गोवर्धन पूजा के दिन पशु चिकित्सक की लापरवाही के कारण बछड़े की तड़प-तड़प कर हुई मौत

गोवर्धन पूजा के दिन पशु चिकित्सक की लापरवाही के कारण बछड़े की तड़प-तड़प कर हुई मौत


अनूपपुर

पशु चिकित्सा के नाम पर सरकार करोड़ो करोड़ो रूपये खर्च करती है गांव गांव में अस्पताल खोले गए हैं जिससे पशुओ को जल्द चिकित्सा मिल सके मगर अनूपपुर जिले में सरकार के कोई कायदे कानून लागू नही होता पशु चिकित्सा मामले में पूरा जिला भर्रेशाही से चल रहा है अस्पताल में डॉक्टरों की उपस्थिति नाम मात्र रह गयी है डॉक्टरों की ड्यूटी अन्य कार्यो में लगा देने के कारण पशुओ को समय से चिकित्सा का लाभ नही मिल पा रहा हैं जिस कारण से पशु काल के गाल में समा रहे हैं। दीपावली के बाद आज पूरे देश मे बड़े धूमधाम हर्षोल्लास से गोवर्द्धन पूजा की तैयारी जा रही है उसी समय अनूपपुर जिले के ग्राम पंचायत भाद में मुरलीधर पाठक के घर पर एक बछड़े की तड़प तड़प कर मौत हो गयी मगर पशु चिकित्सक को सुबह 7 बजे से 9 बजे तक कॉल किया गया मगर समय से कोई नही पहुँचा जिस कारण से बछड़े की मौत हो गयी। अगर समय रहते बछड़े को इलाज मिल जाता तो शायद उसकी जान बच जाती बछड़े के मालिक से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज सुबह बछड़े की अचानक तबियत खराब हो गयी तो घर के लोग 1962 में कॉल लगाया गया तो वहाँ से पशु चिकित्सक पयारी नं. 2 में पदस्थ डॉक्टर ललित साहू का नंबर मिला उनको कॉल किया गया तो उन्होंने कहा मैं छुट्टी पर हूँ अभी तुरंत पयारी नं 2 से शुभम मिश्रा को भेज रहा हूँ जब शुभम मिश्रा से बात हुई तो उन्होंने कहा मैं 1 घंटे में आ रहा हूँ। मगर शुभम मिश्रा नही पहुँचे उसके बाद जिला मुख्यालय अनूपपुर में उप संचालक पशु चिकित्सा सेवा में पदस्थ डॉ. व्ही पी एस चौहान से बात हुई तो उन्होंने सलाह दी कि चुकान पशु चिकित्सालय में संपर्क कर ले कोतमा में पदस्थ पशु चिकित्सक अंगद पटेल को कॉल किया गया तो उन्होंने किसी डॉ. संपत को मौके पर भेजा उन्होंने बछड़े को मृत घोषित कर दिया। इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा। इस तरह की यह पहली घटना नही है आये दिन ऐसी घटनाएं रोज कही न कही देखने को मिल जाती हैं चाहे पशुओ की बीमारी से मौत हो या सड़क दुर्घटना में डॉक्टर कभी भी समय से नही पहुँचते जिसके कारण पशुओ की अकाल मौत हो जाती हैं। और फिर कारीवाही के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति करके मामले को रफा दफा कर दिया जाता हैं। डॉ. व्ही पी एस चौहान कई वर्षों से उप संचालक पद पर पदस्थ है तब से जिले की स्थिति पशु चिकित्सा सेवा में फिसड्डी साबित हो रहा है। इनका कार्यकाल केवल  खानापूर्ति तक ही सीमित रह गया है। ऐसे प्रशासनिक अधिकारी के रहते जिले की स्थिति ऐसी ही रहेगी।

*इनका कहना हैं*

हर गांव में गौ सेवक होते हैं उनसे संपर्क कर इलाज करवाया जा सकता था बगल के गांव चुकान में अस्पताल है वहाँ न ले जाकर 1962 में कॉल करके शिकायत करने से इलाज नही होता।

*डॉ. व्ही पी एस चौहान उप संचालक पशु चिकित्सा अनूपपुर*

मुझे जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई वैसे ही मैने तुरंत इलाज करने हेतु संपत को भेज दिया था।

*डॉ. अंगद प्रसाद पटेल पशु चिकित्सा कोतमा*

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