तबादले के बाद नई कवायद में जिला बना ‘काली छाया’ अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा
*रिक्तियां गायब, सिस्टम में पारदर्शिता फेल, संकुल प्राचार्य और ऑपरेटरों का ‘राज*
अनूपपुर
मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के तबादले के बाद रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की ऑनलाइन नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन अनूपपुर जिले में यह कवायद पारदर्शिता से ज्यादा भ्रष्टाचार का पर्याय बनती नजर आ रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 के लिए जीएफएमएस पोर्टल पर रिक्त पदों का विवरण प्रदर्शित कर ऑनलाइन आवेदन बुलाए हैं, लेकिन अनूपपुर में अधिकांश शासकीय विद्यालयों के रिक्त पदों की जानकारी पोर्टल पर अदृश्य है।
*अपात्रों को मौके, पात्र ठगे हुए*
विभाग के निर्देश साफ हैं कि आवेदन ऑनलाइन होंगे, चयन भी ऑनलाइन होगा, लेकिन यहां संकुल प्राचार्य और स्कूलों के कंप्यूटर ऑपरेटर ही नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया के ‘किंगमेकर’ बने हुए हैं। पात्र शिक्षक फाइलें और दस्तावेज लिए बीईओ, डीईओ और सहायक आयुक्त कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कहीं से भी कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी जा रही। पोर्टल पर रिक्तियां ही अपलोड नहीं की गईं, तो आवेदन पात्र करें भी तो कैसे?
*तारीखों की बाजीगरी*
पहले चरण के लिए 26 जून से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 1 से 3 जुलाई तक उपस्थिति प्रमाणीकरण का शेड्यूल तय है। 5 जुलाई से 12 जुलाई तक दूसरे चरण की संभावित तारीखें हैं। लेकिन जिन जिलों में रिक्तियां गोपनीय रखी गई हैं, वहां यह प्रक्रिया सिर्फ दिखावे की रस्म बन चुकी है। सिस्टम में अनूपपुर ‘ब्लैकहोल’ बन गया है, विभाग का दावा हैं कि “रिक्त पदों के विरुद्ध ही नियुक्ति होगी। मगर अनूपपुर की हकीकत यह है कि रिक्त पदों का ऑनलाइन अता-पता ही नहीं हैं। विभाग का दावा “पूरा चयन ऑनलाइन होगा।” मगर हकीकत यह है कि फाइलें लेकर अफसरों और प्राचार्यों के दफ्तरों में धक्के खा रहे अभ्यर्थी।
*कौन जिम्मेदार?*
संकुल प्राचार्य, कम्प्यूटर ऑपरेटर और संबंधित अधिकारी सबकी जिम्मेदारी तय है, लेकिन अफसरशाही की मौन सहमति से पात्र शिक्षक हाशिए पर और ‘सेटिंग’ वाले अपात्र शिक्षक ही ऑनलाइन प्रणाली के नाम पर सीटें हथिया रहे हैं। डीईओ, बीईओ और सहायक आयुक्त आदिवासी परियोजना कार्यालय आंख मूंदे बैठे हैं या कहें जानबूझकर अनजान बने हुए हैं।
*ऑनलाइन, ऑफलाइन का तमाशा*
जहां प्रदेश में अतिथि शिक्षकों की पारदर्शी नियुक्ति के लिए शासन ऑनलाइन प्रणाली की दुहाई दे रहा है, वहीं अनूपपुर जिले में यह नियम मजाक बन गया है। शिक्षकों के स्कोरकार्ड, अनुभव अंक और मेरिट सब ताक पर रख दिए गए हैं।
यह कैसी डिजिटलीकरण की उपलब्धि? क्या अतिथि शिक्षकों की भर्ती भी अब ठेकेदारी में तब्दील हो गई है? क्या संकुल प्राचार्य और ऑपरेटर मिलकर पात्रों की मेहनत पर पानी फेरने की खुली छूट पाए बैठे हैं? क्या विभाग का एजुकेशन पोर्टल-3.0 सिर्फ औपचारिकता निभा रहा है, शिक्षा विभाग को इन सबका जवाब देना होगा। अगर शिक्षा विभाग वाकई ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता का दावा करता है तो अनूपपुर जैसे जिलों में अपात्रता और अपारदर्शिता के इस खेल पर तत्काल अंकुश लगाना होगा। अन्यथा ऑनलाइन सिस्टम सिर्फ दिखावा साबित होगा और असली हकदार शिक्षक ताउम्र भटकते रहेंगे।
सर्व शिक्षा अभियान शिक्षा विभाग सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग सभी स्कूलों की रिक्तियों की तत्काल पोर्टल पर सार्वजनिक जानकारी अपलोड की जाए। पात्र-अपात्र की सूची पारदर्शी तरीके से पोर्टल पर जारी हो। संकुल प्राचार्यों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की भूमिका की जांच हो। डीईओ और बीईओ को जिम्मेदारी से निगरानी करने के निर्देश दिए जाएं। यह रिपोर्ट शिक्षकों, छात्रों और शिक्षा व्यवस्था के भविष्य के हित में है। ऑनलाइन प्रक्रिया में धांधली की यह मिसाल, शासन की साख को बट्टा लगाने वाली है और इसे तत्काल सुधारा जाना जरूरी है।