्दी ग़ज़ल अभी दुष्यंत कुमार तक ही पहुंची है, इसे अपने मीर, ग़ालिब अभी पैदा करना है।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि आज के भारतीय माहौल में डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने शानदार ग़ज़लें कही हैं। इनकी ग़ज़लें आज के समाज को रेखांकित करने साथ ही सचेत भी करती हैं।

गुफ़्तगू के अध्यक्ष डॉ. इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने ग़ज़ल की बारीकियों और छंद को सीखने के बाद ही ग़ज़लें लिखी हैं। जिसकी वजह से इनकी ग़ज़लों में व्याकरण संबंधी त्रुटियां नहीं हैं। अजीत शर्मा ‘आकाश’ ने कहा कि डॉ. सोमनाथ एक परिपक्व ग़ज़लकार हैं। आज ऐसी ही ग़ज़लें लिखे जाने की आवश्यकता है। डॉ. वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से मानवता से प्रेम करने को उल्लेखित किया है। गुफ़्तगू के सचिव नरेश कुमार महरानी ने कहा कि डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने बहुत अच्छी ग़ज़लें कही हैं, इनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।

डॉ. सोमनाथ शुक्ल ने कहा कि यह पुस्तक मेरी पहला प्रयास है। मैंने अपने तौर पर पूरी कोशिश की है कि समाज को सामने अच्छी ग़ज़लें पेश कर सकूं। किताब कैसी है यह आप लोगों को ही बताना है। कार्यक्रम का संचालन मनमोहन सिंह तन्हा ने किया।

दूसरे दौर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अरविन्द कुमार सिह, विजय लक्ष्मी विभा, अनिल मानव, धीरेंद्र सिंह नागा, हकीम रेशादुल इस्लाम, संजय सक्सेना, शिबली सना, अफ़सर जमाल, शैलेंद्र जय, मंजूलता नागेश, मोहम्मद शाहिद सफ़र, हरीश वर्मा ‘हरि’, तहज़ीब लियाक़त, रचना सक्सेना, कविता श्रीवास्तव, एमपी श्रीवास्तव और शाहिद इलाहाबादी आदि ने कविताएं प्रस्तुत कीं। राजेश कुमार वर्मा ने सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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