बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक के लेखन पर परिचर्चा, देश में अभिव्यक्ति के अधिकार के दमन की निंदा
*प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर इकाई द्वारा आयोजित परिचर्चा*
इंदौर
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता कन्नड़ भाषा की लेखिका बानू मुश्ताक के लेखन, उनके सामाजिक सरोकार पर एक परिचर्चा का आयोजन अभिनव कला समाज स्थित कल्याण जैन पुस्तकालय में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि बानू मुश्ताक द्वारा अपने लेखन के माध्यम से समकालीन समाज में व्याप्त जाति, धर्म की गहरी दरारों की पहचान की गई है। उनका साहित्य भ्रष्टाचार, दमन, अन्याय और हिंसा के स्वरूप को सामने लाने में सफल रहा है। गोष्ठी में कलाकारों, लेखकों की अभिव्यक्ति पर पुलीसिया कार्यवाही पर चिंता व्यक्त की गई।
प्रगतिशील लेखक संघ इंदौर इकाई द्वारा आयोजित इस परिचर्चा में प्रलेस के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने बानू मुश्ताक की कहानी *बी ए वूमन वन्स, ओह लार्ड* के हिंदी अनुवाद का भावपूर्ण पाठ किया। उन्होंने लेखिका के रचना कौशल, सामान्य जनजीवन से उठाए गए विषयों की चर्चा की।
हरनाम सिंह ने बानू मुश्ताक की रचनाओं और उनके जीवन पर परिचयात्मक वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 1970- 80 के दशक में दक्षिण पश्चिम भारत में जाति, वर्ग व्यवस्था के विरोध में आंदोलन चला था। बद्या नामक इस आंदोलन ने कई लेखकों बुद्धिजीवियों को प्रभावित किया, उनमें बानो मुश्ताक की एक थी। हरनाम सिंह ने पुरस्कृत पुस्तक *हार्ट लैंप* के अलावा अन्य कहानियों पर भी विचार रखें। सारिका श्रीवास्तव ने बानू मुश्ताक की रचनाओं में मुस्लिम महिलाओं की समस्या पर चर्चा करते हुए वर्तमान समय के हालात पर ध्यान आकृष्ट किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में चुन्नीलाल वाधवानी ने विभिन्न भारतीय भाषाओं के लेखन पर चर्चा होने का स्वागत किया। परिचर्चा में राम आसरे पांडे, फादर पायस, अभय नेमा, जावेद आलम, रुद्रपाल यादव, शफी शेख, नीतिन, विवेक ने भी अपने विचार रखें।
*अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रस्ताव*
गोष्ठी में प्रलेस इकाई इंदौर के वरिष्ठ सदस्य विवेक मेहता ने एक प्रस्ताव का वाचन किया, जिसमें देश में अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता को कुचलने के प्रयासों की निंदा की गई। प्रस्ताव में बताया गया कि हाल ही में राष्ट्रीय स्तर के व्यंग्य चित्रकार इंदौर निवासी हेमंत मालवीय पर उनके कार्टून के कारण प्रकरण दर्ज किया गया है। इसके पूर्व भी दिल्ली में अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद द्वारा सवाल पूछे जाने पर, नागपुर में फ़ैज़ की नज़्म गाने वालों पर प्रकरण दर्ज किये गये हैं। प्रसिद्ध लोक गायिका नेहा राठौर पर 400 एफ आई आर दर्ज की गयी है। सरकार के द्वारा की जा रही दमनात्मक कार्यवाही चिंता का विषय है। प्रस्ताव में कहा गया है कि शासक दल के नेताओं द्वारा नफरती भाषण देने, देश की सेना का अपमान करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। वहीं प्रेम, भाईचारा, सामाजिक सुधार की बात करने वालों पर पुलिस प्रकरण दर्ज कर रही है। स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार को कुचला जा रहा है। प्रलेसं की इंदौर इकाई ने सभी तरह की ऐसी घटनाओं का कड़ा विरोध करते हुए इंदौर के हेमंत मालवीय सहित सभी लेखकों ,कलाकारों, बुद्धिजीवियों पर दर्ज सभी तरह के प्रकरण वापस लेने की मांग की है।
(प्रेषक: हरनाम सिह)