जमीन वापस पाने लामबंद हो रहे वेलस्पन एनर्जी के प्रभावित किसान
अनूपपुर
ग्राम पंचायत उमरदा में वेलस्पन एनर्जी अनूपपुर प्रा0 लि0 के प्रभावित किसानों की बैठक सरपंच अखिलेश सिंह कंवर के अध्यक्षता में संपन्न हुआ। बैठक में शामिल प्रभावित किसान बी एल साहू ने बताया कि दिनांक 31/5/2012 को मध्यप्रदेश शासन एवं वेलस्पन एनर्जी अनूपपुर प्रा0 लि0 के प्रबंधन के मध्य करारनामा निष्पादित किया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया है कि मध्यप्रदेश आदर्श पुनर्वास नीति 2002 के शर्तों के मुताबिक प्रभावित किसान को लाभ दिया जाएगा किन्तु कम्पनी प्रभावित किसान को लाभ देने के बजाय औने-पौने दाम मे किसानों के भूमि का भू-अर्जन कर भारी-भरकम मुनाफा लेकर अड़ानी समूह को बेच दिया गया है और बारह वर्ष बीतने के बाद भी किसानों को पुनर्वास नीति का लाभ नहीं मिल रहा है।
बैठक को संबोधित करते हुए सीटू नेता कामरेड जुगुल किशोर राठौर ने कहा कि सरकार के भूमण्डलीकरण, उदारीकरण एवं निजीकरण की आर्थिक नीतियों ने किसान एवं मजदूरों के जीवन को तबाह एवं बर्बाद करने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि मोजर बेयर पावर प्लांट जैतहरी के प्रभावित किसान से पूछे कि उनका विकास कितना हुआ है जहां से बिजली उत्पादन तो हो रही है किंतु जिले वासियों के उपयोग के लिए एक यूनिट बिजली नहीं दी जा रही है। कामरेड जुगुल ने बताया कि उद्योग का निर्माण अवधि तीन वर्ष तक पूर्ण करने की बचनबद्धता थी लेकिन 11-14 साल बीतने के बाद भी सभी प्रभावित किसान को नौकरी नहीं मिली है, जिन किसान परिवार को नौकरी दी गई है उन्हें कम वेतन एवं सुविधाएं दी जा रही है जिससे उनका परिवार का गुज़र बसर करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि कम्पनी जिन गांवों को गोद में लिया था उसका हाथ पांव तोड़ कर स्थाई रूप से गोद में ही बैठने के काबिल बना दिया है।
सुरक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधा का पुख्ता इंतजाम नहीं होने से आए दिन श्रमिकों का दुर्घटना से मौत हो रही उसके बाल बच्चे तबाह एवं बर्बाद हो रहा हैं जिसपर जिला प्रशासन एवं कम्पनी प्रबंधन की कोई चिंता नहीं है। कम्पनी प्रबंधन चिंतित हैं तो किसानों के हितों में ज्यादा से ज्यादा कटौती करने की, उन्होंने अब तक किसानों से बिना विमर्श किये दो पुनर्वास नीति तैयार कर लिया है जिस पर किसानों के हितों में भारी-भरकम कटौती की गई है और जिला प्रशासन कि सिर्फ चिन्ता है तो उसके व्हीआईपी होटल नर्मदा भवन में डिनर करने और मौज मस्ती करने की है । कामरेड जुगुल राठौर ने मध्यप्रदेश सरकार से मांग किया है कि यदि सच्चे मायने में सरकार वेलस्पन के प्रभावित किसानों का शुभ चिन्तक है तो मध्यप्रदेश आदर्श पुनर्वास नीति 2002 के कण्डिका 23 का पालन करवाते हुए किसानों का जमीन किसानों को वापस कर खेती को बर्बादी से बचाएं चूंकि भू-अर्जन की कार्यवाही हुए 10 वर्षों से अधिक हो गया है और कम्पनी कब्जा पाने में विफल रही है।