रामनगर ओपन कास्ट में माइनिंग सरदार की संदिग्ध तैनाती पर उठ रहे सवाल, जीएम बोले होगी सख्त कार्रवाई

रामनगर ओपन कास्ट में माइनिंग सरदार की संदिग्ध तैनाती पर उठ रहे सवाल, जीएम बोले होगी सख्त कार्रवाई

*ट्रांसपोर्टरो को लाभ पहुँचाने माइनिंग सरदार शिवेंद्र सिंह को बैठाया कांटा घर मे*


अनूपपुर। 

एसईसीएल हसदेव क्षेत्र अंतर्गत राजनगर ओसीएम में कोयला  ट्रांसपोर्ट लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए राजनगर प्रबंधक द्वारा एक माइनिंग सरदार की विशेष रूप से नियुक्ति की गई है जिसके कार्य क्षेत्र की जानकारी किसी को नहीं है और इन्हें विशेष रूप से राजनगर प्रबंधक द्वारा हाजिरी के साथ-साथ ओटी की भी व्यवस्था की गई है और यह माइनिंग सरदार राजनगर ओसीएम के कोयला स्टाक मैं माइनिंग सरदार का सबसे ज्यादा इंटरफेयर होता है क्योंकि किस ट्रांसपोर्टर को कौन से ग्रेड का कोयला देना है यह यही व्यक्ति भी तय करता है और इसके आवाज में उन ट्रांसपोर्टों से अनाप-शनाप पैसे की रकम ली जा रही है जो ईमानदार एसईसीएल के अधिकारियों की कर रहा है वही प्राप्त जानकारी के अनुसार हसदेव क्षेत्र के रामनगर ओपन कास्ट खदान में इन दिनों कोयले से ज्यादा चर्चा माइनिंग सरदार शिवेंद्र सिंह की तैनाती को लेकर हो रही है। आरोप है कि उन्हें खदान के मुख्य क्षेत्रों की बजाय कांटा घर में बैठा दिया गया है, जहाँ न तो कोई खनन होता है, न ब्लास्टिंग, और न ही कोई विशेष सुरक्षा जोखिम होता है।

माइनिंग सरदार का कार्यक्षेत्र आमतौर पर खदान के अंदर होता है, जहाँ उन्हें सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी, ब्लास्टिंग प्रक्रिया की देखरेख, और खनिकों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना होता है। लेकिन कांटा घर, जहाँ ट्रकों में लदे कोयले का वजन मापा जाता है, वहाँ उनकी नियमित मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। सूत्रों के अनुसार कांटा घर में उनकी उपस्थिति का कोई औपचारिक औचित्य नहीं है, क्योंकि वहाँ सुरक्षा की जिम्मेदारी सामान्यत: सिक्योरिटी गार्ड और तकनीकी कर्मचारियों की होती है। इस विषय पर जब खदान प्रबंधन से पूछा गया, तो जवाब मिला कि "उनकी पोस्टिंग गोपनीय कारणों से की गई है।" यह जवाब और भी संदेह को जन्म देता है। सूत्रों से मिली जानकारी में इसके अलावा यह भी सामने आया है कि शिवेंद्र सिंह को अन्य कर्मचारियों की तुलना में सबसे अधिक ओवरटाइम मिलता है। साथ ही, वे सतही (सरफेस) काम में तैनात होने के बावजूद उन्हें भूमिगत (अंडरग्राउंड) अलाउंस भी मिल रहा है, जो कि सिर्फ उन कर्मचारियों को दिया जाता है जो खदान के अंदर काम करते हैं।

जब इस पूरे मामले पर महाप्रबंधक से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट कहा मैं इस मामले में संलिप्त सभी लोगों को सस्पेंड कर दूंगा और मैंने इस बात की सूचना मैनेजर को भी दे दी है। जीएम की इस प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि यदि मामले की जांच में गड़बड़ी पाई गई, तो जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। अब देखना यह है कि प्रबंधन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वास्तव में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है या यह मुद्दा भी अन्य शिकायतों की तरह दबा दिया जाएगा।

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