रेत खदान के समर्थन में उतरे तीन पंचायतों के सरपंच व ग्रामीण, नेताओ का जताया विरोध
*रेत मामले में अपनी रोटी सेंकने के लिए, नेताओं के पेट मे हो रहा है दर्द*
शहडोल
जिला मुख्यालय व जिले में कॉलोनी निर्माण में संलग्न कुछ नेताओ के पेट मे अचानक दर्द शुरू हो गया है। मामला यह है कि शहड़ोल जिले के कुछ बड़े नेता जिनका कॉलोनी निर्माण कुछ सामने से कुछ पर्दे के पीछे से कार्य कर रहे हैं वो लोग रेत खदान संचालक से कम दामों में रेत लेना चाहते हैं जब कंपनी ने कम दामो में रेत देने से इनकार कर दिया तो नेताओ ने रेत खदान के पास के ग्रामीणों के माध्यम से रेत बेचने वाली कंपनी का विरोध करवाना शुरू कर दिया है। और विरोध करवाकर रॉयल्टी कम करने का जबर्दस्ती मांग की जा रही है। क्या नेता अपने फायदे के लिए नियम कानून को ताक में रखकर काम करने के लिए आमादा हैं। इन नेताओं के बारे में बताकर हम उनकी बेइज्जती नही कर सकते व उनके पेट मे लात नही मार सकते, जिले के लोगो को सब ज्ञात हैं।
*सोशल मीडिया में चली थी खबर*
सोशल मीडिया में कुछ दिन पहले यह खबर जमकर वायरल हो रही थी उसकी सच्चाई की पुष्टि हम नही कर रहे है। शहडोल ज़िले में आम आदमी को राहत प्रदान करने हेतु रेत का भाव कम करने के लिए बीजेपी ज़िला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह ने कमर कसी है। ज़िले में रेत नहीं बिकेगी महँगे दामों पर, 3000-डग्गी 8000-हाइवा की रॉयल्टी काटे सहकार ग्लोबल कंपनी। क्या भाजपा नेता अपनी ही सरकार द्वारा दी गयी रेत खदान का विरोध करना कहा तक जायज हैं।
शहड़ोल जिले में जनप्रतिनिधि व ग्रामीण रेत का विरोध करने वाले बताओ का ही उल्टा विरोध करते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आमतौर पर आपने रेत के उत्खनन और परिवहन का विरोध तो बहुत सारे लोग करते हैं मगर जिले में ठीक इसके उलटा हो रहा है। यहां रेत के कारोबार के समर्थन में तीन पंचायतों के सरपंच सहित ग्रामीण सड़क पर उतर कर रेत के कारोबार का समर्थन कर नेताओं का विरोध कर रहे हैं।
जिले के जनपद पंचायत बुढ़ार के ग्राम पंचायत चंदपुर पंचायत के लुकामपुर कुनूक नदी में ग्लोबल सहकार कंपनी की रेत खदान ठेका है। इस खदान ने क्षेत्र के ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया है, जो कि क्षेत्र के कुछ नेताओं को यह नागवार गुजर रहा है। यहां कुछ कथित नेता विरोध करते हुए रेत की खदान को बंद कराने में आमादा है। इसी बात से नाराज ग्राम पंचायत कोलुहा सरपंच धन्नू कोल, भोगडा पंचायत सरपंच नागेश्वरी सिंह, चंदपुर पंचायत सरपंच शिव प्रसाद सहित ग्रामीणों ने रेत खदान के समीप नेताओं की इस हरकत का विरोध किया।
आदिवासी सरपंचों ने बताया कि पेशा एक्ट के तहत प्रस्ताव पास कराकर खदान स्वीकृत के लिए भेजा था। अब जब खदान चालू हो गई पीएम आवास व अन्य विकास कार्यों के लिए रेत लगभग फ्री में मिल रही है, तो कथित नेताओं के पेट दर्द क्यों हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जो खदान संचालक क्षेत्र के बेरोजगारो को रोजगार दे रही, उस रेत खदान को किसी कीमत पर बंद नहीं होने देंगे, उसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े।