जैन नमकीन का गोरखधंधा, मैन्युफैक्करिंग, एक्सपायरी डेट न बिल, फैक्ट्री में गंदगी के बीच हो रही पैकिंग
*जनता को परोसी जा रही हैं बीमारी, स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, खाद्य विभाग नतमस्तक*
अनूपपुर
जिले के कोतमा में जैन नमकीन का काला सच लगातार बेनकाब हो रहा है, पहले बिना मैन्युफैक्करिंग और एक्सपायरी डेट के उत्पाद बेचकर लोगों की सेहत से खिलवाड़, फिर खुलेआम विभाग को मैनेज करने की डींगे, और अब फैक्टरी की गंदगी व बिना बिल कारोबार का खुलासा.. सवाल ये है कि कार्रवाई कब होगी? क्या जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदकर बैठे रहेंगे या जनता की थाली में जहर परोसने वालों पर शिकंजा कसेंगे।
अनूपपुर
जैन नमकीन पर लग रही खबरें जैसे-जैसे सामने आ रही हैं, वैसे-वैसे इसका असली चेहरा उजागर होता जा रहा है, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मालिक अंशु जैन खुलेआम कहते फिरते हैं कि विभागीय अधिकारी महीने की रकम खाकर चुप रहते हैं, कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। यही नहीं, फैक्टरी के आस-पड़ोस में रहने वालों ने बड़ा खुलासा किया है कि यहां साफ-सफाई का कोई ध्यान नहीं, गंदगी का अंबार लगा रहता है, उनका कहना है कि जो भी व्यक्ति फैक्टरी में एक बार उत्पाद बनते देख ले, वह जिंदगी भर इनका सामान इस्तेमाल नहीं करेगा। इसके अलावा फुटकर विक्रेता भी बता रहे हैं कि आज तक किसी को पक्का बिल नहीं दिया गया, बस वाट्सएप पर हिसाब और मोबाइल से पेमेंट का खेल चलता है। सवाल बड़ा है कि कलेक्टर के निर्देशों के बावजूद अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई, क्या सचमुच अंशु जैन की डींगे सही हैं कि अधिकारी बिके हुए हैं।
*जैन नमकीन बिना बिल का धंधा*
फुटकर विक्रेताओं ने भी चौंकाने वाला खुलासा किया है उन्होंने बताया कि जैन नमकीन कभी भी किसी को पक्का बिल नहीं देता न जीएसटी, न टैक्स, न किसी भी तरह की लिखित रसीद। पूरा हिसाब-किताब सिर्फ वाट्सएप पर लिखकर दिया जाता है और पेमेंट भी मोबाइल ट्रांजैक्शन के जरिए होता है यानी सरकार को भी चूना और ग्राहकों को भी धोखा। यह तरीका न सिर्फ काला कारोबार है, बल्कि कर चोरी का खुला खेल है। सवाल ये है कि टैक्स चोरी करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं? क्या विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं या"महीने की रकम" पर चुप हैं।
*आदेश के बाद नही हुई कार्यवाही*
इस पूरे मामले में जब आवाज उठी तो कलेक्टर हर्षल पंचोली ने विभागीय अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश की बात कही थी, लेकिन अफसरों की चुप्पी और अब तक कोई भी जांच न होना अपने आप में ही बड़ा सवाल है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कलेक्टर के आदेश फाइलों में दबाकर रख दिए गए हों? क्या विभागीय अधिकारी वास्तव में मैनेज होकर बैठे हैं। बिना बिल का काला कारोबार जैन नमकीन स्वीट्स एण्ड बेकरी जनता पूछ रही है कि आखिरकार कब कार्रवाई होगी और कब तक लोगों की सेहत से इस तरह खिलवाड़ होता रहेगा।
*विभागीय मिलीभगत का खेल*
अभी तक न जांच हुई, न कार्रवाई। यह अपने आप में साबित करता है कि विभागीय मिलीभगत का खेल कितना गहरा है। हमारे पुष्ट सूत्र बताते है कि अंशु जैन का खुलेआम बाजार में यह कहना रहा है कि "मैं हर महीने अधिकारियों को पैसा देता हूं, मुझे कोई कुछ नहीं कर सकता" अब सच साबित होता दिख रहा है। यह बयान न सिर्फ विभागीय ईमानदारी पर, बल्कि पूरी प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है। जनता पूछ रही है कि क्या वाकई अधिकारी बिक चुके हैं? क्या जनता की थाली में जहर परोसना ही इस जिले का व्यापार मॉडल है।
*फैक्ट्री में गन्दगी ही गंदगी*
गंदगी से सनी फैक्टरी जैन नमकीन की फैक्टरी का हाल जानकर हर किसी का पेट खराब हो जाएगा, आस-पड़ोस में रहने वाले लोगों ने साफ कहा कि वहां गंदगी का अंबार रहता है, न साफ-सफाई, न हाइजीन, न किसी तरह का मानक पालन, लोग कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति खुद फैक्टरी में जाकर प्रोडक्ट बनते हुए देख ले, तो कसम से वह जिंदगी भर इनका सामान खाने से तौबा कर ले, खाद्य पदार्थ तैयार करने की जगह पर नालियां गंदी पड़ी हैं, कीड़े-मकौड़े रेंगते रहते हैं और मजदूर बिना दस्ताने, बिना मास्क खुले हाथों से नमकीन और मिठाई तैयार करते हैं, यह सीधा-सीधा खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धज्जियां उड़ाना है और जनता की थाली में बीमारी परोसना है।
*स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़*
बिना मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट के उत्पाद बाजार में बेचना और गंदगी में तैयार करना सीधा जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ है। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे उत्पादों से फूड पॉइजनिंग, लीवर, किडनी और आंतों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं बच्चे और बुजुर्ग तो सीधे इसकी चपेट में आ सकते हैं जब तक साफ-सफाई और गुणवत्ता की गारंटी नहीं होगी, तब तक हर निवाला जनता के लिए जहर से कम नहीं। सवाल यही उठता है कि क्या विभाग कार्रवाई का इंतजार तब तक करेगा जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए।