सर्च वारंट के नाम पर पुलिस की गुंडागर्दी, एसडीएम के इशारे पर दादा दादी के घर से आयुष पहुँचा मामा के घर
*नियम विरुद्ध हुई कार्यवाही, वारिस की चाह में भाई बहन ने रचा चक्रव्यूह*
अनूपपुर
जब भैया भए कोतवाल तो डर काहे का, जी हां मध्य प्रदेश शासन के अफसर शाह इन दिनों ऐसी ही कहावत को चरितार्थ करते रीवा से अनूपपुर तक देखे जा सकते हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण इनकी मनमानी कार्यप्रणाली है, जो खुद ब खुद अपने कारनामों को बयां कर रही है, प्रदेश की अधिकारी लॉबी ऐसे सारे नियम कानून को दरकिनार कर कानून की नाफरमानी पर उतारू है, जिला अंतर्गत ग्राम कैलोरी निवासी प्रमिल मिश्रा का अपनी पत्नी अंजली मिश्रा से किसी बात को लेकर अनबन हो गई और पत्नी अंजलि नाराज होकर अपने मायके कटनी चली गई, अंजली मिश्रा अपने 4 साल के बेटे को पति प्रमिल मिश्रा के पास से छोड़कर चली गई, लेकिन मिश्रा परिवार को क्या पता था की उनकी बहू अंजनी मिश्रा अपने बेटे को अपने पास बुलाने का एक नायाब तरीका अपनाएगी, आपको बता दें कि अंजली मिश्रा का भाई अनुराग तिवारी जो कि एसडीएम रीवा के पद पर पदस्थ है, उन पर पीड़ित मिश्रा परिवार का आरोप है कि एसडीएम अनुराग तिवारी अनूपपुर के तत्कालीन एसडीएम कमलेश पुरी से बातचीत कर अपने भांजे आयुष मिश्रा को बलपूर्वक उठवा लेने का तना-बना बुना और बकायादे मिश्रा परिवार के चिराग को बलपूर्वक बिना किसी न्यायालीन प्रक्रिया को पूरा किए बगैर घर से उठावाकर बाल कल्याण अनूपपुर को जबरन दबाव बनाकर दिलवा दिया गया, इस पूरी नाटकीय कार्रवाई से असंतुष्ट मिश्रा परिवार के मुखिया लल्लू मिश्रा ने जब सूचना के अधिकार के तहत मिली हुई जानकारी की नकल पढ़ी तो उनके होश उड़ गए जिसमें साफ- तौर पर लिखा था कि यह मामला धारा 97 , 98 की परिधि में नहीं आता, इसलिए एसडीम कार्यालय से इन्हें स्वतंत्र कर इन्हें बच्चा आयुष मिश्रा को वापस दिया गया है, जबकि इस पूरे मामले में अधिकारियों ने मनमानी का चाबुक चलाते हुए आयुष मिश्रा को बाल कल्याण तथा फिर वहां से उसकी मां अंजलि मिश्रा के पास भेज दिया गया, हद तो तब हो गई जब शिकायतकर्ता लल्लू मिश्र ने सीएम हेल्पलाइन में एसडीएम अनुराग तिवारी की शिकायत करते हुए पूरे मामले की जांच की मांग की, लेकिन शिकायत रीवा के जिस अधिकारी के नाम की थी वह अधिकारी अनुराग तिवारी एसडीम स्वयं अपनी शिकायत की जांच कर उसे ठंडे बस्ती में डाल दिया।
*क्या है पूरा मामला*
27 मई 2022 को कैलोरी निवासी लल्लू मिश्र के घर थाना चचाई पुलिस के 10 से 12 जवान आ धंमकते हैं और पूरे परिवार को धमकाते हुए लल्लू मिश्र को अपने ही पोते आयुष मिश्रा को अगवा कर जबरदस्ती अपने घर में रखने की बात कहते हैं और कल एसडीएम कोर्ट में आपका बुलावा है यह कहकर बिना कोई नोटिस दिए चले जाते हैं, 27 मई दोबारा इन्हें जबरन घर से एसडीएम कोर्ट अनूपपुर ले जाया गया, जहां पर पहले से मौजूद आयुष मिश्रा की मां अंजली मिश्रा मौजूद थी, जिसने अपने औपचारिक कथन में प्रमिला मिश्रा से 11 वर्ष पूर्व विवाह होना बताया गया एवं कहा गया कि मैं कन्या विद्यालय परिसर अनूपपुर शिक्षिका पद कार्यरत हूं, आवेदक गण द्वारा मुझे गाली गलौज व मारपीट करने को आमदा होते हैं, इस कारण मैं 6-7 महीने से पुत्र के साथ अलग रहने लगी हूं, लगभग 3 महीने पहले आवेदन एवं कुछ अन्य आदमियों के साथ एक गाड़ी में आए और आवेदिका के साथ मारपीट कर जबरदस्ती बलपूर्वक मेरे पुत्र को छीन कर ले गए मैं कई बार अपने पुत्र से मिलने गई लेकिन पुत्र से मिलने नहीं दिया गया, अंजली मिश्रा द्वारा एसडीएम कोर्ट में नाटकीय ढंग से दिए गए बयान की ही अगर बात की जाए तो जब उनके साथ मारपीट की गई या उनसे उनका बच्चा छीन कर ले जाया गया तो उसकी रिपोर्ट उन्होंने संबंधित थाने में दर्ज क्यों नहीं की, जिस कन्या परिसर में बच्चा छीना गया वह पूरी तरह सीसी के टीवी कैमरे की निगरानी में है, आखिर सीसीटीवी फुटेज को सबूत बनाकर पेश क्यो नही किया गया, जबकि पति प्रमिल मिश्रा की कथन के अनुसार कहां गया कि हम पति-पत्नी के बीच कभी कोई विवाद हुआ ही नहीं, हम पति-पत्नी को अलग करने के लिए मेरी पत्नी का भाई एसडीएम अनुराग तिवारी द्वारा स्क्रिप्ट पहले से ही लिखी जा रही थी।
*यह कैसी कार्यवाही*
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत एसडीएम कार्यालय से दी गई जानकारी के अनुसार 27 मई 2022 को पुलिस थाना चचाई द्वारा सर्च वारंट की तामिली करने लल्लू मिश्रा के घर गई थी, लेकिन प्रश्न नहीं उठता है कि जब 27 मई का सर्च वारंट है तो पुलिस एक दिन पहले लल्लू मिश्र के घर क्या करने गई थी, वही इस पूरे मामले में दोनों पक्षों का कथन एसडीएम कार्यालय में 27 मई को ही दर्ज किया गया, मतलब यह है कि वारंट की तामिली और दोनों पक्षों का कथन एक ही दिन एसडीएम कार्यालय में बिना किसी पूर्व नोटिस के हो गया जानकारी में उल्लेख किया गया कि प्रकरण 4 वर्षीय पुत्र के विधिक कस्टडी के संबंध में है, जिसकी अधिकारिता सिविल न्यायालय को है, अतः आवेदक द्वारा प्रस्तुत आवेदन धारा 97,98 की परिधि मे ना होने से अस्वीकार किया जाता है, पक्षकारों को पूर्णत: स्वतंत्र किया जाता है, जबकि आरोपी है कि दबाव बनाकर एसडीएम कार्यालय से आयुष मिश्रा को बाल कल्याण भिजवा दिया गया, इस वक्त आयुष मिश्रा अपनी मां अंजली मिश्रा के पास है, एसडीएम कार्यालय अनूपपुर से यदि मामला निरस्त कर दोनों पक्षों को स्वतंत्र किया गया तो फिर बिना न्यायालय के फैसले के आयुष मिश्रा अपनी मां के पास कैसे पहुंच गया, यह समझ से परे है एसडीएम कार्यालय की पूरी कार्रवाई तथा आयुष मिश्रा का बिना किसी न्यायालीन कार्रवाई की अपने मां के पास होना है संबंधित अधिकारियों को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है
*पीड़ित परिवार ने की शिकायत*
पीड़ित मिश्रा परिवार ने इस पूरे मामले की शिकायत पीएमओ ऑफिस सहित सीएम हेल्पलाइन में भी की थी शिकायत क्रमांक पीएमओ पी जी / डी/2023/0242070 सीएम हेल्पलाइन शिकायत क्रमांक 2467 1042 लेकिन सभी शिकायतें एसडीएम साहब के प्रभाव में डाक के तीन पात साबित हुई, क्योंकि सभी शिकायत के जांच अधिकारी खुद एसडीएम अनुराग तिवारी रहे हैं अब यह तो लाजमी है कोई भी अधिकारी अपने खिलाफ जांच गलत कैसे लिखेगा। पीड़ित ने कई शिकायत कर चुका है मगर अभी तक न्याय नही मिल पाया है।
इनका कहना है।
इस मामले में एसडीएम अनूपपुर को कॉल किया गया तो उनका मोबाइल रिसीव नही हुआ।