शंकर बाबू की पुस्तक फैलता शहर गुम होती जिंदगी जिसकी समीक्षा किरण बियानी की कलम से

शंकर बाबू की पुस्तक फैलता शहर गुम होती जिंदगी जिसकी समीक्षा किरण बियानी की कलम से


अनूपपुर

बाबूजी ने अपने जीवन के अनुभव एवं विचारों को फैलता शहर गुम होती जिंदगी किताब में संजोने का प्रयास किया है श्री शंकर बाबू शर्मा जिन्हें अनूपपुर के लोग बाबूजी के नाम से संबोधित करते हैं अतः लोगों के उनके प्रति आत्मीयता दिखती है

उर्दू भाषा के कठिन शब्दों के साथ मां के स्नेह एवं संवेदना ममता की अभिव्यक्ति उत्तम कोर्ट की है बाबूजी ने बचपन एवं पढ़ाई का समय अत्यंत कष्ट पूर्ण बिताया।

स्वतंत्र भारत विकास की गति को पकड़ रहा था उस दौरान अनूपपुर में विकास की गति बहुत धीमी थी यद्यपि अनूपपुर रेलवे का जंक्शन था लेकिन आदिवासी बहुल क्षेत्र था जीविका का साधन कृषि एवं जंगल पर ही निर्भर था इसका दर्द बाबूजी की लेखनी में दिखाई देती है।

अपने राजनीतिक व्यक्तित्व को प्राप्त करने के लिए इन्हें बहुत संघर्षों से जूझना पड़ा उस समय कांग्रेस के सांसद दलवीर सिंह ने आपकी कार्यकुशलता को पहचान दी। सामाजिक कार्यों में भी आप मुस्तैदी से लगे रहे। कस्बे में आपके अनगिनत उपकार हैं चिकित्सा एवं शिक्षा के माध्यम से आपने समाज के हित काम किए हैं आपके प्रयास से ही तुलसी महाविद्यालय आरंभ हुआ बापू नवज्योति समिति की स्थापना ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाई।

आदिवासी समाज एवं मां नर्मदा के प्रति प्रेम लेखन में स्पष्ट दिखाई दे रहा है स्मृतियों के साथ-साथ संवेदना का जिक्र भी आपने जगह-जगह किया है अपनी राजनीतिक जीवन एवं सामाजिक संबंधों का उल्लेख करने में आपने कोताही नहीं की है महात्मा गांधी के प्रति आपकी भक्ति  अटूट थी कांग्रेस के प्रति आपकी कर्मठता एवं प्रतिबद्धता है आप अपनी जड़ों से अलग होने में विश्वास नहीं रखते।

अनूपपुर को एक कस्बे से जिले के रूप पर बनते आपने देखा है यह आदिवासी क्षेत्र एक औद्योगिक नगर के रूप में एक औद्योगिक नगर के रूप में तब्दील हो यह कामना तो हम सब की भी है।

पूरी किताब में नकारात्मकता को आपने कभी भी हावी नहीं होने दिया क्योंकि आप मन की पवित्रता एवं जीवन की शांति को प्राथमिकता दी है धर्म पर आपकी पूरी आस्था है इसका उदाहरण राम जानकी मंदिर का जीर्णोद्धार है धर्म ग्रंथों के सूत्रों का निष्पादन आपने सहजता से किया है।

सन 1975 में मैं बाबूजी के संपर्क में मै आई। मेरी राजनीतिक चेतना के सूत्रधार आप ही है सामाजिक कार्यों में रुचि लेने की प्रेरणा भी मुझे आप से ही मिली।

तुलसी महाविद्यालय के संस्थापक के साथ-साथ आप संत तुलसी मॉडल इंग्लिश स्कूल मीडियम के भी संस्थापक हैं तुलसी महाविद्यालय के शासकीय होने के बाद कालेज प्रांगण में ही संत तुलसी मॉडल स्कूल की स्थापना हुई और मुझे सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनाया गया।

आपने लोगों की सराहना करना एवं उचित मार्गदर्शन देने में कभी संकोच नहीं किया अपने साहित्यकार एवं बुद्धिजीवी होने का अहंकार नहीं पाला सादा जीवन उच्च विचार को हमेशा प्राथमिकता दी है आपकी कार्यशैली और लेखन इसका प्रमाण है भगवान से प्रार्थना है कि आप को स्वस्थ एवं समृद्ध जीवन मिले शतायु होकर अनूपपुर जिले को औद्योगिक नगर में के रूप में विकसित होते देखें।

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