करोड़ो के घोटाले में अंतिम रिपोर्ट पेश, सीएमओ, इंजीनियर पर रिकवरी व सेवा से बर्खास्त करने का आदेश
जबलपुर/अनूपपुर
अनूपपुर जिले की आदिवासी बाहुल्य बिजुरी नगर परिषद में करोड़ों का भ्रष्टाचार होने के बावजूद भी दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। सरकार की ओर से विभागीय जांच की अंतिम रिपोर्ट पेश करते हुए बताया गया कि 11 दोषियों को दण्डित करते हुए रिकवरी के आदेश जारी कर दिए गए हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने कार्यवाही की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी करते अगली सुनवाई जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि यह जनहित का मामला बिजुरी निवासी राजेश द्विवेदी की ओर से दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि बिजुरी नगर परिषद अविकसित है और बहुसंख्यक आबादी आदिवासी है। नगर परिषद बिजुरी द्वारा एवं अन्य अधिकारीयों की संरक्षण में 50 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार होने संबंधित खबर अखबारो में प्रकाशित हुई थी। ऑडिट रिपोट्र्स में भी नगर परिषद बिजुरी द्वारा एक बड़े भ्रटाचार को उजागर किया गया था। व्याप्त भ्रटाचार और आदिवासियों डेवलपमेंट के लिए दिए गए पैसें का अनैतिक दुरुपयोग के संबंध में संचालक शहरी प्रशासन और विकास निदेशालय भोपाल मप्र तथा सह संचालक शहरी प्रशासन और विकास निदेशालय शहडोल एवं आर्थिक अपराध शाखा भोपाल को जाँच करने पत्र लिखे गए। जिस पर जांच के आदेश हुए और भ्रष्टाचारी होने के संबंध में जांच प्रतिवेतन भी प्रस्तुत किए गए। इसके बावजूदकार्यवाही नहीं की गयी।
*पाए गए 26 दोषी*
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि जांच में कुल 26 व्यक्तियों को दोषी पाए गए हैं। जिसमें 18 विभागीय व्यक्तियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि तत्कालीन सीएमओ मीना कोरी के खिलाफ दो वेतन वृद्धि रोकने तथा 19 लाख रुपए की रिकवरी की कार्यवाही की गई है। सब इंजीनियर वंदना अवस्थी के खिलाफ दो वेतन वृद्धि रोकने तथा 27 लाख 68 हजार रुपए की रिकवरी, कमल कोल के खिलाफ सुश्री कमला कौल के खिलाफ दो वेतन वृद्धि रोकने तथा 12 लाख 24 हजार रुपए की रिकवरी की कार्यवाही की गई है। इसके अलावा अन्य 8 के खिलाफ रिकवरी, सेवा से बर्खास्त करने तथा चेतावनी की कार्यवाही की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धीरज कुमार तिवारी ने पक्ष रखा।
