कोयला भंडारण में साईंकृपा ने नहीं ली नगर पालिका से अनुमति, नगरीय टैक्स का नुकसान
*आवासीय इलाके के बीच निजी साइडिंग से कोयला की खरीद-फरोख्त*
अनूपपुर
जिले के बिजुरी स्थित रेलवे साइडिंग पर उतरने वाले करोड़ो के कोयला का भंडारण के खेल में साईंकृपा कोल साइडिंग के संचालक ने नगरपालिका बिजुरी से भी क्षेत्र में कोयला भंडारण और क्रय विक्रय के लिए अनुमति नहीं ली है। इससे पूर्व कोयला भंडारण को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल संभाग ने सीटीओ पर पल्ला झाड़ते हुए खनिज विभाग अनूपपुर के पाले में गेंद डाल दिया था। वहीं खनिज विभाग अनूपपुर ने भी कोयला भंडारण को लेकर संचालक को कोई भी अनुमति पत्र विभाग द्वारा जारी नहीं किए जाने की बात कही थी। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल की गैर जिम्मेदाराना बयान पर आश्चर्य व्यक्त किया था। लेकिन यहां सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यहां यहां भंडारित होने वाला कोयला को किन नियमों के आधार पर भंडारित और परिवहन किया जा रहा है? जबकि यह साइडिंग न तो बेनिफिकेश है और ना ही डंपिंग एरिया। तो फिर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल, खनिज विभाग अनूपपुर, नगरपालिका बिजुरी के जिम्मेदारों के बावजूद यहां भंडारित होने वाला कोयला को किन नियमों के आधार पर भंडारित और परिवहन किया जा रहा है? क्या रेलवे द्वारा दी गई जमीन और एसइसीएल के कोयले की आपूर्ति कराने से ही नगरीय प्रशासन का राजस्व टैक्स स्वत: माफ हो जाता है। या फिर यहां नगरीय राजस्व वसूली के अलग प्रावधान है और अगर है तो उसका पालन क्यों नही किया जा रहा है। फिलहाल आवासीय क्षेत्र के बीच नगरीय जमीन का उपयोग कर रेलवे की साइडिंग पर कोयला का भंडारण अवैधानिक तरीक से किया जा रहा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां रसूखदारों के अवैध कामों के लिए एनओसी के साथ किसी टैक्स पे की आवश्यकता नहीं पड़ती। भले ही इस काम में नगरीय क्षेत्र को मिलने वाला राजस्व टैक्स की ही क्यों नहीं हानि उठाना पड़े।
*नियमों विरुद्ध अवैध कोयला का भंडारण*
साईं कृपा कोल साइडिंग बिजुरी पर उतरने वाले करोड़ों रूपए के काले हीरे का कारोबार बिना भंडारण की अनुमति के संचालित हो रहा है। इसे अवैध कारोबार कहा जा सकता है, जहां कम कीमत पर एसईसीएल से कोयला आपूर्ति कराकर उसे छांटकर उंची कीमत में विक्रय किया जा रहा है। जबकि नियमों के अनुसार कोयला खदान से ५० किलोमीटर के भीतर कोयला भंडारण नहीं किया जा सकता है। अगर रेलवे की जमीन पर कोयले के भंडारण की अनुमति मिलती है तो सेवा शर्तो के अनुसार वह सिर्फ भंडारण कर सकता है, साइडिंग का उपयोग या संचालन नहीं कर सकता। भंडारण की अनुमति रेलवे दे तो वहां संचालक द्वारा मात्रा के अनुसार २४,४८ या ७२ घंटे के भीतर उसे खाली किया जाना अनिवार्य होता है। किसी कारण वश समय की अधिक आवश्यकता पड़े तो सप्ताहभर का समय भी दिया जा सकता है। लेकिन भंडारण की आड़ में अवैध कोयले का कारोबार नहीं संचालित किया जा सकता। लेकिन यहां प्रशासन ने रेलवे की साइडिंग वाली जमीन पर किस नियमों के आधार पर कोयले का भंडारण करने की अनुमति दे रही है यह समझ से पड़े हैं।
*खनिज विभाग ने नहीं दी है अनुमति*
साईं कृपा कोल साइडिंग बिजुरी द्वारा भंडारण के लिए पूर्व में खनिज विभाग से अनुमति मांगी थी। लेकिन यहां रेलवे की जमीन होने के कारण खनिज विभाग ने अनुमति देने से मनाही कर दी थी। जबकि स्थानीय नगरीय क्षेत्र ने भी भंडारण के लिए कोई अनुमति नहीं दी है। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्र्ड संभाग शहडोल के अधिकारी मुकेश श्रीवास्तव का कहना है कि यह मेरे क्षेत्राधिकार में नहीं है, इस सम्बंध में एसइसीएल और खनिज विभाग ही जानकारी दे पाएगा। लेकिन आश्चर्य (सीटीओ) वायु, जल सम्मति का प्रमाण पत्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग द्वारा ही प्रदाय किया जाता है।