भाजपा मंडल अध्यक्ष चयन के लिए प्रदेश नेतृत्व के फेरें लगाते विधायक, अपात्रों के लिए लगा रहे जोर
*राय शुमारी की उपेक्षा कर नेताओं की करा रहे बेइज्जत*
उमरिया
जिले में भाजपा मंडल अध्यक्षो की बहुप्रतीक्षित सूची के इंतजार का समय लगातार बढ्ता जा रहा है। इससे उमरिया जिले के विधायकों की बैचनी बढती ही जा रही है। बताया जा रहा है की जिले के 14 मंडल अध्यक्ष में से 9 मंडल अध्यक्ष की घोषणा चुनाव के समय हो पायी थी, पांच मंडल अध्यक्ष को लेकर शुरू से ही सत्ता और संगठन के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई थी, जिस वजह से इनके नियुक्ति में विराम लगा दिया गया था। तब से लेकर अब तक मंडल अध्यक्ष के लिए सत्ता और संगठन के बीच तलवार खिची हुई है। संगठन उन चेहरों को आगे लाना चाहता है, जो भाजपा की दृष्टि से उपयुक्त हो, ताकि संगठन का कार्य सुचारू रूप से चलता रहेे , और भाजपा का वर्चस्व का शिखर ऊंचा उठा रखे, ना की जिनके चाल चरित्र को लेकर जन मानस में सवाल उठते रहे हैं। जबकि विधायक की पसंद उन कार्यकर्ताओं की ताजपोशी के लिए है, जो न गणेश परिक्रमा कर विधायकों की चापलूसी करते हैं वरना उनका उद्देश्य भाजपा के बलबूते काले कारनामों पर पर्दा पड़ता रहे। कमीशन खाेरी, ठेकेदारी पर आंच न आये। भले ही शुमारी में एक भी मत हासिल नहीं किये हो लेकिन मंडल अध्यक्ष का ताज उनके सिर ही होना चाहिए। विधायक एक लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनकर आये जन प्रतिनिधि होते हैं उनके लिए भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता मंडल अध्यक्ष के समान है, सही गलत का विचार कर कार्यकर्ताओं को समान रूप से एक नजरिया रखना चाहिए, लेकिन विधायक शिव बनकर भष्मासुर को ही वरदान देने के लिए पूरी ताकत लगा रखे है,। इसके लिए उन्होंने बीते दिनों भोपाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और संगठन महामंत्री हितानंद जी से बंद कमरे में बैठ कर अपने पंसदीदा चेहरों के लिए दबाव बना रहे हैं। बताया जाता है की सौजन्य भेंट के बहाने प्रदेश अध्यक्ष जी से मिली और जो लोग बैठे हुए थे, उनसे आग्रह कर एकांत में चर्चा की। माना जा रहा है की मानपुर विधान सभा के अमरपुर, घुनघुटी और बांधवगढ़ विधानसभा के कोहका और करकेली में अपने चहेतो के लिए पैरवी करते देखें गयें।जबकि इन मंडल अध्यक्ष के लिए जिनके लिए पैरवी कर रहे हैं उनमें न सिर्फ कांग्रेस पृष्ठभूमि के कार्यकर्ता शामिल हैं जिनके भाई पिताजी कांग्रेस के मंडल और जिला पदाधिकारी जैसे जिम्मेदार पदों पर आसीन हैं बल्कि इसके साथ ही कमीशनखोरी, ठेकेदारी जैसे व्यवसाय को बचाने के लिए ही भाजपा का दुशाला ओढ रखें है। इसी तरह कुछ पर मधु शाला में बालाओं के साथ नृत्य करते देखे जा सकते हैं तो कुछ भाजपा गाइडलाइन के अनुसार तय आयु सीमा पार कर चुके हैं। भाजपा चुनाव के लिए दो स्तर पर राय शुमारी कर जो की बूथ स्तर और जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं की बे इज्जत कराने का काम किया गया। विधायकों ने आखिर कार ऐसे चेहरों को आगे बढाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। क्या भाजपा जैसे विशाल संगठन में कार्यकर्ताओं की इतनी कमी हो गयीं हैं की जो कार्यकर्ता तय मापदंडों के अनुरूप सही नहीं फिर भी उनकी ताजपोशी के लिए भाजपा आलाकमान के फेरें लगाते देखे जा रहे हैं।
भाजपा संगठन आधारित दल है जहाँ पर संगठन ही सर्वोपरि होता है लेकिन उमरिया जिले में विधायकों के दबाव के आगे संगठन लाचार नजर आ रहा है। संगठन में अगर विधायकों की मनमानी चलेगी तो भाजपा और कांग्रेस का बेसिक अंतर खत्म हो जायेगा और भाजपा संगठन भी समाप्ति की ओर कदम ताल करते लगेगा। भाजपा संगठन आलाकमान मंडल अध्यक्ष के घोषणा करने के पहले सभी उठाये गए बिन्दुओं के तह पर जाकर सूक्ष्मतम जांच कराने के बाद सूझबूझ से निर्णय करना भाजपा संगठन के लिए हितकारी होगी, ऐसी जनापेक्षा की गयी है।