धर्मशाला अव्यवस्था का हुआ शिकार, दुर्दशा की बहा रहा है आंशू, परिक्रमा वासी हो रहे हैं परेशान
*20 लाख की लागत से बना था भवन*
अनूपपुर
पवित्र नगरी अमरकंटक के दक्षिण तट में बने परिक्रमा वासियों ठहरने का एकमात्र आश्रय धर्मशाला इस समय अव्यवस्था का शिकार है परिक्रमा वासियों का यह एकमात्र धर्मशाला दुर्दशा का पर्याय बन चुका है । दक्षिण तट पर बने परिक्रमावासी धर्मशाला की लंबे समय से मरम्मत सुधार एवं उसकी साफ सफाई रंग रोगन न किए जाने से उक्त भवन अपनी दुर्दशा की आंसू बहा रहा है ।
उल्लेखनीय है कि पवित्र नगरी अमरकंटक में पतित पावनी पुण्य सलिला मां नर्मदा नदी के दक्षिणी तट में नर्मदा परिक्रमा वासियों के माई की बगिया से प्रस्थान के बाद एकमात्र आश्रय धर्मशाला है उक्त भवन का निर्माण विंध्य विकास प्राधिकरण रीवा से प्राप्त राशि से लगभग 12 वर्षों पूर्व कराया गया था उक्त भवन में लगभग 20 लाख रुपए की राशि व्यय कर निर्मित किया गया तब से लेकर आज दिनांक तक उक्त भवन आवश्यक सुधार मरम्मत तथा साफ सफाई रंग रोगन आदि नहीं कराया जा सका इस कारण उक्त भवन में कोई भी यात्री भक्त श्रद्धालु दर्शनार्थी यहां रुकने से डरते हैं भय लगता है। परिक्रमा वास धर्मशाला की देखरेख का कार्य स्थानीय अमरकंटक विकास प्राधिकरण (विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण) साडा अमरकंटक के द्वारा किया जाता है लेकिन उक्त भवन के हालात को कोई देखने वाला नहीं रहा फल स्वरुप परिक्रमा वास धर्मशाला अब व्यवस्था का शिकार है ।
रीवा शहर से आए पटेल दंपति ने एवं रायपुर से आए देवांगन परिवार ने कहा कि उक्त भवन की साफ सफाई देख-रेख ना होने से रहने से डर लगता है आसपास जंगली जीव जंतुओं के आने का डर है इसी तरह रायसेन जिले से 10 12 के जत्था में आए परिक्रमा वासी ने कहा कि यहां कोई नहीं रहता हम किससे संपर्क करें यहां साफ सफाई नहीं है ऐसे में कैसे रहेंगे । परिक्रमा वासियों के नाम पर बनाया गया है लेकिन देखरेख ठीक व्यवस्था नहीं है ।
नगर परिषद अमरकंटक के पूर्व अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रज्जू सिंह नेताम ने कहा कि अमरकंटक विंध्य विकास प्राधिकरण प्रशासन जिला प्रशासन लोकप्रिय कलेक्टर हर्षल पंचोली तथा अनु विभागीय अधिकारी राजस्व तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्राधिकरण सुधाकर सिंह बघेल से तत्संबंध में भवन का निरीक्षण करा परिक्रमावासी भवन का तत्काल ही सुधार मरम्मत करा साफ सफाई एवं रंग रोगन करने की मांग की है ताकि परिक्रमा वासी एवं पर्यटक भक्ति श्रद्धालु गण उसमें आश्रय पा सके उन्हें भटकना न पड़े। तथा उक्त धर्मशाला में स्थाई कर्मचारी नियुक्त करें ताकि किसी भी समय यात्री आकर रूक सके।