ओपीएम कास्टिक सोडा यूनिट में जानलेवा लापरवाही, मजदूर की जान पर बना, फिर भी सुरक्षा नहीं कब जागेंगे जिम्मेदार

ओपीएम कास्टिक सोडा यूनिट में जानलेवा लापरवाही, मजदूर की जान पर बना, फिर भी सुरक्षा नहीं कब जागेंगे जिम्मेदार

*बिना सुरक्षा उपकरणों के खतरनाक काम,लेबर एक्ट का खुला उल्लंघन*


अनूपपुर/अमलाई

एक बार फिर ओरिएंट पेपर मिल की कास्टिक सोडा यूनिट से मानव जीवन के साथ हो रहे खिलवाड़ की खौफनाक तस्वीर सामने आई है। बीते दिन मजदूर रन्नू पनिका को काम के दौरान एक जहरीले सर्प ने काट लिया। मिल प्रबंधन की लापरवाही के बावजूद GM अविनाश वर्मा की तत्परता से मजदूर की जान तो बच गई, लेकिन इस घटना ने मजदूर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है।

*बिना सुरक्षा उपकरणों के खतरनाक काम*

रन्नू पनिका, जो ठेकेदार संतोष मिश्रा के अधीन कार्य करता है, उन सैकड़ों मजदूरों में से एक है जिन्हें कास्टिक जैसे रसायनों की गंध, रिसाव और जहरीले वातावरण में बिना हेलमेट, बूट, दस्ताने या गैस मास्क के भेजा जाता है।कई मजदूरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें मिल के भीतर खतरनाक इकाइयों में बिना किसी प्रशिक्षण और सुरक्षा साधनों के काम करने मजबूर किया जाता है। यह सब कुछ मिल प्रबंधन और ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रहा है।

*लेबर एक्ट का खुला उल्लंघन* 

कास्टिक यूनिट जैसे अति-संवेदनशील स्थान पर कार्यरत मजदूरों के लिए सेफ्टी गियर, बीमा, चिकित्सा सुविधा, प्रशिक्षण और आकस्मिक बचाव टीम की व्यवस्था अनिवार्य है। लेकिन ओरिएंट मिल में लेबर एक्ट की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। सवाल यह उठता है कि लेबर विभाग, जिला प्रशासन और फैक्ट्री निरीक्षण अधिकारी क्या सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित हैं? क्या अधिकारी ठेकेदारों और अफसरों की मिलीभगत से आंखें मूंदे हुए हैं?

*मजदूर संगठनों की चेतावनी*

इस घटना के बाद मजदूर संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। सांप काटे जाने की खबर जैसे ही आम पब्लिक के बीच में गई उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों को दुरुस्त नहीं किया गया, तो जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा और प्रशासन को भी घेराव का सामना करना पड़ेगा। इस तरह की जान चर्चाओं का बाजार पूरे क्षेत्र में गम है और निश्चित रूप से आने वाले दिनों में कई मजदूर संगठन इकाई के नेता आगे आकर इस पर विरोध करने की बात कह रहे हैं।

*अगली बार किसकी जान जाएगी*

मजदूर कोई मशीन नहीं, वो भी एक इंसान है। उसकी जान की कीमत किसी यूनिट के प्रोडक्शन से कहीं ज्यादा है। अगर आज भी इस घटना से प्रशासन नहीं जागा, तो अगली खबर शायद किसी की मौत की होगी। आप महीने में दो-चार खबर ओरिएंट पेपर मिल और सोडा फैक्ट्री की सुनते ही होंगे यहां पर कोई बड़ी जन हानि होती ही रहती है, लेकिन हादसे हैं कि कम होने का नाम ही नहीं लेते इन सब के बीच कहीं ना कहीं ऑफिसर और नेताओं का बड़ा रोल है, जिस पर कंपनी के मालिक को समझने की जरूरत है।

*क्या जिला प्रशासन व श्रम विभाग लेंगे संज्ञान*

जिस तरह से आए दिन ठेकेदार और कंपनी के अन्य जिम्मेदारों के बीच में लापरवाही को लेकर आने को हाथ से होते रहते हैं, क्या अब इस बार  जिले का प्रशासन, श्रम विभाग और पर्यावरण विभाग अब आंखें खोलेगा?,क्या ओरिएंट मिल के भीतर असली हालात की निष्पक्ष जांच करवाई जाएगी, क्या ठेकेदारों और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। यदि आपने भी ऐसे किसी मजदूर की परेशानी देखी हो, तो अपनी आवाज़ उठाएं। क्योंकि चुप रहना अब सबसे बड़ा अपराध है,और दबाव का कारण भी हादसों को रोकना है तो जागना पड़ेगा शासन प्रशासन के अलावा ठेकेदार और मजदूर को अपनी बात रखने का जगह और तालमेल बिठाना ही होगा।

Labels:

Post a Comment

MKRdezign

,

संपर्क फ़ॉर्म

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget