खुले में शौच जाने की मजबूरी, स्वच्छता बना मजाक, स्वच्छता अभियान की खुली पोल

खुले में शौच जाने की मजबूरी, स्वच्छता बना मजाक, स्वच्छता अभियान की खुली पोल

*स्वच्छता अभियान बेअसर, ओडीएफ प्लस प्रमाणन प्राप्त करने का किया दावा*


अनूपपुर              

महाकौशल प्रांत का सबसे धनाढ्य नगर पालिकाओं में शुमार नगरपालिका परिषद बिजुरी, समूचे शहडोल संभाग का एक ख्याति प्राप्त नगरक्षेत्र है। कोयला उत्पादन कि वजह से बिजुरी क्षेत्र आर्थिक तौर पर काफी सुदृढ़ व सम्पन्न क्षेत्र माना जाता है। किन्तु इस क्षेत्र में एक अपवाद यह भी है कि इस क्षेत्र में लोग दैनिक निस्तार के लिए आज भी बहुतायत कि संख्या में खुले में शौच जाने को विवश हैं।

*स्वच्छता अभियान का नही दिख रहा असर*

केंद्र एवं प्रदेश कि सरकार द्वारा भले ही लोगों को खुले में शौंच से मुक्ती दिलाने के लिए विभिन्न जतन किए गए हैं। किन्तु बिजुरी नगरपालिका क्षेत्र में शासन के इस अभियान का लोगों में कोई सरोकार नजर नही आता। जबकि स्वच्छ भारत मिशन और ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) अभियान के तहत नगर पालिका ने दावा किया था कि यहां शत-प्रतिशत घरों में शौचालय बनाए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इन दावों को खोखला साबित कर रही है। जिससे समझा जा सकता है कि महज कागजी खानापूर्ति कर, नगरपालिका परिषद बिजुरी द्वारा शासन को भी गुमराह करने का कार्य किया गया है।

*ओडीएफ प्लस प्रमाणन प्राप्त करने का किया दावा*

नगर पालिका परिषद बिजुरी द्वारा ओडीएफ प्लस प्रमाणन प्राप्त करने का दावा किया गया, जिसमें यह बताया गया कि पूरे नगर क्षेत्र में कहीं भी कोई व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता। लेकिन स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों की मानें तो यह दावा केवल कागजों तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि कई बस्तियों में आज भी शौचालय या तो हैं ही नहीं, या फिर जो बने हैं, वे इतने निम्न गुणवत्ता के हैं कि उपयोग के लायक ही नहीं हैं। नगर क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 07 में स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। यहां बने अधिकांश शौचालयों में मानक स्तर का ध्यान नहीं दिया गया है। स्थानीय लोगों कि मानें तो निर्माण के दौरान भारी अनियमितता बरती गयी एवं ठेकेदारों द्वारा गुणवत्ता की अनदेखी भी किया गया। नगरपालिका द्वारा स्वच्छता अभियान में राशि तों खर्च किए गए, लेकिन उसका लाभ अधिकांशतः आम जनता तक वास्तविक रुप में नहीं पहुंचा। कई स्थानों पर शौचालयों की हालात बद से बद्तर है। ऐसे में यह अभियान जनहित से कहीं  अधिक दिखावा बनकर रह गया है।

*मौका मुआयना की है आवश्यकता*

नगरपालिका क्षेत्र में संबंधित अधिकारी द्वारा अगर दौरा कर नगर की यथास्थितियां देखा जाए तो यकीनन कागजों पर दिए गए आंकड़ों का ग्राफ शून्यता को ही प्रदर्शित करेगी।

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