आईटीआई में पदस्थ बाबू सीताराम महरा पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप, कलेक्टर से हुई शिकायत

आईटीआई में पदस्थ बाबू सीताराम महरा पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप, कलेक्टर से हुई शिकायत

*कोतमा एवं अनूपपुर में साईं स्टेशनरी  से मिली भगत कर लाखों का गोलमाल*


अनूपपुर

दुर्गेश कुमार पटेल पिता बुद्ध सेन पटेल निवासी ग्राम धिरौल तहसील व जिला अनूपपुर के द्वारा कलेक्टर के नाम पर पत्र सौंप कर आईटीआई कॉलेज कोतमा से अनूपपुर में पदस्थ बाबू सीताराम महरा जिसके द्वारा कोतमा एवं अनूपपुर में स्टेशनरी खरीदी के नाम पर साईं स्टेशनरी दुकान अनूपपुर के संचालक साहू के साथ मिली भगत कर लाखों रुपए का गबन कर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा है और जिसके संबंध में जांच व कार्यवाही की मांग की गई है।

*यह पूरा मामला*

प्रार्थी आवेदक दुर्गेश पटेल के द्वारा कलेक्टर को सौंपे गए पत्र में लेख किया है कि वह स्वयं प्रयाग कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर फर्म के नाम पर कार्य करता है जो कोतमा आईटीआई कॉलेज में भी कई उपकरणों का सप्लाई करता आया है परंतु सप्लाई के बदले में पदस्थ बाबू सीताराम महरा के द्वारा हमेशा कमीशन की मांग की जाती रही है और मना करने पर वह हमसे सप्लाई लेना बंद कर दिया और साईं स्टेशनरी एवं सप्लायर अनूपपुर के साथ मिली भगत कर उपकरण एवं सामग्री लेने लगा और फर्जी तरीके से बिल लगाकर वर्ष 2014-15 से लगातार गोलमाल  व भ्रष्टाचार खरीदी के नाम पर करते चला आ रहा है जिनके पास आज अवैध तरीके से कमाई हुई अकूत करोड़ की चल अचल संपत्ति अपने नात रिश्तेदारों के नाम पर बनाकर रखी गई है जिसका जांच आवश्यक है। आईटीआई में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है वर्तमान समय में बाबू सीताराम महरा पैसे देकर अपना तबादला शासकीय आईटीआई कोतमा से अनूपपुर में करवा लिया है और बड़े जोर शोर से स्टेशनरी संबंधित खरीदी साईं स्टेशनरी के मालिक साहू के साथ मिलकर फर्जी बिल लगा करके शासन के पैसों को खयानत करते जा रहे हैं जिस पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक है। पूर्व में कोतमा आईटीआई कॉलेज में पदस्थ प्राचार्य यश के पनाडिया के विश्वास का फायदा उठाकर भी बाबू सीताराम महरा बिलों एवं चेकों में हस्ताक्षर कर लेता था और भ्रष्टाचार करता रहा है परंतु जब प्राचार्य को इसकी जानकारी हुई और विरोध किया गया तो उल्टा उन्हें ही खयानत के आरोप में जांच करवा सीताराम महरा बाबू के द्वारा पैसे व पहचान के दम पर पद से पृथक करवा दिया गया जबकि उक्त प्राचार्य कुशल व्यवहार एवं अपने कर्तव्य के प्रति सजग व्यक्ति थे जब मुझे इस संबंध में जानकारी हुई तो मुझे बड़ा ही अफसोस हुआ कि फर्जी कार्य किसी और के द्वारा किया गया और निर्दोष व्यक्ति को पद से बाहर होना पड़ा।

*न्याय की आस*

प्रार्थी ने कलेक्टर अनूपपुर को पत्र के माध्यम से निवेदन किया है कि वास्तव में पूर्व में कोतमा में पदस्थ प्राचार्य एस के पनाडिया दोषी नहीं है पूरा भ्रष्टाचार का दारोमदार सीताराम महारा पदस्थ बाबू है जिसके द्वारा विश्वास का फायदा उठाकर गलत तरीके से चेकों में हस्ताक्षर करवा लिया गया और भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया परंतु हस्ताक्षर व जिम्मेदार व्यक्ति प्राचार्य के होने के कारण जांच में दोषी पाने पर पद से बाहर होना पड़ा अतः निवेदन है कि आईटीआई कोतमा एवं अनूपपुर में पदस्थ सीताराम बाबू तथा साईं स्टेशनरी के बीच लेनदेन के फर्जीवाड़ा का सूक्ष्म जांच कराया जाकर दंडात्मक कार्यवाही करने की मांग की गई है।

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