लोकतंत्र विरोधी समय में कवि व कविता दोनों संकट में हैं- विनीत तिवारी

लोकतंत्र विरोधी समय में कवि व कविता दोनों संकट में हैं- विनीत तिवारी


देवास

मप्र प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा  इनोवेटिव पब्लिक स्कूल के सभागार में एक प्रादेशिक काव्य  गोष्ठी का आयोजन किया गया गोष्ठी में विभिन्न नगरों से आए अनेक कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया।

मंच पर बृजेंद्र सोनी(अनूपपुर), राजीव शुक्ला (जबलपुर), तरुण गुहा नियोगी (जबलपुर) और विनीत तिवारी (इंदौर) अतिथि के रूप में मौजूद थे।

काव्य गोष्ठी का आरंभ देवास प्रलेसं इकाई की अध्यक्ष कुसुम बागड़े के लिखे जनगीत से हुआ। मुस्कान ने भी एक जन गीत प्रस्तुत किया। गोष्ठी में असअद अंसारी (मंदसौर), कविता जड़िया (उज्जैन) पीआर मलैया (सागर), सारिका श्रीवास्तव (इंदौर) सुधीर साहू (भोपाल), शशिभूषण (उज्जैन), बृजेंद्र सोनी (अनूपपुर), राजीव कुमार शुक्ला (जबलपुर), तरुण गुहा नियोगी (जबलपुर) और विनीत तिवारी (इंदौर) ने रचना पाठ किया।

कविता जड़िया ने नागालैंड की राजधानी कोहिमा में स्थित द्वितीय विश्व युद्ध की याद में बने वार सीमेट्री के युवा शहीदों को याद करते युद्ध के बिना बेहतर राष्ट्रीय जीवन की अपील करती एक मार्मिक कविता सुनाई। असअद अंसारी ने कुछ ऐसे शेर कहे और गज़़ल सुनाई जिनमें इंसानियत, आपसी यकीन और हक, इंसाफ के तकाज़े थे। पीआर मलैया का कहना था कि जनता का मन देश का मन होता है। उसके साथ छल नहीं होना चाहिए। सारिका श्रीवास्तव ने अपनी कविता में कहा कि जब अन्याय गैर बराबरी नहीं होंगे तभी प्रेम भी पल्लवित होगा। शशि भूषण ने भर्तृहरि और अशोक को याद करते हुए भर्तृहरि की स्मृति में एक  गीत का वाचन किया और प्रधान हत्यारे का फरमान कविता सुनाई। बृजेंद्र सोनी ने जनता को बाजार और डर का आईना दिखाने वाली कविता का पाठ किया। सुधीर साहू की कविता में पहचान और नागरिक की जगह बचाने की अपील और इंसानों को दमन और अधिग्रहण से बचाने की आकांक्षा थी। राजीव कुमार शुक्ल ने विडंबनाओं को स्वर देती कविताएं पढ़ीं। तरुण गुहा नियोगी ने सरोकारों से संबद्ध अर्थगर्भी कविताओं का पाठ किया।

विनीत तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान फासिस्ट और लोकतंत्र विरोधी समय में कविता एवं कवि दोनों के सामने चुनौती और संकट है।  उनकी कविता में सवाल था कि कवि किसके पक्ष मे खड़ा है ? उन्होंने दो टूक कहा कि कविता वह नहीं हो सकती जिससे तानाशाह भी प्रेम करे। सांप्रदायिकता से संघर्ष में ही इंसानियत का बचाव है। सुविधा एवं विशेषाधिकार कवि बने रहने का यह समय नहीं है। उन्होंने काव्य गोष्ठी में पढ़ी गई कविताओं की संक्षिप्त विवेचना भी की।

काव्य गोष्ठी के अंत में देवास नगर के कुछ सुधिजनों एवं संगठन के सक्रिय सदस्यों को अतिथियों द्वारा स्मारिका "पक रही है जमीन" व अन्य पठन सामग्री भेंट कर सम्मानित किया गया।

आयोजन में सेवानिवृत्त न्यायाधीश रामप्रसाद सोलंकी, पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी कैलाश सिंह राजपूत, कुसुम वागड़े, राजेन्द्र राठौर, सुंदरलाल परमार, नरेन्द्र जोशी, प्रतिभा कुमार, ओपी तिवारी, लीला राठौर, स्माईल नजर शेख, चांद अंजुम जोहरी, अजीज रोशन, ओंकारेश्वर गेहलोत, अजीम देवासी, मोईन खान, सुरेश जेठवा, घनश्याम जोशी, मांगीलाल तजोड़िया, रामसिंह राजपूत, इकबाल मोदी, मोहन जोशी, वंदना श्रीवास्तव, रमेश जोशी, सय्यद मकसूद अली, बबीता चौहान, प्रोफेसर एसएन त्रिवेदी, भगवानदास मेहता, प्रदीप कानूनगो, जयप्रकाश चौहान, रेशमा शेख, रमेश आनंद, दयाराम मालवीय, ओमप्रकाश वागड़े, अर्चना मित्तल, रेखा उपाध्याय, कन्हैयालाल यादव, मुस्कान सेम, जुगलकिशोर राठौर, कैलाश वर्मा, तिलकराज सेम आदि को सम्मानित किया गया। गोष्ठी का संयोजन राजेन्द्र राठौड़ और संचालन शशिभूषण ने किया। इस अवसर पर डॉ. जुगलकिशोर राठौड़ ने लता मंगेशकर की आवाज में ए मेरे वतन के लोगों...  गीत की प्रस्तुति दी। आभार कैलाश सिंह राजपूत ने माना।

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