थाने में नहीं मिला न्याय, उल्टे धमकाया गया उपसरपंच को लात मारकर अंदर कर दूंगा, सीसीटीवी की मांग
अनूपपुर
जिले के कोतमा थाने में पुलिस की तानाशाही और जनप्रतिनिधियों के अपमान की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। ग्राम पंचायत गोंडारु के उपसरपंच रोहित कुमार जायसवाल ने थाने में हुई एक आपराधिक घटना की सूचना देने की कोशिश की, लेकिन जवाब में उन्हें मिली गालियां, धमकियां और बेइज्जती। मामला केवल थाना परिसर की चौखट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह लोकतंत्र और कानून व्यवस्था की सरेआम धज्जियाँ उड़ाने वाला बन गया है।
*यह पूरा मामला?*
13 जून 2025 को ग्राम दुलही बांध में रामदयाल पाव नामक ग्रामीण की ट्रैक्टर को कथित रूप से आग के हवाले कर दिया गया। रामदयाल का आरोप था कि गांव के ही मंता पाव ने चाभी छीनकर रात 10:30 बजे उसकी गाड़ी जलाई। घटना की गंभीरता को देखते हुए उपसरपंच रोहित कुमार जायसवाल रामदयाल को साथ लेकर थाना पहुँचे ताकि निष्पक्ष जांच हो सके और आरोपित पर कार्रवाई हो। लेकिन वहां जो हुआ, उसने उपसरपंच सहित पूरे ग्रामवासी समुदाय को झकझोर दिया।उपसरपंच के अनुसार, थाना प्रभारी रत्नावर शुक्ला ने उन्हें थाने में बुलाकर पहले तो फरियादी से "अकेले में बात" करने की बात कही, फिर रामदयाल को थाने में अपशब्द कहते हुए डराया-धमकाया। टीआई रत्नावर शुक्ला ने फरियादी को माँ की गाली देकर सही-सही बता नहीं तो उल्टा लटकाकर मारूंगा।" जब उपसरपंच ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ भी थानेदार ने अशोभनीय और आपराधिक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा "तू बहुत उपसरपंची दिखा रहा है... झूठी रिपोर्ट करवाता है... साले पहली बार आया है इसलिए छोड़ रहा हूँ, दोबारा थाने में दिखा तो जिंदगी बर्बाद कर दूंगा अभी लात मारकर अंदर कर सकता हूँ।
*पद का अपमान या पुलिस गुंडागर्दी?*
ग्राम का निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के बावजूद, थाने में उसके साथ किया गया व्यवहार न केवल पुलिस के गैरकानूनी और अमर्यादित रवैये को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि अब थानों में जनप्रतिनिधि भी सुरक्षित नहीं हैं। यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे पंचायत व्यवस्था, जनतंत्र और संवैधानिक मर्यादाओं के साथ की गई छेड़छाड़ है। रोहित कुमार जायसवाल ने जिला पुलिस अधीक्षक से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि – "अगर चुने हुए प्रतिनिधियों को ही थानों में अपमानित किया जाएगा, तो आम जनता की हालत क्या होगी? ऐसे टीआई को बर्खास्त किया जाए और एफआईआर दर्ज की जाए।
*सीसीटीवी की जनता ने की माँग*
ग्रामीणों और पंचायत प्रतिनिधियों ने इस पूरे घटनाक्रम के किसी वीडियो या ऑडियो फुटेज की जांच की माँग की है। अगर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध हैं, तो उसे सार्वजनिक किया जाए ताकि सच्चाई सबके सामने आए। मामला केवल एक थानेदार की भाषा का नहीं, बल्कि पुलिस तंत्र की मनमानी, चुने हुए प्रतिनिधियों की गरिमा और लोकतंत्र की नींव पर चोट का है। अगर इस पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में पुलिस और जनता के बीच की खाई और भी गहरी हो सकती हैं।