एक वर्ष में डूबकर दो युवाओं की मौत, प्रशासन की लापरवाही पर उठते गंभीर सवाल

एक वर्ष में डूबकर दो युवाओं की मौत, प्रशासन की लापरवाही पर उठते गंभीर सवाल

*घाटों पर नही है चेतावनी पट्टिकाएं, गोताखोरों की नही की गई तैनाती*


अनूपपुर

पवित्र नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक, जो श्रद्धा और भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है, अब प्रशासन की लापरवाही के चलते हादसों का केंद्र बनता जा रहा है। बीते एक वर्ष में रामघाट और पुष्कर डेम क्षेत्र में डूबने से दो युवाओं की दर्दनाक मौत हो चुकी है, जिससे पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल व्याप्त है।

गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अमरकंटक के शांति कुटी में रहने वाले शिष्य राज भदौरिया की रामघाट में डूबने से मृत्यु हो गई। हादसा उस समय हुआ जब वे दोपहर को अपने भाई के साथ स्नान करने घाट पर गए थे। तैरते-तैरते वे बीच में फव्वारे के पास पहुंचे, जहां उनका पैर फंस गया। गहराई और सुरक्षा उपायों की कमी के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस घटना ने श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति से भरे वातावरण को गमगीन कर दिया। यह घटना कोई पहली नहीं थी। इससे पूर्व, इसी वर्ष 29 जनवरी को अनूपपुर निवासी 21 वर्षीय विकास विश्वकर्मा की भी रामघाट में डूबने से मौत हो गई थी। दोनों ही मामलों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नदारद थे।

घाटों पर कोई चेतावनी पट्टिकाएं नहीं लगी हैं। प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती नहीं की गई है। सीढ़ियों पर न तो रेलिंग है और न ही पानी में कोई जंजीर या अन्य सुरक्षा उपकरण। कई घाटों पर सीढ़ियों पर शैवाल और काई जमा होने से फिसलन की स्थिति बन जाती है, जिससे महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग असंतुलित होकर गहरे पानी में गिर जाते हैं।कोटितीर्थ कुंड, उत्तर तट, दक्षिण तट जैसे प्रमुख स्नान स्थलों पर भी यही स्थिति बनी हुई है। वर्षों से श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों द्वारा लगातार शिकायतें की जाती रही हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का कहना है कि अमरकंटक जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर सुरक्षा इंतजामों की उपेक्षा प्रशासन की गंभीर भूल है। हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कोई स्पष्ट नीति या कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। लोगों का सवाल है कि आखिर कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और कितनी और जानें जाने के बाद प्रशासन जागेगा।

सभी प्रमुख घाटों पर चेतावनी बोर्ड लगाना। प्रशिक्षित गोताखोरों की तैनाती सुनिश्चित करना। सीढ़ियों की मरम्मत और सफाई की नियमित व्यवस्था। रेलिंग और जंजीरों जैसी आधारभूत सुरक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना। स्नान के लिए सुरक्षित क्षेत्र निर्धारित कर अन्य स्थानों पर तैराकी और कूदने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना। अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो अमरकंटक की गरिमा और श्रद्धालुओं की आस्था प्रशासन की लापरवाही के कारण गहरे संकट में पड़ सकती है।

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