नही मिला न्याय तो गरीब ने लगा ली फांसी? क्या मरने के बाद पुलिस दर्ज करेगी एफआईआर

नही मिला न्याय तो गरीब ने लगा ली फांसी? क्या मरने के बाद पुलिस दर्ज करेगी एफआईआर

*शिकायत के बाद भी पुलिस नहीं की कार्यवाही, दबंग नेता का संरक्षण*


अनूपपुर/कोतमा

गरीबों के लिए न्याय मिलना अब कितना मुश्किल हो चुका है कि थाना पुलिस, नेता, पूर्वविधायक जनप्रतिनिधि की देहरी की चौखट रगड़ने के बाद जब न्याय न मिले और दबंग नेता सत्ता संरक्षण धनबल बाहुबल के दम पर किसी गरीब के घर में घुसकर उसकी पत्नी से अवैध संबंध रखे, विरोध करने पर पहले घर में घुसकर पति से मारपीट करे, फिर परिजनों के पूछने पर उनके साथ भी मारपीट हो। शिकायत करने पर न थाने में कोई सुनवाई न कोई पावती न मेडिकल न एफआईआर उल्टा पीड़ित पर ही एफआईआर व जान से मारने की धमकी मिले। यह सबकुछ होने के बाद किसी भी व्यक्ति को जब कोई न्याय का आसरा नजर न आए तो आत्महत्या ही अंतिम रास्ता नजर आता है। जो आज कोतमा थानांतर्गत निगवानी क्षेत्र के ग्राम छुलहा में देखने को मिला। गरीब के फांसी लगाते ही नेता जनप्रतिनिधि, ग्रामवासी परिजन सभी ने एक सुर में पूरे मामले में कोतमा पुलिस को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाए कि काश गरीब की पहले सुनवाई कर लिए होते तो वो फांसी तो नहीं लगाता तो क्या गरीबों को न्याय मिलना इतना सरल नहीं है। जीते जी गरीब की कही कोई सुनवाई नहीं होती अंततः जब गरीब फांसी लगा लेता है तब पुलिस अपना पिंड छुड़ाने के लिए एफआईआर का आश्वासन देती है।

*यह है मामला?*

घटना अनूपपुर जिले के कोतमा थाना क्षेत्र के ग्राम छुलहा का मामला है। जहां बहोरी साहू पिता छोटवा साहु उम्र 45 साल निवासी ग्राम छुलहा थाना कोतमा ने अपनी पत्नी के छुलहा उप सरपंच पति रामलखन त्रिपाठी से अवैध संबंध के कारण फांसी लगाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली है। घटना के बाद परिजन व ग्रामवासी मृतक के शव को कमरे में बंदकर धरना देकर बैठ गए।

*नही मिला न्याय गरीब ने लगा ली फांसी?*  

परिजनों व ग्रामवासियों का आरोप है कि युवक के साथ सरपंच पति और उनके पुत्रों ने 13 अगस्त को मारपीट की थी जिसकी शिकायत कोतमा थाने में की गई थी। जब परिजनों को 14 अगस्त को पता चला और उन्होंने लखन त्रिपाठी के लड़कों से मारपीट का कारण पूंछा तो गांव के 5 से 7 लड़कों के साथ पुनः मारपीट की गई जिसकी शिकायत 15 अगस्त को कोतमा थाना में की गई मगर दूसरे पक्ष के आते ही पीड़ितों का न मेडिकल कराया गया न उनकी एफआईआर दर्ज की गई न कोई कार्यवाही हुई। यहां तक कि थाना परिसर में ही युवकों को धमकी मिली। मगर कोतमा पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की जिस कारण युवक ने फांसी लगा ली। परिजन व ग्रामवासी शव को फांसी से नहीं उतरने दे रहे थे व धरना देकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। दोषी पुलिस कर्मी के खिलाफ कार्यवाही की मांग पर अड़े रहे। घटना स्थल पर पुलिस मौजूद रही जहां पुलिस के सामने मुर्दाबाद के नारे लगे हैं।

*ग्रामीणों का आक्रोश*

ग्रामीण और परिवार जनों का कहना है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि मृतक को न्याय मिले और साथ ही ग्रामीण जनों ने मांग की है कि मृतक परिवार को आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान की जाए। ग्रामीणों में आक्रोश और भारी भीड़ के साथ-साथ बिगड़ते हुए माहौल को देखते हुए धरना स्थल पर हालात बिगड़ते देख राजनगर,बिजुरी,कोतमा थानों के प्रभारी सहित पुलिस फोर्स मौके पर मौजूद रही और हालात पर नज़र बनाए हुए थी । प्रशासन और पुलिस के अधिकारी लगातार लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि धरना समाप्त कराया जा सके और स्थिति नियंत्रण में रहे।

*जनप्रतिनिधियों ने खड़े किए सवाल*

इस घटना की सूचना पर कोतमा विधानसभा के पूर्व विधायक सुनील सराफ एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य मंगलदीन साहू, कोतमा जनपद अध्यक्ष अभिषेक सिंह, भाजपा कोतमा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष राजेश वर्मा,दीपनारायण उर्मलिया सहित जनप्रतिनिधि व ग्रामीण धरने पर बैठे व कोतमा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए पुलिस की मौजूदगी में पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगे। उक्त घटना से एक बार फिर प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि जब मृतक ने पहले ही शिकायत की थी, तब कार्रवाई क्यों नहीं की गई? ग्रामीणों का कहना है कि जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक वे धरना जारी रखेंगे।

*क्या मरने के बाद दर्ज एफ आई आर ?*

इस घटना ने कोतमा पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए है। घटना की शिकायत जब 15 अगस्त को की गई थी तो उसके बाद भी कार्रवाई आखिर क्यूं नहीं हुई? क्या आरोपियों की पहुंच इतनी मजबूत है कि पुलिस हाथ बांधकर बैठी रही? क्या इस मौत की जिम्मेदारी सीधे पुलिस पर नहीं बनती? ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि “पुलिस की लापरवाही से हुई हत्या” है।  अब गांव न्याय की मांग पर अड़ा है और सवाल यही उठ रहा है – आखिर कब तक पुलिस की ढिलाई और मिलीभगत गरीबों की जान लेती रहेगी? जनप्रतिनिधि ग्रामीण व परिजन अपनी मांग पर अड़े रहे जिसपर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर थाना प्रभारी कोतमा रत्नांबर शुक्ला ने पूर्व की शिकायत पर मामला दर्ज करने व शव के मर्ग जांच में साक्ष्य के आधार पर धारा बढ़ाने की बात कही है पुलिस की समझाइश पर परिजन व ग्रामवासी शव फांसी से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए सहमति दिए। शव को पोस्टमार्टम हेतु कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।

*इनका कहना है।

घटना की सूचना पर मौका स्थल पर आए है जहां अवैध संबंध के कारण आत्महत्या की बात सामने आ रही है। जनप्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद है उनसे भी बात हुई है। पूर्व की शिकायत पर एफआईआर और मर्ग की जांच के बाद धारा बढ़ाने की बात पर शव उतारकर पोस्टमार्टम की सहमति बनी है। 15 अगस्त की शिकायत की जांच के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन पर डे ऑफिसर भी वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।

*रत्नांबर शुक्ला, थाना प्रभारी, कोतमा*

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget