नीलकंठ कंपनी युवाओं का कर रही शोषण, मजदूर आज भी गुमनामी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर
अनूपपुर
जिले के जमुना कोतमा क्षेत्र की जीवनदायनी काही जाने वाली आमाडाड खुली खदान परियोजना हजारों टन प्रतिदिन उत्पादन कर एसईसीएल में अपना नाम दर्ज करवा रही है और इस उत्पादन के पीछे काम करने वाले मजदूर आज भी गुमनामी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। इस खुली खदान परियोजना का उत्पादन से लेकर डिस्पैच तक की संपूर्ण जिम्मेदारी नीलकंठ इंडिया मिनरल्स लिमिटेड( एन आई एम एल )को दी गई है जिसका एसईसीएल द्वारा उच्च मानदंडों के हिसाब से भुगतान भी किया जाता है।
*स्थानीय युवाओं का शोषण*
नीलकंठ कंपनी जमुना कोतमा क्षेत्र में अपना काम शुरुआत की तभी स्थानीय युवकों को यह भरोसा दिलाया गया कि यह गुजरात की कंपनी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश की कंपनी है जिस तरह गुजरात में उद्योगपतियों द्वारा श्रमिकों के हित में निर्धारित फंड एवं शासन द्वारा बनाए गए नियमों को पालन करती हैं इस आधार पर यहां के युवकों को भी फंड निर्धारित वेतन दिया जाएगा जिसके चलते इस कंपनी में घुसने की होड़ मच गई और इसमें पदस्थ अधिकारियों द्वारा 20 से ₹30000 रिश्वत के रूप में लेकर युवाओं को रोजगार दिए। जब पेमेंट देने की बारी आई तो वही ₹15000 12 घंटे काम का दिया जाने लगा। कोयला खान में काम करने वाले ठेका श्रमिकों का प्रतिदिन का वेतन जो Rs1176 था उसे बढ़ाकर प्रतिदिन Rs1206 किया गया।
*झांसी सिक्योरिटी व मधु सेल बनी युवाओं का शोषक*
नीलकंठ कंपनी द्वारा पेटी कॉन्ट्रैक्ट में सिक्योरिटी का काम दो कंपनियों को दिया गया है जिसमें अच्छा सिक्योरिटी कंपनी एवं मधु सेल इन दोनों कंपनियों द्वारा स्थानीय युवकों पर रोजगार नहीं दिया गया जबकि शान द्वारा नियम है कि जिस क्षेत्र में कार्य किया जाएगा कुछ क्षेत्र के 70% बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया जाएगा किंतु इनका पानियों द्वारा बाहरी युवाओं को लाकर 12 घंटे काम कराया जाता है और बदले में झांसी कोटी कंपनी ₹10000 एवं मध्य सेल कंपनी ₹15000 प्रतिमाह के हिसाब से दिया जाता है जिसमें छुट्टी का कोई विकल्प नहीं होता