सचिव महेन्द्र त्रिपाठी और ठेकेदार संतलाल कि जोड़ी पंचायत में कर रहे हैं गोलमाल

सचिव महेन्द्र त्रिपाठी और ठेकेदार संतलाल कि जोड़ी पंचायत में कर रहे हैं गोलमाल

*निर्माण कार्य मे कर रहे हैं भ्रष्टाचार, चोरी के रेत से करवा रहे है कार्य, जिम्मेदार मौन*


अनुपपुर

ग्राम सोन मौहरी में हो रहे  भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है सचिव महेन्द्र त्रिपाठी जिस भी पंचायत में में रहते हैं उनके आपने ठेकेदार साथ चलते हैं और यहीं कुछ हाल इन दिनों ग्राम पंचायत  मौहरी का है जहां पुलिया निर्माण में  भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया और ठेकेदार संतलाल पटेल कर द्वारा इस आरसीसी पुलिया निर्माण में मौहरी से सोन नदी से चोरी की रेत सप्लाई कि गई और चोरी के रेत से पुलिया का निर्माण किया गया ठेकेदार संतलाल से लगातार  रियलिटी पर्ची की मांग की गाई पर उनके पास जब रियलिटी पर्ची होंगी तब तो दी जाएगी पंचायत ठेकेदार में संतलाल पटेल एक ऐसा नाम है जो इस तरह के  भ्रष्टाचार में पंचायत सचिव के साथ कंधे से कंधे मिला कर चलता है ग्राम पंचायत मौहरी में आरसीसी पुलिया निर्माण बाबादीन गोड के खेत के पास पांचवा राज्य वित्त आयोग से 7590000 में स्वीकृत हुई थी मिला जानकारी के मुताबिक इस पुलिया में आधारित को जेसीबी लगा कर गड्डे की खुदाई कर चोरी छुपे निर्माण शुरू किया गया शिकायत में इस बात का ऊल्लेख भी किया गया कि सचिव महेन्द्र त्रिपाठी के द्धारा जो सरिया का स्तेमाल किया गया वो भी नियम के मुताबिक़ पतली सरिया लगाई गई तो दूसरी तरफ संतलाल पटेल से चोरी का रेत खरीद कर पुलिया निर्माण किया गया ग्रामीणों का आरोप है कि जिस जगह पर पुलिया की उयोगिता नही थी वहां महज पुलिया के निर्माण इस लिए किया गया कि 7590000 कि पुलिया महज  तीन से साढ़े तीन  लाख रुपए का खर्ज  कर बाकी के पैसों का  बंदरबाट  कर लिया जाए और हुआ वही  सचिव महेन्द्र त्रिपाठी  पर और  अन्य कई आरोप  शिकायत के लगाए गए है जिसका खुलासा  हम जल्द करेंगे  साथ ही सबसे दुर्भाग्य इनका जनक तो यह है  कि शिकायत करने के बाद बावजूद कोई भी जिम्मेदार इस पुलिया को नहीं पहुंचा  नतीजन सचिव महेन्द्र त्रिपाठी ने आनन फानन पुलिया पर मिट्टी डाल कर कार्य पूर्ण कर दिया गया अब सवाल  यह उठता है कि जब पुलिया निर्माण कार्य  चाल रहा था  तो इंजीनियर और बाकी के जिम्मेदार कहां सोए थे।

इस पूरे मामले में पंचायत की इंजीनियर से बात की तो  पहली बार तो उन्होंने फोन उठाया और कहा  मेरे द्धारा उक्त पुलिया के मूल्यांकन  नहीं किया गया हमने कहा  कि युक्त पुलिया के सीमेंट उपलब्ध कर दिया गया तो उनके द्वारा हां तो कहा  गया उनके  बाद दोबारा फोन उठाना बंद कर दिया गया सूत्रों से मिली जानकारी में मुताबिक उपयत्री की अपनी पांच प्रतिशत है जो सचिव महोदय द्धारा पूर्ण की जाती है अब आप सोचिए 7590000 कि पुलिया में उपयंत्री  का पांच प्रतिशत एपीओ सीईओ एसडीओ सभी का कमीशन फिक्स है फिर भला पुलिया का गुणवत्ता से किसी की क्या  लेना देना और इसके  बाद सरपंच उपसरपंच सचिव सब का अपना पेट है, और ठेकेदार साहब तो है ही अवैघ उत्खनन और परिवहन कर सामग्री सप्लाई की है तो उनका भुगतान भी लाजमी है अब सवाल यह उठता है कि एक पुलिया में जब इतना कमीशन निकलेगा तो उसका निर्माण कैसा होगा अदाजा लगाया जा सकता है महेन्द्र त्रिपाठी सचिव का नाम किसी से छुपा नहीं है ये उन सचिवों की फेहरिस्त में एक नाम जो अपना ठेकेदार और  भ्रष्टाचार का सिस्टम साथ ले कर चलते है और इनको एक नही कई पंचायतों का प्रभार एक साथ महज इसलिए चाहिए होता है की  भ्रष्टाचार करने की कोई सीमा तय न हो। अब देखना यह होगा कि ग्रामीणों की शिकायत पर जिला पंचायत सीईओ तन्यम वशिष्ठ वर्मा क्या कदम उठाते है हम अगले एपिसोड में संतलाल पटेल और महेन्द्र त्रिपाठी की कारगुजारियो का भंडाफोड़ करेगे संतलाल पटेल ने जीतने भी पंचायत में रेत की सप्लाई की हैं  उन  सभी की जांच की जानी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

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