वन विभाग, पौधारोपण और मजदूरी भुगतान में धांधली उजागर, वन परिक्षेत्र अधिकारी शलीम खान पर आरोप
शहडोल
वन विभाग शहडोल में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का ऐसा जाल बिछा है जिसमें गरीब मजदूर सबसे ज्यादा पिस रहे हैं। बुढ़ार वन परिक्षेत्र अधिकारी शलीम खान पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्हों “वरिष्ठ अधिकारियों की छत्रछाया” में दो-दो परिक्षेत्रों का प्रभार हथिया रखा है। यह स्थिति न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि विभाग में व्याप्त पक्षपात और भ्रष्टाचार की जड़ को उजागर करती है।
शलीम खान एक ओर बुढ़ार वन परिक्षेत्र अधिकारी हैं, वहीं दूसरी ओर शहडोल जिले के नरसराहा का प्रभार भी उनके पास है। सवाल यह है कि आखिरकार एक ही अधिकारी को दो परिक्षेत्र क्यों सौंपे गए? क्या जिले में योग्य अधिकारियों की कमी है या फिर यह किसी “चाहत” और संरक्षण का नतीजा है। पड़ताल में पौधारोपण कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आईं। कागज़ों में हजारों पौधे लगाए दिखाए जा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। यह गड़बड़ी सीधे-सीधे विभागीय मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
ग्रामीण मजदूरों ने बताया कि उनसे पूरा काम लिया जाता है लेकिन नियम के विपरीत उन्हें केवल ₹200 नकद मजदूरी दी जाती है। यह भुगतान न सिर्फ श्रम कानून और सरकारी नियमों का उल्लंघन है बल्कि गरीब मजदूरों के हक़ पर खुला डाका है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि शहडोल जिले के वरिष्ठ वन अधिकारी इन धांधलियों पर चुप क्यों हैं? जब बुढ़ार वन परिक्षेत्र में मजदूरों का शोषण और पौधारोपण में गड़बड़ी आम जनता के सामने है, तो विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या वरिष्ठ अधिकारियों की मौन स्वीकृति के बिना ऐसा संभव है।
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि वन विभाग में अब कानून नहीं, बल्कि “चहेते” और “संपर्क” का साम्राज्य चल रहा है। मजदूरों का शोषण, नकद भुगतान और कागज़ी पौधारोपण ने पूरे विभाग की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों और मजदूरों ने मांग की है कि बुढ़ार परिक्षेत्र और नरसराहा दोनों जगहों की निष्पक्ष जांच कराई जाए और न केवल परिक्षेत्र अधिकारी शलीम खान, बल्कि शहडोल जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे।