आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर विविध कार्यक्रम, सर्व सेवा संघ द्वारा आयोजन, कार्यालय का हुआ शुभारंभ
*सामाजिक और आर्थिक असमानता अब भी जकड़ी हुई*
अनूपपुर
समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, भूदान आंदोलन के प्रणेता और महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर बुधवार को सर्व सेवा संघ (युवा प्रकोष्ठ) द्वारा अनूपपुर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जहां उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा हुई, वहीं उनके आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प भी लिया गया। कार्यक्रम के दौरान सर्व सेवा संघ के युवा प्रकोष्ठ के कार्यालय का शुभारंभ भी किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए।
*आचार्य विनोबा भावे का जीवन और योगदान*
आचार्य विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के गागोडे गांव में हुआ था। उनका पूरा जीवन समाज सेवा और सत्य-अहिंसा के मूल्यों के प्रति समर्पित रहा। उन्हें महात्मा गांधी का आध्यात्मिक उत्तराधिकारी कहा जाता है, क्योंकि वे जीवनभर गांधीजी के विचारों को आगे बढ़ाते रहे। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई, जेल यात्राएं कीं और बाद में स्वतंत्र भारत में समाज सुधार के क्षेत्र में नए अध्याय लिखे।
आज़ादी के बाद जब देश राजनीतिक आज़ादी तो पा चुका था, लेकिन सामाजिक और आर्थिक असमानता अब भी जकड़ी हुई थी, तब विनोबा भावे ने समाज में परिवर्तन का मार्ग चुना। उन्होंने 1951 में तेलंगाना से भूदान आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन में उन्होंने जमींदारों और बड़े किसानों से स्वेच्छा से जमीन लेकर भूमिहीन किसानों को बांटने का अभियान चलाया। यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और शांतिपूर्ण था। लाखों एकड़ जमीन गरीबों में वितरित की गई। यह भारतीय इतिहास का अनोखा प्रयोग था जिसने सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में नई राह दिखाई।
*सर्वोदय समाज और विचारधारा*
विनोबा भावे ने "सर्वोदय समाज" की स्थापना की। सर्वोदय का अर्थ है – सबका उदय। यह विचार केवल आर्थिक समानता का नहीं था बल्कि नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान का भी था। उन्होंने कहा था कि समाज तभी प्रगति कर सकता है जब प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में समान अवसर हों और सबको जीने लायक साधन उपलब्ध हों। उनका मानना था कि समाज में बदलाव हिंसा से नहीं, बल्कि प्रेम, त्याग और सेवा से संभव है।
उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने आज़ादी के बाद के दौर में थे। आज जब समाज विभाजन, असमानता और संघर्ष का सामना कर रहा है, तब विनोबा भावे की शिक्षाएं हमें भाईचारे और समानता की ओर ले जाती हैं।
*भारत रत्न से सम्मानित*
विनोबा भावे का निधन 1982 में हुआ। उनकी महान सेवाओं को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत 1983 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया। यह सम्मान उनके उस जीवन-दर्शन की स्वीकारोक्ति थी जिसमें समाज और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ सेवा सर्वोपरि थी।
*प्रेरणा लेने का आह्वान किया*
अनूपपुर में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने आचार्य विनोबा भावे के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भूदान आंदोलन ने भारत को सामाजिक समानता और भूमि सुधार का एक अनोखा रास्ता दिखाया। अगर आज भी हम उनके विचारों पर चलें तो समाज में अमीरी-गरीबी की खाई को कम किया जा सकता है। इस मौके पर सर्व सेवा संघ (युवा प्रकोष्ठ) के कार्यालय का शुभारंभ भी किया गया। कार्यालय से संगठन की गतिविधियों को गति मिलेगी और युवाओं में सेवा भावना को जागृत करने वाले कार्यक्रम संचालित होंगे।
*इनकी रही उपस्थिति*
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संतोष द्विवेदी, रमेश सिंह, पवन छिब्बर, रजन राठौर, भूपेश शर्मा, चंद्रशेखर सिंह, मनमोहन चौधरी, आदित्य त्रिपाठी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, युवा और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। सभी ने मिलकर विनोबा भावे को श्रद्धांजलि दी और उनके जीवन से सीख लेने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का संचालन विवेक यादव ने किया और आभार प्रदर्शन बासु चटर्जी ने किया। आचार्य विनोबा भावे का जीवन संदेश हमें यह सिखाता है कि परिवर्तन के लिए हिंसा नहीं बल्कि सेवा, त्याग और प्रेम ही सबसे बड़ा हथियार है। उनका भूदान आंदोलन और सर्वोदय समाज आज भी सामाजिक न्याय और समानता की राह दिखाने वाला प्रकाशस्तंभ है।