समिति भंग होते ही पेड़ों की हो रही हैं अंधाधुंध कटाई, पर्यावरण को पहुंचाया जा रहा हानि
अनूपपुर/जैतहरी
मामला जिला अनूपपुर के जैतहरी रेंज अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत क्योंटार का है जहां इन दिनों लोगों द्वारा जंगल में अंधाधुंध पेड़ों कि कटाई की जा रही है। बता दें कि कुछ समय पहले चांदपुर बीट क्योंटार (पटौरा टोला) जंगल कि सुरक्षा के लिए ग्राम वन समिति का गठन किया गया था से पूर्व समिति के 5 वर्ष पूर्ण हो चुके थे उसके उपरांत नई कार्यकारिणी सदस्य एवं समिति का गठन किया जाना था जिसमें पदाधिकारियों एवं सदस्यों का गठन किया गया परंतु डीएफओ द्वारा गलत नियमों से समिति गठित की गई है कहते हुए भंग करने कि बात कही गई। कुछ दिनों के बाद जैतहरी रेंज के अधिकारियों से दूरभास के माध्यम से बात करते हुवे पूछे जाने पर उनके द्वारा बताया गया कि डीएफओ द्वारा समिति भंग करने को कहा गया है और समिति के पदाधिकारियों कि बाकी कार्यों के पुख्ता के लिए बैंक में हस्ताक्षर इत्यादि कार्य अब तक नहीं कराया गया। ग्राम वन समिति के गठन के तुरंत बाद ही पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा अपने कर्तव्य का वहन करते हुए जिम्मेदारी के साथ वन के रक्षा के लिए ठोस कदम उठाते हुए पूरा सहयोग और समय वन जीवों और पेड़ - पौधों के लिए दिया गया। परंतु कुछ दिनों बाद ही इस तरह से फैसला सुनाना पर्यावरण के लिए छती पहुंचने का कार्य करने लगा। ग्राम वन समिति द्वारा समय और धन बर्बाद करते हुए पर्यावरण कि रक्षा में निस्वार्थ भाव से सेवा देना और प्रत्येक दिन भ्रमण कर ग्रामीणों को जागरूक करना कहीं न कहीं उनके अंदर बदलाव लाया गया परंतु ग्रामसभा में नियमों के साथ गठित समिति को किसी कारण के भंग कर देना समझ के परे है जिससे ग्रामीणों में और पंचायत के सदस्यों में काफी रोश है और इसकी कड़ी निन्दा भी की गई। बता दें कि प्राप्त जानकारी अनुसार जब पेड़ काटकर व्यक्ति घर ले जा रहा था तो भंग करने के बाद भी पर्यावरण प्रेमी ग्राम वन समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों द्वारा उसे समझाईस देते हुए कड़ी फटकार लगाई गई और ऐसे न करने को कहा गया। बताया गया कि यह हमारी समिति और आपका ही वन और संपदा है इसे नुकसान पहुंचाने से सबको हानि होती है। इससे पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है यदि आपके द्वारा दोबारा ऐसा किया गया तो आपके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही कराई जाएगी जिसकी जिम्मेवारी आपकी स्वयं की होगी।
समिति भंग करने के पूर्व सदस्यों और पदाधिकारियों के परिश्रम से ग्रामीणों में जागरूकता आई ही बल्कि इनके भ्रमण करने के कारण भय भी रहा। परंतु जैसे ही समिति भंग करने कि बात गली गलियारों में फैली तभी से पेड़ों कि कटाई शुरू हो गई थी फिर भी सदस्यों और पदाधिकारियों ने अपना कर्तव्य निभाया और लोगों को समझाया। समिति के गठन के बाद ही मीडिया में भी पंचायत की खबरें जोरों से चली और नई कार्यकारिणी सदस्य के बनते ही लोगों में खुशी थी क्योंकि इस समिति के पदाधिकारियों का जागरूक होना लोगों को समझाना लोगों को भाया। सदस्यों में एक सदस्य के विकलांग होने के बाद भी उनकी परिश्रम और पर्यावरण के लिए लगाव को देखते हुए साथ ही महिला अध्यक्ष का साथ में जागरूकता अभियान चलाया जाना लोगों को प्रेरित कर रहा था। जिसे एक गलत फैसले से काफी नुकसान खामियाजा पर्यावरण और अधिकारियों को उठाना पड़ सकता है। खबर प्रकाशन के बाद इस ओर वन विभाग के अमला और पदाधिकारी कितना ध्यान देते हैं देखना दिलचस्प होगा। या फिर मूकदर्शक बनकर पर्यावरण को बचाने वाले सदस्यों का मनोबल घटाते हैं देखना दिलचस्प होगा।