डॉ. कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’ के काव्य संग्रह “आदित्यायन” की आठ पुस्तकों की श्रृंखला का हुआ विमोचन
*लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी और काशी विद्यापीठ के कुलाधिपति ने किया विमोचन*
*राजधानी की सम्मानित विभूतियों और साहित्यकारों ने डॉ. मिश्र की साहित्य साधना को सराहा*
लखनऊ
डॉ. कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’ विद्या वाचस्पति (काशी हिंदी विद्यापीठ) के काव्य संग्रह “आदित्यायन” की आठ पुस्तकों की श्रृंखला का और ज्ञान प्रकाश मिश्र ‘ज्ञान’ की पुस्तक ‘ज्ञान गीता’ का बुधवार को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर हिंदी संस्थान के निराला सभागार में आयोजित भव्य समारोह में विमोचन हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी, पीवीएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम ने विमोचन करते हुए कर्नल ‘आदित्य’ की साहित्य साधना को सराहा। समारोह में मौजूद प्रकांड विद्वानों, साहित्यकारों और कवियों ने भी खुले मन से उनके साहित्य सृजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि डॉ. मिश्र ने अपनी रचनाओं में आज के सामाजिक बदलावों और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को बड़े ही सरल और सहज शब्दों में प्रस्तुत करने का अनूठा प्रयास किया है।
समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ लोकगायिका एवं आकाशवाणी, दूरदर्शन की उदघोषिका डॉ.अनीता मिश्रा ने मां सरस्वती की वंदना से किया। मंचासीन अतिथियों का स्वागत करते हुए डा कर्नल मिश्र ने हरित पौध पात्र व स्मृति चिह्न भेंट किये। तत्पश्चात “आदित्यायन- अनुभूति”, “आदित्यायन-संकल्प”, “आदित्यायन-अभिलाषा”, “आदित्यायन- सृजन” व “आदित्यायन-भुवन राममय”, “आदित्यायन-अमृतकाल” तथा एक सुविचार की पुस्तक संग्रह “आदित्यायन- सुभाषितम” और एक लेख संग्रह “आदित्यायन-जीवन अमृत” का विमोचन किया गया। पुस्तकों की समीक्षा करते हुए डा हरि शंकर मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी, लखनऊ विश्वविद्यालय ने डा कर्नल आदित्य के साहित्यिक कृतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जो अमृत वर्षा डा आदित्य ने की है वह परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए अनमोल धरोहर है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि डॉ. मिश्र का साहित्यिक रुझान देश सेवा के दौरान भी रहा। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपनी रचनाओं को संग्रहीत कर समाज के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाएँ आज के दौर के लोगों को बहुत कुछ सीखने और समझने में निश्चित रूप से सहायक साबित होंगी। इस अवस्था में भी वह सक्रिय रूप से विभिन्न संस्थाओं और सामाजिक संगठनों से जुड़कर समाज की भलाई के कार्यों में पूरे मनोयोग से जुटे हैं। उनकी साहित्य साधना को देखते हुए ही हिन्दी साहित्य में डॉक्टरेट की मानद उपाधि, काशी हिन्दी विद्यापीठ की हिन्दी साहित्य में ‘विद्या वाचस्पति’ की मानद उपाधि, काशी हिन्दी विद्यापीठ की ‘मानद स्मृति सम्मान’ और हिंदी सेवी सम्मान (प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा) से नवाजा गया है।
काशी हिंदी विद्यापीठ के कुलाधिपति सुख मंगल सिंह व लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ हरिशंकर मिश्र ने भी डॉ. मिश्र के साहित्य सृजन को सराहा। काशी विद्यापीठ के कुलाधिपति एवं कुलसचिव ने मुख्य अतिथि जनरल पूरी, डा हरि शंकर मिश्र तथा डा कर्नल आदि शंकर मिश्र को काशी हिन्दी विद्यापीठ के स्मृति चिन्ह और अंग वस्त्र के साथ सम्मानित किया।
कार्य्रकम को आगे बढ़ाते हुए इंद्रजीत तिवारी निर्भीक की अगुवाई में कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ जिसमे रविन्द्र पाण्डेय निर्झर प्रतापगढ़ी, डॉ.पारसनाथ श्रीवास्तव, सुनीता चतुर्वेदी सुधा, कर्नल सीमित कुमार, राजेंद्र कात्यायन व हरिमोहन बाजपेयी ने काव्य पाठ किया। सभी कवि अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र मिश्र ने किया। डा कर्नल ‘आदित्य’ की सुपुत्री रंजना द्विवेदी ने अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया।