बड़ी लापरवाही, बायोकेमिकल वेस्ट से पटा पड़ा बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज, डीन पर गंभीर आरोप
*मांस के लोथड़े, टूटी सिरिंज, प्रतिबंधित दवाइयों से लेकर गंध मारता टनों कचरा*
शहडोल
बिरसा मुंडा मेडिकल कॉलेज शहडोल के डीन और उनकी लापरवाहियों का खमीयाजा यहां पदस्थ कर्मचारियों और इलाज करने आने वाले मरीज व उनके परिजन भुगत रहे हैं, बायोमेडिकल वेस्ट जैसे पदार्थ जिसे प्रतिदिन निष्पादित करना चाहिए उसे मेडिकल कॉलेज में ही एकत्र करवाया जा रहा है, बीते एक महीने से बायोकेमिकल वेस्ट मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ गिरीश बी रामटेक मेडिकल परिसर के ही एक हिस्से में इकट्ठा करवा रहे हैं, जो आज टनों की स्थिति में पहुंच गया है, हालांकि बायोकेमिकल वेस्ट के प्रतिदिन यहां से उठाने और इसका निष्पादन करने के लिए एक फर्म को ठेका दिया गया है, लेकिन फर्म के प्रबंधक पलाश जैन बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ गिरीश बी रामटेक और यहां के मेडिकल स्टाफ की लापरवाही के कारण उनका कई महीनो से भुगतान नहीं किया गया और इस मामले को लेकर जब उन्हें आपत्ति जताई तो उन्हें बुरी फटकार लगाई गई, उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया, मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ गिरीश बी रामटेक की लापरवाही का आलम यह है की बायो मेडिकल वेस्ट का टनों कचरा परिसर में ही इकट्टा करवा दिया गया है,जो अब यहां इलाज करने के लिए आने वाले मरीज और उनके परिजनों के साथ ही यहां कार्यरत स्टाफ के लिए जान का दुश्मन बन चुका है।
मेडिकल कॉलेज परिसर के पिछले हिस्से जहां ऑक्सीजन प्लांट और चीर घर बनाया गया है, उसी के एक हिस्से में प्रतिदिन का बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंका जा रहा है, इस कमरे से प्रतिदिन ठेका कंपनी को यह कचरा उठाकर अपने इटौर स्थित डंप यार्ड में ले जाकर नियमानुसार इसका निष्पादन करना था, लेकिन यहां कुछ और ही हो रहा है मांस के लोथड़े जिन्हें कुत्ते और अन्य जानवर पक्षी खाते हुए स्पष्ट रूप से नजर आते हैं, दूर-दूर तक फैला उपयोग की गई द्वितीय से भरी टूटी सिरिंज और अन्य मेडिकल दवाइयां का बिखराव के साथ ही मेडिकल वेस्ट के दौरान निकले अन्य संक्रमित ब्लड तथा रक्तरंजित दवाइयां, गंदे कपड़े फैला कर रखे गए हैं, इसमें प्रतिदिन निकलने वाली दूषित खाद्य सामग्री से लेकर हर प्रकार का वेस्ट मेडिकल कंपाउंड के ही अंदर रखा गया है, जिसकी दुर्गंध अब वार्डो तक फैल रही है, इस पूरे मामले में खुद को पाक साफ बताते हुए मेडिकल कॉलेज पर आरोप लगाने वाले पलाश जैन कहते हैं कि उन्हें कई महीनो से भुगतान नहीं किया गया, इस मामले में चिकित्सा महाविद्यालय के मुखिया डीन डॉ गिरीश बी रामटेक पूरी तरह से जिम्मेदार है।
शहडोल के चिकित्सा महाविद्यालय में करीब एक माह से बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन नहीं हो रहा है, मेडिकल और बायोमेडिकल से जुड़े हुए विशेषज्ञों बताते हैं कि बायोमेडिकल वेस्ट दरअसल डायऑक्सिन परसिसटेंट ऑर्गेनिक पॉल्यूटेंट हैं, जो पर्यावरण और हमारी फूड चेन में जमा होते जाते हैं। ये अत्यधिक टॉक्सिक होते हैं जिसकी वजह से कैंसर, जन्म दोष, प्रजनन प्रणाली में परिवर्तन, शिशु विकास में प्रभाव, प्रतिरक्षा प्रणाली का दमन, महिला और पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। लेकिन शहडोल जिले के मेडिकल कॉलेज जहां बायोमेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने वाले पलाश जैन की गाड़ी तो छोड़ दीजिए सामान्य कचरा भी नहीं उठाया जा रहा, वहां कचरे को उठाकर परिसर के एक हिस्से में फेंकने के अलावा कोई विकल्प शायद जिम्मेदारों के पास नहीं बचा। हालात यह हैं कि यहां इलाज कराने के लिए आने वाले इससे होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में पूरी तरह अंजान हैं।