खुली कोयला खदान का काला हीरा जलकर हो रहा खाक
अनूपपुर
जिले के जमुना कोतमा क्षेत्र की जीवन दायिनी खदान आमांडाड़ ओसीपी में कोयले की गुणवत्ता G8 स्टैंडर्ड की है, पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 का लगभग तीन लाख टन कोयले का स्टॉक था, जिसमें वहां के प्रबंधन द्वारा कोयले के साथ निकले हुए सेल पत्थर को मिक्स कराकर न सिर्फ कोयले की गुणवत्ता खराब की गई बल्कि कंपनी को अप्रत्यक्ष रूप से बेईमान बनाने की साजिश रची गई है, आलम ये है कि आज उस कोयले का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है, खेद की बात ये है कि नीलकंठ कंपनी द्वारा उत्पादन किए जा रहे अच्छे ग्रेड के कोयले को पुराने स्टॉक तीन लाख टन कोयले के ऊपर डंप कराकर रोड सेल का पूरा जुगाड़ किया जा रहा हैं, उसी से प्रबंधन माला माल हो रहा है, इससे भी दुखद और गजब की बात ये है कि पुराने स्टॉक में आग लगी हुई है, जिससे प्रतिदिन लगभग 15 से 20 टन कोयला जलकर खाक होकर राख में तब्दील हो रहा है, जिससे कंपनी का करोड़ों का नुकसान जान बूझकर कराया जा रहा है, जबकि श्रमिक संगठन कोयला मजदूर सभा द्वारा पत्र लिखकर या मौखिक सलाह दी जाती है कि वर्षों से पड़े कोल स्टॉक को यदि गोविंदा साइडिंग भेज दिया जाएं तो कोयला आराम से बिक्री हो सकता है, जिससे कंपनी को आर्थिक लाभ भी होगा लेकिन वहां का प्रबंधन बात सुनने को तैयार नहीं उसे सिर्फ कमाई दिखता है।