रेत चोरी, सागौन की तस्करी करवा रहा है वनपाल, राष्ट्रीय उद्यान को करोड़ो की क्षति, वनकर्मी मालामाल
*वन संपदा मामले में अधिकारी कर रहे हैं लीपापोती*
उमरिया
प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में पदस्थ कतिपय अधिकारियों की कमाऊ नीति के कारण वन संपदा का बेतहाशा दोहन होने की खबर सुर्खियों में छाई हुई है फिर भी राष्ट्रीय उद्यान के जिला स्तरीय अधिकारियों के व्दारा अपने प्यादो को बचाने में जुटे हुए हैं । बताया जाता है की वैसे तो मानवीय मूल्यों के लिए इन अधिकारियों की अंडगे बाजी सिर चढ़कर बोलती है , लेकिन वन संपदा की लूट में शामिल कतिपय मातहत अधिकारियों को बचाने के लिए कमर कस कर जांच के नाम पर लीपापोती कर उन्हें अभय दान देते नजर आते हैं उससे प्रतीत होता है की राष्ट्रीय उद्यान के उच्च अधिकारियों ने राष्ट्रीय उद्यान के वन संपदा को बेचने में उतारू हो गए हैं।
*रेत चोरी में संलिप्तता उजागर*
राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के धमोखर वन परिक्षेत्र की चेचरिया में पदस्थ उप वन पाल की संलिप्तता उजागर होने के बाद भी राष्ट्रीय उद्यान के जिम्मेदार अधिकारियो ने जांच के नाम पर व्यापक पैमाने पर लीपापोती कर अपने प्यादे उप वन पाल को बचाने का बीड़ा उठा लिया है । बताया जाता है कि इस संवेदनशील मामले की जांच वन परिक्षेत्राधिकारी धमोखर खुद करने पहुंचे थे , लेकिन जांच में सही पाये जाने के बाबजूद भी दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की बजाय उन्हें बचाने का कुत्सित प्रयास करते देखे गए । घटना के संदर्भ में बताया जाता है कि चेचरिया में रेत भरा एक ट्रेक्टर पकडा गया था ,जिसे 23 अगस्त को राष्ट्रीय उद्यान के पदस्थ उप वन पाल ने पकड़ कर अपने कब्जे में लेकर वन चौकी में खड़ा कर लिया, और मामले में सौदा तय होने के बाद 25 अगस्त को बिना कानूनी कार्रवाई किए बिना ही छोड़ दिया गया । उप वन पाल की इस गैर कानूनी कार्रवाई की शिकायत वन परिक्षेत्राधिकारी धमोखर से की गयी,जिसकी जांच भी उन्होंने अपने हाथ में लेकर की, लेकिन जब देखा कि उनका प्यादा दोषी पाया जाता है तब उसे बचाने के लिए अपनी जांच में लीपापोती कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया ।
*सागौन की व्यापक पैमाने पर तस्करी*
विदित होवे की राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के धमोखर वन परिक्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सागौन वृक्षों की कटाई कर तस्करी की गयी है । राष्ट्रीय उद्यान में वनों की जिस तरह से सागौन और साल वृक्षों की कटाई की गयी है , उसे देख कर हर सामान्य की आंखें नम हो जाती है , बताया जाता है कि हजारों की तादाद में सागौन के नवीन पेड़ों की कटाई कर तस्करी की गयी है, इस मामले को लेकर भी वन विभाग पर तीखे सवाल खड़े हो गए हैं । बताया जाता है की पटपरिहा ,घिनौचिहा, बडबाही, जैसे राष्ट्रीय उद्यान के अन्दर के गांवों में जिस तरह से बेरहमी से सागौन और साल वृक्षों अंधाधुंध कटाई की गयी है वह मैदानी अमले के साथ उच्च अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है । एक तरफ राष्ट्रीय उद्यान की सीमा बढ़ाने के लिए गांव के गांव उजाड़े जा रहे हैं वही दूसरी ओर जंगल में लगे प्राकृतिक वृक्षों और कृत्रिम रूप से लगायें गये वृक्षों का सफाया हुआ है , राष्ट्रीय उद्यान की परिधि में हो रहे इस अवैध रेत उत्खनन और सागौन,साल वृक्षों की कटाई राष्ट्रीय उद्यान की नीयत पर सवालिया निशान लगा कर रख दिया है ।
*अंगद के पैर बने अधिकारियों को पाल रहा उद्यान प्रबंधन
राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ में ऐसे भी अधिकारी देखने में आते हैं जो की एक ही स्थान पर दशकों से अंगद के पैर बन बैठे हैं और राष्ट्रीय उद्यान की वन संपदा के दोहन में वर्षों से संलिप्त हैं , लेकिन इन कमाऊ पूतो की तरफ राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के अधिकारियों की नजर कभी नहीं पडी। बताया जाता है कि धमोखर वन परिक्षेत्र की चेचरिया में पदस्थ उप वन पाल भी दशक पार कर अपने कारगुजारियों से राष्ट्रीय उद्यान को लंबी चपत लगाई है , फिर भी विभाग के रहमो-करम के कारण अपने काली करतूतों को अपने मातहतों के सिर पर डालकर सदा बच निकलते हैं । आखिर कार उच्च अधिकारियों के नयनों के पलक बने इस उप वन पाल को बचाने के लिए प्रबंधन कब तक लुका छिपी का खेल खेल कर बचाता रहेगा । अपेक्षा है की वरिष्ठ अधिकारी इनकी कारगुजारियों से पर्दा उठा कर कानूनी कार्रवाई करें,वरना राष्ट्रीय उद्यान खेल का मैदान बनकर रह जायेगा