आरटीओ में 3 वर्ष से नही है इंटरनेट कनेक्शन, दलालो के दम पर चल रहा है कार्यालय

आरटीओ में 3 वर्ष से नही है इंटरनेट कनेक्शन, दलालो के दम पर चल रहा है कार्यालय

*ड्राइविंग लाइसेंस का प्रमाणीकरण एक सेंटर का पंजीयन संस्था दे रहा है*


समाचार

शहडोल। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में तीन साल से इंटरनेट कनेक्शन नहीं हैं। इसके बावजूद आनलाइन कार्य हो रहा है। यह सब बिचौलियों की मिलीभगत से संभव हो रहा है। दरअसल, आनलाइन व्यवस्था में बिचौलियों का कोई काम नहीं रहता है। बिचौलियों को काम मिलता रहे, इसलिए तीन साल से बंद इंटरनेट कनेक्शन को सही नहीं कराया जा रहा है। जबकि इंटरनेट के लिए मोबाइल टावर कार्यालय परिसर में लगाया गया है। इंटरनेट कनेक्शन के बहाने बिचौलियों को कार्यालय में बैठाया जा रहा है। अधिकारी, कर्मचारी यह कहते देखे जाते हैं कि अमुक बाहरी व्यक्ति के मोबाइल से इंटरनेट कनेक्शन लेने कार्यालय में बैठाया गया है। परिवहन विभाग में वर्षों से भर्राशाही चल रही है। अनेक अधिकारी आए और चले गए, लेकिन यहां की कार्यशैली में बदलाव नहीं आया। वर्तमान में भी दो बाबुओं की साठगांठ से परिवहन विभाग में पुराने ढर्रे पर ही काम चल रहा है। उसी का नतीजा है कि तीन साल से यहां इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं हैं। ड्राइविंग लाइसेंस का प्रमाणीकरण एक ऐसा सेंटर दे रहा है, जिसके पास सिर्फ सेंटर का पंजीयन है। यहां से बिना ट्रायल के ही चालकों को वाहन चलाने का प्रमाण दिया जा रहा है। राजीव ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के नाम से धड़ल्ले से प्रमाण पत्र जारी हो रहे हैं और इसी आधार पर परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर रहा है। महिला कर्मचारी के जांच के दायरे में आने के बाद परिवहन विभाग में अब नियमित कर्मचारी के रूप में एक बाबू बचा है। बाकी दो काम करने वालों को अधिकारी ने अपने स्तर पर नियोजित कर रखा है और वो ही पूरा काम निपटा रहे हैं। जबकि ये आउटसोर्स के कर्मचारी भी नहीं हैं। इतना ही नहीं जिस होटल में परिवहन अधिकारी रहती हैं, उसका संचालक भी अब आरटीओ के काम में दलाली करने लगा है। 

*दो लिपिकों पर हुई थी कार्रवाई*

इधर, हाल ही में कार के नंबर से बस चलवाने वाले परिवहन कार्यालय के दो कर्मचारी जेल भेजे जा चुके हैं। दोनों की गिरफ्तारी के बाद संबंधित महिला लिपिक जांच के दायरे में आ गई है। पुलिस के अनुसार परिवहन विभाग के जिन पूर्व कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है, उनमें परिवहन विभाग के बाबू अनिल खरे और महेश प्रसाद सिंह हैं जो कि रीवा के रहने वाले हैं। इनमें महेश प्रसाद सेवानिवृत्त हो चुके हैं और अनिल खरे रीवा परिवहन कार्यालय में पदस्थ हैं। फर्जीबाड़े में दोनों को गिरफ्तार का जेल भेज दिया गया है। इस मामले में 2018 में अपराध दर्ज हुआ था और बस भी जब्त की गई थी। बस मालिक पुष्पेंद्र मिश्रा निवासी ब्यौहारी बाबुओं से मिलकर कार के नंबर से बस चलवा रहा था। 15 साल पुरानी बस की संबंधित लिपिकों ने एनओसी दे दी थी। इस कार्रवाई के बाद एक महिला लिपिक भी संदेह के दायरे में है, क्योंकि एनओसी के डिस्पैच नंबर उसी के द्वारा दिए गए थे।

इनका कहना है 

इंटरनेट की व्यवस्था दिखवाते हैं, अभी तो मोबाइल से काम हो रहा है। ड्राइविंग सेंटर भी जल्दी कंचनपुर में चालू कराएंगे और जो भी अनियमितताएं हैं, उन्हें ठीक करेंगे। होटल संचालक व अन्य के बारे में मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है।

*अनपा खान, परिवहन अधिकारी जिला शहडोल*

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